IND-PAK Tension पर ओवैसी के सरकार से 4 बड़े सवाल; पाक पर लगाया बड़ा इल्जाम
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam2752742

IND-PAK Tension पर ओवैसी के सरकार से 4 बड़े सवाल; पाक पर लगाया बड़ा इल्जाम

Owaisi on IND-PAK Tension: एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से चार बड़े सवाल किए हैं और साथ ही पाकिस्तान की मजम्मत की है. पूरी खबर पढ़ने के लिए स्क्रॉल करें.

IND-PAK Tension पर ओवैसी के सरकार से 4 बड़े सवाल; पाक पर लगाया बड़ा इल्जाम

Owaisi on IND-PAK Tension: भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान ने बीती शाम गोलाबारी की, जिसका भारत ने बखूबी जवाब दिया. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि अगर वह ऐसा करेगा तो उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे. अब पाकिस्तान की हरकतों को लेकर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी का बयान आया है. उनका कहना है कि पाकिस्तान के साथ स्थायी शांति संभव नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने सरकार से बड़े सवाल किए हैं.

क्या बोले असदुद्दीन ओवैसी?

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जब तक पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए अपनी जमीन इस्तेमाल करता रहेगा, तब तक उसके साथ स्थायी शांति मुमकिन नहीं है. सीजफायर हो या न हो, हमें पहलगाम हमले के जिम्मेदार आतंकवादियों का पीछा नहीं छोड़ना चाहिए. ओवैसी ने आगे कहा कि जब भी आक्रमण हुआ है मैं सरकार और आर्म्ड फोर्सेस के साथ खड़ा रहा हूं. यह समर्थन हमेशा रहेगा.

ओवैसी ने आगे लिखा,"मैं हमारी आर्म्ड फोर्सेस की बहादुरी और उनकी तारीफ लायक कुशलता के लिए शुक्रिया अदा करता हूं. मैं सेना के जवान एम. मुरली नायक, एडीडीसी राज कुमार थापा को ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश करता हूं और संघर्ष के दौरान मारे गए या घायल हुए सभी लोगों के लिए दुआ करता हूं." उन्होंने आगे कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि सीजफायर सीमा के इलाकों में रहने वाले लोगों को कुछ राहत देगा.

राजनीतिक दल लें सीख

इस दौरान ओवैसी ने कहा कि इस दौर से राजनीतिक दलों को सीख लेनी चाहिए. क्योंकि जब हम एक साथ होते हैं तो भारत मजबूत होता है और हमारे दुश्मन तब फायदा उठाते हैं जब हम आपस में लड़ते हैं. इसके साथ ही ओवैसी ने सरकार से चार सवाल किए और इसका जवाब मांगा है?

असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार से क्या किए सवाल?

  1. उन्होंने लिखा,"काश हमारे प्रधानमंत्री मोदी यह सीज़फायर का ऐलान करते, न कि किसी विदेशी देश के राष्ट्रपति यह करता. हम शिमला समझौते (1972) के बाद से तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का विरोध करते रहे हैं. अब हमने इसे क्यों कबूल किया? मुझे उम्मीद है कि कश्मीर मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंच पर नहीं जाएगा, क्योंकि यह हमारा आंतरिक मामला है.
  2. हम किसी तीसरी जगह पर बातचीत करने को क्यों तैयार हुए हैं? इन बातों का एजेंडा क्या होगा? क्या अमेरिका गारंटी देता है कि पाकिस्तान अपनी ज़मीन का आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं करेगा?
  3. क्या हमने पाकिस्तान को मुस्तकबिल (भविष्य) में आतंकवादी हमलों से रोकने का मकसद हासिल किया? क्या हमारा टारगेट ट्रंप के जरिए मध्यस्थता से सीज़फायर कराना था या पाकिस्तान को इस स्थिति में लाना था कि वह किसी और हमले का सपना भी न देख सके?
  4. हमें पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में बनाए रखने के लिए इंटरनेशनल कैंपेन जारी रखना चाहिए.

TAGS

Trending news

;