Mamata Banerjee on Assam NRC: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए बंगाल के लोगों की पहचान मिटाने के आरोप लगाए हैं. इस मौके पर मुसलमानों के खिलाफ हिमंता बिस्वा सरमा की एकतरफा कार्रवाई को लेकर ममता बनर्जी का बड़ा बयान सामने आया है.
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West Bengal News Today: असम की हिमंता बिस्वा सरमा सरकार लगातार मुसलमानों को निशाना बना रही है. हालिया दिनों कई भारतीय शहरियों को बांग्लादेशी करार देते हुए 'नो मैंस लैंड' में पुशबैक कर दिया था. जिसकी भारत समेत दुनियाभर में आलोचना हो रही है. वहीं, अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार (8 जुलाई) को असम की बीजेपी सरकार पर जुबानी बोला.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार पश्चिम बंगाल के कूचबिहार के एक निवासी को घुसपैठिया बताकर उसे परेशान कर रही है. सीएम ममता ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "मैं यह जानकर हैरान और बहुत परेशान हूं कि असम में विदेशी न्यायाधिकरण ने कूचबिहार के दिनहाटा के रहने वाले उत्तम कुमार ब्रजबासी को एनआरसी नोटिस जारी किया है. वे राजबंशी हैं और 50 साल से ज्यादा समय से यहां रह रहे हैं. वैध दस्तावेज पेश करने के बावजूद उन्हें 'विदेशी या अवैध प्रवासी' होने के संदेह में परेशान किया जा रहा है."
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह घटनाक्रम लोकतंत्र पर व्यवस्थित हमला है. उन्होंने कहा, "हालिया घटनाक्रम इस बात के सबूत हैं कि असम में सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार बंगाल में एनआरसी लागू करने की कोशिश कर रही है." उन्होंने कहा, "हाशिए पर पड़े समुदायों को डराने, उनके अधिकारों को छीनने और उन्हें निशाना बनाने की एक प्री प्लान कोशिश की जा रही है. यह असंवैधानिक अतिक्रमण जनविरोधी है और लोकतांत्रिक सुरक्षा उपायों को ध्वस्त करने और बंगाल के लोगों की पहचान मिटाने के बीजेपी के खतरनाक एजेंडे को उजागर करता है."
ममता बनर्जी ने सभी गैर-बीजेपी दलों से ऐसे घटनाक्रमों पर एकजुट होने की अपील की है. सीएम ममता ने कहा कि यह नाजुक सूरते हाल सभी विपक्षी दलों के बीच बीजेपी की विभाजनकारी और दमनकारी मशीनरी के खिलाफ खड़े होने के लिए फौरन एकजुट होने की मांग करती है. उन्होंने कहा, "बंगाल चुपचाप नहीं बैठेगा क्योंकि भारत का संवैधानिक ताना-बाना बिखर रहा है."
कूचबिहार जिले के दिनहाटा के रहने वाले एक शख्स का मामला सबसे पहले तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद समीरुल इस्लाम ने उठाया था. उन्होंने कहा था, "जो शख्स 1966 में वोटर लिस्ट में शामिल हुआ था, उसे एनआरसी (नागरिकता रजिस्टर) का नोटिस कैसे दिया जा सकता है?"
पिछले महीने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों से पहले भारत के चुनाव आयोग के जरिये जारी किए गए नए वोटर लिस्ट संशोधन दिशा निर्देशों पर सवाल उठाया था. उन्होंने आशंका जताई की ये नए दिशा निर्देश एनआरसी के लागू करने की दिशा में एक और कदम हो सकते है. उन्होंने यह भी दावा किया कि हालांकि ये नए दिशा निर्देश इस साल बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जारी किए गए हैं, लेकिन इन नए दिशा निर्देशों का खास मकसद पश्चिम बंगाल है, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस बयान के बाद बीजेपी नेताओं ने भी पलटवार किया. पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि ममता बनर्जी को अब एहसास हो गया है कि बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए, जिनमें रोहिंग्या से ताल्लुक रखने वाले लोग भी शामिल हैं. वह लंबे समय से उनके समर्पित वोट बैंक रहे हैं, अब बाहर निकाल दिए जाएंगे. हालांकि, बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर किए जा रहे दावे से केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि सीमा सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के अधीन आता है.