Waqf Act 2025: वक्फ उम्मीद पोर्टल को लेकर लगातार विरोध जारी है. अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे गैरकानूनी बताया है. पूरी खबर पढ़ने के लिए स्क्रॉल करें.
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Waqf Act 2025: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने केंद्र सरकार के जरिए प्रस्तावित 'वक़्फ़ 2025' कानून और उससे जुड़े 'वक़्फ़ उम्मीद पोर्टल' की कड़ी आलोचना की है. बोर्ड के चीफ मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने एक प्रेस नोट जारी कर सरकार की इस पहल को गैरकानूनी और न्यायालय की अवमानना करार दिया है.
मौलाना रहमानी ने कहा कि वक़्फ़ 2025 कानून इस समय सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और देश के सभी प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने इसे साफ तौर पर खारिज कर दिया है. उन्होंने यह भी बताया कि सिख, ईसाई और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के साथ-साथ कई मानवाधिकार संगठनों और विपक्षी दलों ने भी इस कानून को अस्वीकार्य बताया है.
बावजूद इसके, सरकार 6 जून से वक़्फ़ उम्मीद पोर्टल की शुरुआत कर रही है, जिसके तहत वक़्फ़ प्रॉपर्टीज का रजिस्ट्रेशन जरूरी कर दिया गया है. बोर्ड का कहना है कि यह पूरा प्रोसेस उस कानून पर आधारित है, जिसे अदालत में चुनौती दी गई है और जिसे संविधान के खिलाफ बताया गया है. ऐसे में यह कदम न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि न्यायालय की अवमानना भी है.
मौलाना रहमानी ने मुस्लिम समुदाय और सभी राज्य वक़्फ़ बोर्डों से अपील की है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कोई निर्णय नहीं देता, तब तक वक़्फ़ उम्मीद पोर्टल पर वक़्फ़ प्रॉपर्टीज का रजिस्ट्रेशन न किया जाए. उन्होंने मुतवल्लियों (प्रबंधकों) से गुजारिश की है कि वे इससे जुड़े अधिकारियों को स्मारक-पत्र (मेमोरेंडम) सौंपें और यह मांग रखें कि न्यायालय के आखिरी फैसले से पहले किसी प्रकार की कार्रवाई न की जाए.
बता दें, इस कानून की मुखालिफत मुस्लिम समाज का एक बड़ा हिस्सा कर रहा है, इसके साथ ही मुस्लिम तंजीमों ने भी इस कानून को संविधान के खिलाफ बताया है. ये मामला फिलहाल कोर्ट में है.