मालपुरा दंगे के अली और सलीम हत्याकांड में 25 साल बाद आया फैसला, 13 आरोपी बरी
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मालपुरा दंगे के अली और सलीम हत्याकांड में 25 साल बाद आया फैसला, 13 आरोपी बरी

Malpura Riot Case: राजस्थान के टोंक जिले में 2000 के मालपुरा दंगों के दोहरे हत्याकांड मामले में विशेष अदालत ने सबूतों के अभाव में 13 आरोपियों को बरी कर दिया. इसी दंगे से जुड़े एक अन्य मामले में फैसला 24 अगस्त को सुनाया जाएगा.

मालपुरा दंगे के अली और सलीम हत्याकांड में 25 साल बाद आया फैसला, 13 आरोपी बरी

Malpura Riot Case: राजस्थान के टोंक जिले के मालपुरा में साल 2000 में हुए सांप्रदायिक दंगे के दौरान मोहम्मद अली और मोहम्मद सलीम की हत्या के मामले में विशेष दंगा अदालत ने मंगलवार को 13 आरोपियों को बरी कर दिया. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में नाकाम रहा, इसलिए सभी आरोपियों को संदेह का लाभ दिया जा रहा है. विशेष अदालत की पीठासीन अधिकारी श्वेता गुप्ता ने रतनलाल, किशनलाल, रामस्वरूप, देवकरण, श्योजीराम, रामकिशोर, सुखलाल, छोटू, बच्छराज, किस्तुर, हीरालाल, सत्यनारायण और किशनलाल को बरी करने का आदेश सुनाया.

दरअसल, 10 जुलाई 2000 को मालपुरा में हुए दंगे में मोहम्मद अली और मोहम्मद सलीम की हत्या हो गई थी. शहजाद नाम के व्यक्ति ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि एक विशेष समुदाय के लोगों ने उसके भाई और चाचा की हत्या की. इस रिपोर्ट पर पुलिस ने 22 लोगों को आरोपी बनाया था.

बचाव पक्ष की दलील
बचाव पक्ष के वकीलों वी.के. बाली और सोनल दाधीच ने अदालत को बताया कि एफआईआर दर्ज कराने वाला घटना का प्रत्यक्षदर्शी नहीं था, उसने दूसरों से सुनकर रिपोर्ट लिखवाई. घटना के समय धारा 144 लागू थी, इसलिए गवाहों की मौजूदगी पर सवाल उठते हैं. साथ ही पुलिस घटना में इस्तेमाल हथियार बरामद नहीं कर पाई. एक को छोड़कर बाकी की शिनाख्त परेड भी नहीं कराई गई. इन तर्कों के आधार पर आरोपियों को निर्दोष बताया गया.

कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला
कोर्ट ने माना कि सबूत पुख्ता नहीं हैं और गवाहों की गवाही पर भरोसा नहीं किया जा सकता. इस वजह से सभी 13 आरोपियों को बरी कर दिया गया. इस केस में कुल 22 आरोपी थे. इनमें से 8 को हाईकोर्ट पहले ही बरी कर चुका था, जबकि एक नाबालिग का मामला बाल न्यायालय भेजा गया था. बाकी 13 आरोपियों को अब अदालत ने बरी कर दिया है.

अभी एक और फैसला बाकी
मालपुरा दंगे में दूसरी तरफ से हरिराम और कैलाश माली की हत्या के मामले भी दर्ज हुए थे. हरिराम की हत्या में 8 लोगों को उम्रकैद की सजा हो चुकी है, जबकि कैलाश माली की हत्या में 5 लोग पहले ही बरी हो चुके हैं. इन 13 आरोपियों पर एक और हत्या का केस भी चल रहा है, जिस पर विशेष अदालत 24 अगस्त को फैसला सुनाएगी.

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