Google Acquires Wiz: गूगल ने इस डील को मजबूती देने के लिए ब्रेकअप शुल्क को 3.2 बिलियन डॉलर से ज्यादा कर दिया, जो कुल डील का 10% हिस्सा था. अगर किसी कारण रेग्युलेटर बाधाओं के कारण यह डील रद्द होती तो गूगल Wiz को यह बड़ी रकम चुकाने को तैयार था.
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Google Acquisition: गूगल ने साइबर सिक्योरिटी फर्म Wiz को 32 बिलियन डॉलर (करीब 2.6 लाख करोड़ रुपये) में खरीदने का करार किया है. यह अधिग्रहण (acquisition) तकनीकी जगत के सबसे बड़े सौदों में से एक माना जा रहा है. यह सौदा डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद तेजी से आगे बढ़ा. उम्मीद जताई जा रही थी कि नई सरकार के तहत रेग्युलेटर (regulatory) वातावरण पहले से ज्यादा अनुकूल होगा. पहले जुलाई 2023 में गूगल ने Wiz को 23 बिलियन डॉलर में खरीदने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 32 बिलियन डॉलर कर दिया गया.
साल 2023 में नहीं बन पाई थी बात
इसके अलावा, गूगल ने इस करार को ज्यादा मजबूती देने के लिए ब्रेकअप शुल्क (breakup fee) को 3.2 बिलियन डॉलर से ज्यादा कर दिया, जो कुल डील का 10% हिस्सा था. इसका मतलब यह था कि अगर किसी कारण रेग्युलेटर बाधाओं के कारण यह डील रद्द होती तो गूगल Wiz को यह बड़ी रकम चुकाने को तैयार था. इससे पहले भी गूगल और Wiz के बीच यह डील होने वाली थी. लेकिन 2023 में यह बातचीत नहीं बन पाई. उस समय Wiz के अधिकारियों ने पब्लिकली शेयर बेचकर पूंजी जुटाने (IPO) का फैसला किया था. इस कारण उन्होंने गूगल का प्रस्ताव ठुकरा दिया.
ट्रंप सरकार आने के बाद सौदे को बढ़ावा मिला
20 जनवरी 2025 को ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद इस करार को लेकर चर्चाएं फिर से शुरू हो गईं. ट्रंप प्रशासन में कुछ प्रमुख नियुक्तियों के कारण इस करार को हरी झंडी मिलने की संभावना बढ़ गई. इसमें मुख्य रूप से एंड्रू फर्ग्यूसन (Andrew Ferguson) को फेडरल ट्रेड कमिशन (FTC) का चेयरमैन और गेल स्लेटर (Gail Slater) को न्याय विभाग (DOJ) में एंटीट्रस्ट (antitrust) मामलों का प्रमुख बनाए जाने से Wiz और Google के अधिकारियों को भरोसा मिला कि वे नियामकीय बाधाओं को पार कर लेंगे.
ट्रंप प्रशासन के आने के बाद स्थिति बदल गई
पिछली सरकार के दौरान बाजार में एक निगेटिव माहौल बन गया था. खासतौर पर जब Adobe की तरफ से 20 बिलियन डॉलर में Figma को खरीदने का करार एंटीट्रस्ट कानून की वजह से रद्द कर दिया गया. ऐसे में Wiz के अधिकारी चिंतित थे कि उनकी डील भी फेल हो सकती है, लेकिन ट्रंप प्रशासन के आने के बाद स्थिति बदल गई. गूगल पहले से ही अमेरिका के न्याय विभाग (DOJ) की तरफ से दो बड़े मुकदमों का सामना कर रहा है. पहला मुकदमा सर्च इंजन मार्केट में मोनोपॉली (monopoly) बनाए रखने को लेकर और दूसरा विज्ञापन तकनीक (ad technology) से जुड़ी प्रतिस्पर्धा विरोधी गतिविधियों को लेकर है.
गूगल अपने एक्टेंशन की रणनीति पर आगे बढ़ रहा
इन मुकदमों के बावजूद गूगल अपने एक्टेंशन की रणनीति पर आगे बढ़ रहा है. Wiz का अधिग्रहण इसी दिशा में बड़ा कदम है. गूगल ने Wiz के अधिग्रहण में दिलचस्पी इसलिए भी दिखाई क्योंकि यह कंपनी बेहद तेजी से आगे बढ़ रही है. Wiz की एनुअल रेवेन्यू ग्रोथ (Annual Revenue Growth) 70% है और इसका सालाना राजस्व 700 मिलियन डॉलर के पार जा चुका है. यह कंपनी क्लाउड सिक्योरिटी (cloud security) के क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ के लिए जानी जाती है और गूगल की क्लाउड सेवाओं को सुरक्षित बनाने में मदद कर सकती है. इस डील को पूरा करने में गूगल और Wiz दोनों ही कंपनियों के कुछ अधिकारियों की अहम भूमिका रही.