Bangladesh Political Crisis: बांग्लादेश में चुनाव सुधारों के नाम पर आगामी आम चुनावों को टाल दिया गया है, जिससे देश में राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है. अवामी लीग पर सत्ता बचाने के आरोप लग रहे हैं, वहीं विपक्ष इस फैसले को लोकतंत्र पर हमला बता रहा है.
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Bangladesh Political Crisis: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने आश्वासन दिया है कि देश में अगले साल चुनाव होंगे. हालांकि, अवामी लीग इलेक्शन लड़ पाएगी या नहीं, इस पर अनिश्चितता बनी हुई है, जबकि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी को फिलहाल सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है.
बीएनपी चाहती थी कि चुनाव दिसंबर 2025 से पहले हों, लेकिन अंतरिम सरकार का कहना है कि जरूरी सुधारों के लिए अगले साल अप्रैल तक का समय लगेगा. यूनुस और बीएनपी के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान के बीच हुई बैठक में सहमति बनी कि चुनाव फरवरी 2026 तक कराए जा सकते हैं. यूनुस का साफ कहना है कि जब तक संवैधानिक, न्यायिक स्वतंत्रता, प्रेस स्वतंत्रता और चुनावी प्रक्रिया में सुधार पूरे नहीं होते, चुनाव नहीं होंगे.
भारत भी इस पूरे घटनाक्रम पर करीबी नजर रखे हुए है और उसने बार-बार कहा है कि बांग्लादेश में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार होनी चाहिए. सवाल यह है कि क्या फरवरी 2026 से पहले सभी सुधार पूरे हो पाएंगे.
शेख हसीना का सत्ता से बाहर होना छात्रों के बड़े आंदोलन के कारण हुआ, जिसमें सुरक्षा बलों ने बल प्रयोग किया था. जनता की पहली मांग है कि हसीना के वफादार सुरक्षा अधिकारियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए.
अवामी लीग का कहना है कि इन मामलों में दर्ज मुकदमे राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित हैं, लेकिन हकीकत यह है कि जनता का सुरक्षा तंत्र से भरोसा उठ चुका है. यही अविश्वास रोजाना हिंसा और अराजकता को बढ़ावा दे रहा है. सेना भी हालात को संभालने में सतर्क रवैया अपना रही है, जिससे कानून-व्यवस्था बिगड़ रही है. इसी बीच, अवामी लीग चुनाव लड़ेगी या नहीं, यह अभी तय नहीं है.
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ए.एम.एम. नासिरुद्दीन ने कहा है कि जब तक अंतरिम सरकार या न्यायपालिका प्रतिबंध नहीं लगाती, अवामी लीग चुनाव लड़ सकती है लेकिन यूनुस, बीएनपी, जमात-ए-इस्लामी और नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) सभी इस पार्टी के खिलाफ हैं. अगर अवामी लीग पर पाबंदी लगती है, तो उसके मजबूत जनाधार के कारण बड़े पैमाने पर हिंसा की आशंका है.