श्रम के वेश में घुसपैठ, नूंह में ईंट भट्टे से 23 अवैध बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार
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श्रम के वेश में घुसपैठ, नूंह में ईंट भट्टे से 23 अवैध बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार

Illegal Bangladeshi- Rohingya in Nuh: शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों के डिपोर्ट पर रोक लगाने से इंकार कर दिया. इसके बाद आज नूंह पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कई अवैध बांग्लादेशी नगारिकों को गिरफ्तार किया है, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं.

 

फाइल फोटो
फाइल फोटो

Haryana News Today: हरियाणा समेत देशभर केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. इसी कड़ी में हरियाणा के नूंह जिले के सदर थाना क्षेत्र में अवैध रुप से रहे 23 बांग्लादेशी नागरिकों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. यह सभी गांव में बने एक स्थानीय ईंट भट्टे में मजदूरी का काम करते थे. 
 
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि नूंह पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार के निर्देशा पर जिले में अपराधों पर पूरी तर से अंकुश लगाने के लिए कार्रवाई की जा रही है. शुक्रवार को भी एक गुप्त सूचना के आधार पर यह कार्रवाई की गई. पुलिस के मुताबिक, इस कार्रवाई के दौरान ईंट भट्टे से अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है. 

अवैध बांग्लादेशियों की जांच शुरू

पुलिस ने आगे बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपी बाजडका गांव के बिहारी ईंट भट्टे से पकड़े गए हैं. यह सभी लोग बिना वैध दस्तावेजों के जिले में रह रहे थे. पुलिस के मुताबिक, पकड़े गए बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ नियमों के तहत कार्रवाई शुरू कर दी गई है. उनके दस्तावेजों की जांच की जा रही है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि यह लोग कब और कैसे अवैध रुप से भारत में दाखिल हुए हैं.

नूंह पुलिस की तरफ से जारी सूचना में कहा गया है कि जिले में अवैध घुसपैठियों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी. पुलिस ने स्थानीय ईंट भट्टा मालिकों और अन्य व्यवसायियों से अपील की है कि वे अपने कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन अनिवार्य रूप से कराएं. पुलिस ने कहा कि पकड़े गए बांग्लादेशियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जा रही है.

अवैध विदेशी नागिरकों पर कोर्ट ने क्या कहा?

बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (16 मई) को एक याचिका पर सवाल उठाए जिसमें दावा किया गया था कि भारत सरकार ने 43 रोहिंग्या शरणार्थियों को जबरन समुद्र में छोड़कर म्यांमार भेज दिया गया. दावा किया गया कि जिनमें महिलाएं, बच्चे और गंभीर रुप से बीमार लोग शामिल थे. 

याचिकाकर्ता ने इसे मानवाधिकार उल्लंघन बताया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका में ठोस सबूत न होने पर संदेह जताया. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि इस तरह के आरोप बिना ठोस आधार के स्वीकार नहीं किए जा सकते है. कोर्ट ने याचिका को 'गढ़ी गई' कहानी करार दिया. कोर्ट ने सवाल खड़ा किया कि "हर दिन एक नई कहानी आती है, लेकिन उसका आधार क्या है?"

वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता को म्यांमार तट से कॉल आई थी और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHCHR) ने मामले की जांच शुरू की है. कोर्ट ने कहा कि अगर कोई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट है तो उसे रिकॉर्ड में पेश किया जाए, लेकिन यह भारत की संप्रभुता को चुनौती नहीं दे सकती. फिलहाल कोर्ट अवैध विदेशी नागरिकों के डिपोर्ट करने के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. 

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