अदालतों में औरतों की कोई जगह नहीं? तालिबान ने सभी महिला जजों को किया बर्खास्त!
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अदालतों में औरतों की कोई जगह नहीं? तालिबान ने सभी महिला जजों को किया बर्खास्त!

Afghanistan News: संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञ की एक रोपोर्ट से चौंका देने वाला खुलासा हुआ है. इस रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने सभी महिला जोजों को बर्खास्त कर दिया है. बता दें कि तालिबान सरकार में इस तरह की महिला विरोधी फैसले आम बात हो गई है. पूरी खबर जानने के लिए नीचे स्क्रॉल करें. 

अदालतों में औरतों की कोई जगह नहीं? तालिबान ने सभी महिला जजों को किया बर्खास्त!

Afghanistan News: आफगानिस्तान की तालिबान सरकार पर महिलाओं के खिलाफ अत्याचार करने और उनके अधिकारों का उल्लंघन करने के आरोप लगते रहते हैं. अब एक संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञ की एक रिपोर्ट ने चौंका देने वाला खुलासा किया है. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञ रिचर्ड बेनेट ने अपनी रिपोर्ट में अफगानिस्तान में तालिबान शासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि तालिबान ने देश की न्यायिक और क़ानूनी व्यवस्था को महिलाओं और लड़कियों पर अत्याचार का जरिया बना दिया है. जो, सीधे-सीधे "मानवता के खिलाफ अपराध" के दायरे में आता है.

2021 में सत्ता में आने के बाद तालिबान ने अफगान संविधान (2004) और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने वाले सभी कानूनों को निलंबित कर दिया। खासतौर पर वो ऐतिहासिक कानून भी खत्म कर दिए गए, जो बलात्कार, बाल विवाह और जबरन निकाह जैसे 22 अपराधों को महिलाओं के खिलाफ हिंसा माना करता था.

रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान ने सभी महिला जजों को बर्खास्त कर दिया और उनकी जगह ऐसे पुरुषों को नियुक्त किया गया जिनके पास न कानूनी योग्यता है और न ही अनुभव. वे केवल तालिबानी फरमानों के आधार पर फैसले लेते हैं.

महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और सार्वजनिक जीवन में भागीदारी पर तालिबान ने पहले से ही पाबंदियां लगा रखी हैं. छठी कक्षा के बाद लड़कियों की पढ़ाई बंद कर दी गई है, महिलाएं पार्क, जिम, सैलून तक नहीं जा सकतीं, और अब तो उनके आवाज उठाने तक पर रोक है.

रिचर्ड बेनेट ने बताया कि उन्होंने 110 अफगान नागरिकों से बातचीत की, लेकिन तालिबान ने उन्हें अफगानिस्तान आने का वीजा नहीं दिया. उन्होंने यह भी बताया कि अब अदालती मामलों में कोई महिला वकील, जज या अभियोजक नहीं बची हैं, जिससे महिलाओं के लिए इंसाफ तक पहुंच लगभग नामुमकिन हो गई है.

महिला शिकायतकर्ताओं को न्याय पाने के लिए अपने साथ मर्द रिश्तेदार ले जाना जरूरी होता है, जिससे विधवाएं, अकेली महिलाएं और विकलांग महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं. कई बार महिलाएं जिरगा या शूरा जैसी पारंपरिक पुरुष प्रधान पंचायतों की ओर मुड़ती हैं, जहां उनके अधिकारों को लेकर गम्भीर चिंता जताई गई है.

बेनेट ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट से दो वरिष्ठ तालिबान नेताओं पर लिंग आधारित अपराधों को लेकर गिरफ्तारी वारंट जारी करने की मांग का भी समर्थन किया. उन्होंने दुनिया के देशों से अपील की कि वे तालिबान को अंतरराष्ट्रीय अदालत में घसीटने के लिए साथ आएं.

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