झांसी में मुहर्रम पर लगे खामनेई-PM मोदी के पोस्टर; शिया समुदाय ने हिंदू परंपरा से जोड़कर बताई वजह
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झांसी में मुहर्रम पर लगे खामनेई-PM मोदी के पोस्टर; शिया समुदाय ने हिंदू परंपरा से जोड़कर बताई वजह

Muharram Poster in Jhansi: मुहर्रम पर मुस्लिम समुदाय के लोग खासकर शिया समुदाय के लोगों ने पूरे अकीदत के साथ धार्मिक परंपराओं का पालन किया है. इस बार झांसी में शांतिपूर्ण ढंग से मुहर्रम मनाया गया और यहां पर लगाए गए पोस्टर्स ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा, जानें क्या है वजह? 

 

झांसी में मुहर्रम पर लगे खास पोस्टर
झांसी में मुहर्रम पर लगे खास पोस्टर

Jhansi News Today: उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में मुहर्रम के मौके पर शिया मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने घरों और मोहल्लों में खास पोस्टर लगाया, जिसकी खूब चर्चा हो रही है. दरअसल, शहर कोतवाली थाना क्षेत्र के दरीगिरान इलाके में शिया समुदाय के लोगों ने ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामनेई और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पोस्टर अपने घरों और दीवारों पर लगाए हैं. यह अनोखी पहल लोगों में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. 

शिया समुदाय के लोगों का कहना है कि अली खामनेई न सिर्फ ईरान के सुप्रीम लीडर हैं, बल्कि पूरी दुनिया के शिया मुसलमानों के धार्मिक रहबर भी हैं. उनका सम्मान करना हमारी धार्मिक परंपरा का हिस्सा है. इसी परंपरा के तहत मुहर्रम के मौके पर उनके पोस्टर लगाए जाते हैं. इस बार के पोस्टरों में अली खामनेई के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर भी है, जिसे दोनों देशों के बीच अच्छे रिश्तों और दोस्ती का प्रतीक बताया गया है.

क्या है तकलीद और कुल गुरु?

शिया समुदाय के सदस्य सैय्यद फैज अब्बास आब्दी ने बताया कि शिया मुस्लिमों में 'तकलीद' की परंपरा है, जो हिंदू समाज के 'कुल गुरु' की तरह होती है. दुनिया भर के शिया मुसलमान अपने- अपने धार्मिक रहबर को मानते हैं. उन्होंने बताया कि इस परंपरा के तहत कुछ लोग ईरान के अली खामनेई को मानते हैं तो कुछ अकीदतमंद इराक के अली सिस्तानी को अपना रहबर मानते हैं. इससे पहले इमाम खुमैनी को रहबर माना जाता था.

जीवित रहबरों का पोस्टर लगाने की है परंपरा

शिया हर साल मोहर्रम में अपने जीवित रहबरों के पोस्टर लगाते हैं. इस साल खास बात यह रही कि ईरान-इजराइल जंग के दौरान अली खामनेई की रणनीति को लेकर वैश्विक स्तर पर उनकी खूब चर्चा हुई. ऐसे में मुहर्रम पर उनकी तस्वीरों को लेकर लोगों में एक खास आकर्षण देखने को मिला है. शिया समुदाय के लोग मानते हैं कि यह धार्मिक आस्था और अंतरराष्ट्रीय संबंधों का सुंदर मिलन है.

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