Assam CM on Miya Muslims: असम में चल रहे बेदखली अभियान पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने साफ किया है कि यह कार्रवाई धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि अवैध कब्जे के खिलाफ की जा रही है लेकिन 'मिया मुस्लिम' समुदाय को निशाना बनाने के आरोपों से विवाद गहरा गया है.
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Assam CM on Miya Muslims: असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने आज (11 अगस्त) को साफ किया कि राज्य में चल रहा बेदखली अभियान किसी धर्म या पूरी अल्पसंख्यक आबादी के खिलाफ नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है जिन्होंने वन भूमि या सरकारी भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है. सीएम ने कहा कि यह कार्रवाई विशेष रूप से उन 'मिया-मुस्लिम' लोगों के खिलाफ की जा रही है जिन पर आरक्षित और वन क्षेत्रों में अवैध रूप से झोपड़ियां या घर बनाने का इल्जाम है.
असम में बंगाली भाषी मुसलमानों के लिए 'मिया मुस्लिम' शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. इनमें से कई लोगों को बाहरी या बांग्लादेशी मूल का भी माना जाता है. मुख्यमंत्री ने आगे कहा, "बेदखली अल्पसंख्यक क्षेत्रों में नहीं है. यह 'मिया-मुस्लिमों' के लिए है जिन्होंने वन या आरक्षित भूमि पर अतिक्रमण किया है."
उन्होंने कहा कि बोडो और मिसिंग जैसे आदिवासी समूह भूमि अधिकार ('पट्टा') के लिए पात्र हो सकते हैं लेकिन गैर-आदिवासी मौजूदा प्रावधानों के तहत वन भूमि पर दावा नहीं कर सकते. सीएम ने दावा किया कि 'मिया-मुसलमान' पहले से ही ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे उपजाऊ रेतीले तटबंधों, नदी के किनारे के 'चार' के विशाल हिस्सों पर नियंत्रण रखते हैं और उन्होंने शिवसागर, जोरहाट और गोलाघाट जैसे जिलों में उनके पलायन के खिलाफ चेतावनी दी.
बेदखली अभियान के खिलाफ धुबरी में अखिल असम अल्पसंख्यक छात्र संघ (AAMSU) द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री सरमा ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक प्रदर्शन सरकारी नीति को प्रभावित नहीं करेंगे. उन्होंने चेतावनी दी, "अगर AAMSU और शोर मचाएगा, तो और बेदखली की जाएगी." गोलाघाट और कार्बी आंगलोंग में साफ की गई ज़मीन को बड़े औद्योगिक समूहों को सौंपे जाने की अटकलों पर मुख्यमंत्री सरमा ने स्पष्ट किया कि पुनः प्राप्त क्षेत्रों का उपयोग वृक्षारोपण के लिए किया जा रहा है.