Afghanistan News: कजाकिस्तान के अल्माटी में संयुक्त राष्ट्र का नया क्षेत्रीय केंद्र खोला गया है, जो मध्य एशिया और अफगानिस्तान में जलवायु संकट, बेरोजगारी और सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा.
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Afghanistan News: अब मध्य एशिया और अफगानिस्तान जैसे देशों में विकास की रफ्तार और मज़बूती से बढ़ेगी, क्योंकि कजाकिस्तान के सबसे बड़े शहर अल्माटी में संयुक्त राष्ट्र का एक नया क्षेत्रीय केंद्र खोल दिया गया है. इसका मकसद है इन देशों में सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) को आगे बढ़ाना और मिलकर काम करने के रास्ते खोलना.
इस केंद्र की शुरुआत के मौके पर खुद संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायव मौजूद थे. गुटेरेस ने कहा, "आज की दुनिया बहुत सारी जटिल और आपस में जुड़ी हुई समस्याओं से जूझ रही है. जैसे कि जलवायु परिवर्तन, बेरोजगारी, जल संकट और टेक्नोलॉजी तक पहुंच का अभाव. ये सारी चीजें मिलकर विकास की राह में रुकावट बन रही हैं."
गुटेरेस ने ये भी कहा, "ये नया केंद्र अब संयुक्त राष्ट्र, सरकारों और आम लोगों को एक मंच पर लाकर इन समस्याओं को मिलकर सुलझाने का काम करेगा. खासकर जलवायु बदलाव, युवा बेरोजगारी, पानी की कमी और डिजिटल गैप जैसे मुद्दों पर यहां से मिलकर समाधान निकाले जाएंगे."
सबसे खास बात ये है कि इस केंद्र के ज़रिए अफगानिस्तान में भी शांति और आत्मनिर्भरता लाने की कोशिश की जाएगी. अफगान महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों की रक्षा करना भी इस केंद्र का एक अहम उद्देश्य होगा. ये केंद्र बाकी क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर अफगानिस्तान को एक स्थिर और सम्मानजनक भविष्य देने की दिशा में काम करेगा.
राष्ट्रपति टोकायव ने भी अपने भाषण में बताया कि इस वक्त दुनिया में काफी उथल-पुथल है. कहीं युद्ध चल रहे हैं, कहीं खाद्य संकट है, तो कहीं प्राकृतिक आपदाएं हो रही हैं. ऐसे समय में संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्था की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है. टोकायव ने उम्मीद जताई कि यह नया केंद्र मध्य एशिया के देशों को आपस में जोड़ने और मिलकर आगे बढ़ने में मदद करेगा.
इस केंद्र की स्थापना से ये भी साफ होता है कि अब मध्य एशिया दुनिया के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम बनता जा रहा है. इस केंद्र की मदद से ना सिर्फ आपसी सहयोग बढ़ेगा, बल्कि आर्थिक मजबूती, तकनीकी नवाचार और टिकाऊ विकास को भी बढ़ावा मिलेगा. संयुक्त राष्ट्र का यह कदम यह भी दर्शाता है कि अब अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं सिर्फ बयान नहीं, बल्कि ज़मीन पर उतर कर बदलाव लाने में जुटी हैं.