Sambhal Violence Accused: बीते साल 24 नवंबर 2024 को संभल में शाही जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई थी. इस घटना में पांच लोगों की मौत हो गई थी, जबकि पुलिस और अधिकारियों समेत कई लोग घायल हो गए थे. संभल पुलिस ने हिंसा के आरोपियों में से एक को लगभग सात महीने बाद गिरफ्तार किया है.
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Sambhal Violence Update: उत्तर प्रदेश के संभल में बीते साल 24 नवंबर 2024 को शाही जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हिंसा भड़क गई थी. इस मामले में पुलिस अब तक 89 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी हैं. घटना के लगभग सात महीने बाद पुलिस ने हिंसा में कथित 90वें आरोपी को गिरफ्तार किया है. हालांकि, इस गिरफ्तारी को लेकर कई तरह से सवाल खड़े हो रहे हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक, संभल हिंसा के बाद से आरोपी फरार फरार चल रहा था. यह इस मामले में कुल 90वीं गिरफ्तारी है. पुलिस ने आरोपी की पहचान अब्दुल समदके रुप में की है. आरोपी अब्दुल समद पर संभल हिंसा के दौरान पत्थरबाजी और आगजनी जैसे गंभीर आरोप हैं.
संभल सदर कोतवाली इलाके में हुई इस हिंसा के बाद से ही पुलिस लगातार आरोपियों की तलाश कर रही थी. गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने अब्दुल समद के खिलाफ कानूनी कार्रवाई पूरी की और उसे कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट के आदेश पर आरोपी को जेल भेज दिया गया है.
बता दें, बीते साल 24 नवंबर 2024 को कोर्ट के आदेश पर एक टीम ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची थी. दूसरे दिन जब सर्वे टीम मस्जिद का सर्वे करने पहुंची थी तो स्थानीय निवासियों और अधिकारियों से उनकी बहस हो गई. इसी दौरान पुलिस ने भीड़ को हटाने के लिए हल्का बल प्रयोग किया, जिससे मौके पर मौजूद भीड़ भड़क गई और वहां पर पत्थरबाजी शुरू हो गई.
पत्थरबाजी और गोलीबारी में पांच मुस्लिम नौजवानों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे, जबकि भीड़ ने कई गाड़ियों में आग लगा दिया था. यह सर्वे मंगलवार (19 नवंबर 2024) को चंदौसी कोर्ट के सिविज जज आदित्य सिंह ने दिया था. इसी दिन मंगलवार दोपहर को यह याचिका दायर की गई थी और उसी दिन महज कुछ ही घंटों के भीतर कोर्ट ने एक एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर दिया.
इतना ही नहीं कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर की टीम को उसी दिन मस्जिद शुरुआती सर्वे का आदेश दिया, जिसे पूरा भी कर लिया गया. कोर्ट ने आदेश दिया था कि सर्वे की रिपोर्ट को 29 नवंबर तक कोर्ट में दाखिल किया जाए. कोर्ट ने यह आदेश तब दिया जब एक याचिका में दावा किया गया था कि 1526 में मस्जिद के निर्माण के लिए एक मंदिर को तोड़ा गया था.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, चंदौसी की शाही जामा मस्जिद एक संरक्षित स्मारक है. इसे प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 की धारा 3, उप-धारा (3) के तहत 22 दिसंबर, 1920 को अधिसूचित किया गया था. इसे "राष्ट्रीय महत्व का स्मारक" घोषित किया गया है और यह ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण), आगरा सर्किल मुरादाबाद डिवीजन की वेबसाइट पर केंद्रीय रूप से संरक्षित स्मारकों की लिस्ट में भी शामिल है