Devbhoomi Sangharsh Samiti on Sanjauli Masjid: संजौली मस्जिद के खिलाफ देवभूमि संघर्ष समिति का विरोध बढ़ता जा रहा है. मंगलवार को देवभूमि संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने मस्जिद पर जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करने की कोशिश की तो वहीं अब मस्जिद में जुमे की नमाज पर पाबंदी लगाने की मांग शुरू कर दी है.
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Sanjauli Masjid Controversy: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में स्थित संजौली मस्जिद मामला ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है. देवभूमि संघर्ष समिति के साथ हिंदू संगठनों ने मंगलवार (20 मई) को मस्जिद के नजदीक जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करने की कोशिश की. देवभूमि संघर्ष समिति का दावा है कि जिस स्थान पर मौजूदा वक्त में मस्जिद है, वह जमाबंदी में गण देवता के स्थान के तौर पर रजिस्टर है.
देवभूमि संघर्ष समिति ने मांग की कि अगर पुलिस प्रशासन हिंदू संगठनों को वहां जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करने से रोक रहा है, तो नगर निगम शिमला कोर्ट की ओर से निर्माण अवैध घोषित होने के बाद शुक्रवार को जुमे की नमाज पर भी रोक लगायी जानी चाहिए. इस मांग के बाद अब शिमला प्रशासन के सामने एक बार फिर कानून-व्यवस्था दुरुस्त रखने की चुनौती पैदा हो गई है.
देवभूमि संघर्ष समिति जुमे की नमाज को लेकर चेतावनी जारी की है. देवभूमि संघर्ष समिति सह संयोजक विजय शर्मा और मदन ठाकुर ने कहा कि अगर शुक्रवार को यहां नमाज पढ़ी गयी, तो 11 सितंबर 2024 की तरह ही प्रदेश के सभी हिंदुओं को संजौली में इकट्ठा होने का आह्वान किया जाएगा और बड़े स्तर पर प्रदर्शन किया जाएगा. इसके बाद की जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन की होगी.
वहीं, मुस्लिम स्कॉलर मुमताज अहमद कासमी ने कहा कि वे शहर में शांति बनाए रखना चाहते हैं. कुछ लोग घमंड में मुसलमानों को डराने की कोशिश कर रहे हैं. घमंड रावण को भी था, जिसे भगवान राम ने चूर कर दिया. उन्होंने कहा कि कुछ लोग मुसलमानों को डराने की कोशिश कर रहे हैं, तो उन्हें अल्लाह ही जवाब देगा.
देवभूमि संघर्ष समिति के पदाधिकारियों की तरफ से मस्जिद की जगह पर गणदेवता का स्थान होने के दावे का भी मुमताज अहमद कासमी ने खंडन किया. उन्होंने कहा कि मस्जिद में जाकर हनुमान चालीसा पढ़ने की इजाजत न तो वे दे सकते हैं और न ही ऐसा करने की इजाजत भारतीय संविधान में हैं. यह सही नहीं माना जा सकता है.
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान का कहना है कि सरकार का प्रशासन पर कोई दबाव नहीं है. कुछ लोग अपनी सियासी रोटी सेंकने की कोशिश कर रहे हैं. यह मामला कोर्ट से जुड़ा हुआ है. सभी के पास कोर्ट में अपील करने का अधिकार है. कुछ लोगों का यह कहना कि सरकार का प्रशासन पर दबाव है, यह सरासर गलत है.
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