Jokihat Assembly Election 2025: जोकीहाट विधानसभा सीट पर पहला चुनाव 1967 में हुआ था. अब तक इस सीट पर 16 चुनाव हो चुके हैं. इन सभी चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. इस सीट के समीकरण के बारे में बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं.
Trending Photos
Jokihat Assembly Election 2025: बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इस बीच, अररिया जिले की जोकीहाट विधानसभा सीट सबसे ज़्यादा चर्चा में है. आखिर इस सीट से किस पार्टी का उम्मीदवार जीतेगा? 1967 से इस सीट पर मुसलमानों का कब्ज़ा क्यों है? हम आपको इस सीट के समीकरण के बारे में बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं.
दरअसल, जोकीहाट विधानसभा सीट पर पहला चुनाव 1967 में हुआ था. अब तक इस सीट पर 16 चुनाव हो चुके हैं. इन सभी चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. यह सीट जोकीहाट प्रखंड और पड़ोसी पलासी प्रखंड की 11 पंचायतों को मिलाकर बनी है. यहां मुस्लिम मतदाताओं की आबादी लगभग 66 फीसद है. यही वजह है कि अब तक यहां से कोई भी हिंदू उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया है.
तस्लीमुद्दीन परिवार का दबदबा
इस सीट की राजनीति पर लंबे वक्त तक पूर्व केंद्रीय मंत्री मोहम्मद तस्लीमुद्दीन और उनके परिवार का दबदबा रहा. तस्लीमुद्दीन और उनके बेटों ने कुल 16 में से 11 बार यह सीट जीती. तस्लीमुद्दीन ने कांग्रेस, जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और जीते.
भाई-भाई के बीच राजनीतिक जंग
1996 के बाद उनके बेटे सरफराज आलम ने राजनीतिक बागडोर संभाली. उन्होंने जदयू और राजद, दोनों के टिकट पर चुनाव जीता, लेकिन 2020 में बड़ा उलटफेर हुआ. इस बार सरफराज को उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम ने हराया, जो उस समय AIMIM के टिकट पर थे. जीत के बाद शाहनवाज राजद में शामिल हो गए. भाई-भाई के बीच यह राजनीतिक जंग अब भी जारी है. माना जा रहा है कि 2025 में यदि किसी एक को टिकट नहीं मिला, तो वह दूसरे दल से चुनाव लड़ सकता है. यह सीट मुस्लिम वोटों के बंटवारे और रणनीतिक उम्मीदवार चयन के कारण बेहद दिलचस्प हो सकती है.
बीजेपी का अब तक शून्य रिकॉर्ड
बीजेपी ने इस सीट पर कभी जीत दर्ज नहीं की है। वह हमेशा हिंदू उम्मीदवारों को उतारती रही है, यह सोचकर कि मुस्लिम वोटों के बंटवारे से फायदा होगा, लेकिन हर बार उसे हार का सामना करना पड़ा है। 2024 लोकसभा चुनाव में भी अररिया सीट भले भाजपा ने जीती हो, लेकिन जोकीहाट क्षेत्र में राजद के शाहनवाज आलम ने भाजपा उम्मीदवार को 64,968 वोटों से हराया।
2025 में क्या होगा खास?
राजद के पास तस्लीमुद्दीन की विरासत और मज़बूत मुस्लिम आधार है, लेकिन AIMIM की दावेदारी और जदयू की संभावित मुस्लिम उम्मीदवार की रणनीति मुकाबले को दिलचस्प बना सकती है. माना जा रहा है कि एआईएमआईएम का उम्मीदवार इस सीट से जीतेगा. यहां के मतदाता सिर्फ़ धर्म के आधार पर ही नहीं, बल्कि पारिवारिक पहचान, स्थानीय जुड़ाव और पार्टी की स्थिति के आधार पर भी वोट करते हैं. अब देखना यह है कि इस सीट पर AIMIM का उम्मीदवार कौन होता है और यहां के मुसलमानों का रुख़ क्या रहता है.