Iran dimezed American Air Base: पिछले महीने अमेरिका ने ईरान के फोर्दो समेत तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया था, जिसके बाद ईरान ने अमेरिकी एयरबेस पर मिसाइलों से जवाबी कार्रवाई की थी. अमेरिका इस हमले में हुए नुकसान को छिपा रहा था. अमेरिका का दावा था कि ईरानी हमले में उनके मिलिट्री एयबेस को कोई नुकसान नहीं हुआ है. लेकिन प्लैनेट लैब्स ने एक सेटेलाइट तस्वीर जारी करके अमेरिकी एयरबेस पर हुए नुकसा का खुलासा किया है.
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Iran dimezed American Air Base: ईरान-इजरायल जंग में अमेरिका ने इजरायल का साथ देते हुए ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर पिछले महीने 22 जून को बंबारी किया था. इस हमले के बाद ईरान ने साफ तौर पर अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने का ऐलान कर दिया था. ईरान ने अमेरिकी बमबारी के कुछ ही घंटे बाद कतर स्थित अल उदीद अमेरिका एयरबेस पर हमला करके दुनिया को चौंका दिया था.
वहीं, अमेरिका और कतर ने दावा किया था कि ईरान की ओर से दागी गई ज्यादातर मिसाइलों को हवा में निष्क्रिय कर दिया गया और एकात मिसाइलें खाली जगह पर गिरी हैं, जिससे कोई नुकसान नहीं हुआ है. अब एक सेटेलाइट तस्वीर सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है. इस तस्वीर ने अमेरिका की पोल खोल दी है. इस सेटेलाइट तस्वीर में अमेरिकी बेस पर ईरानी हमले में हुए नुकसान साफ तौर पर दिख रहे हैं.
दरअसल, इस तस्वीर को प्लैनेट लैब्स (PBC) ने जारी किया है, जिसे एसोसिएटेड प्रेस ने विशलेषित किया है. इस विश्लेषण ने अमेरिका की पोल खोलकर रख दी है. विश्लेषण में बताया गया है कि ईरानी हमले से कुछ घंटे पहले अल उदीद अमेरिकी एयबेस पर एक जियोडेसिक गुंबद (जिसे रेडोम के नाम से जाना जाता है) मौजूद था, लेकिन हमले के बाद की तस्वीर में वह गुबंद नहीं दिख रहा है. बता दें कि उस गुंबदनुमा स्ट्रक्चर में अमेरिकी सेना के जरिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रमुख कम्युनिकेशन तकनीक और मशीन रखे हुए थे.
प्लैनेट लैब्स के जिरए जारी इस सेटेलाइट तस्वीर में एक स्ट्रक्टर के जलने के निशान दिखाई दे रहे हैं और बगल की एक बिल्डिंग को भी कुछ नुकसान पहुँचा है. बता दें कि अल उदीद एयरबेस को अमेरिकी वायु सेना के 379वें वायु अभियान विंग, के जिरिए संचालित किया जाता है. साथ ही इस एयर बेस की खासियत यह है कि यहां पर एडवांस मिलिट्री कम्युनिकेशन सिस्टम को स्थापित किया गया है, जो मिडिल ईस्ट में अमेरिका के सैन्य अभियान में मदद करती है. साल 2016 में 15 मिलियन डॉलर की लागत से इस उपकरण को स्थापित किया गया था.