America Tariff War: अमेरिका की तरफ से लगातार भारतीय निर्यात पर टैरिफ लगाए जाने की बात कही जा रही है. ऐसा हुआ तो इससे भारत से अमेरिका में जाने वाला सामान पहले के मुकाबले महंगा हो जाएगा.
Trending Photos
India Export: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा कि अमेरिका की तरफ से लगाए जाने वाले टैरिफ (इम्पोर्ट ड्यूटी) का भारत पर असर पड़ेगा. हालांकि, इस मामले को लेकर कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल की ट्रंप प्रशासन के साथ बातचीत चल रही है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विशाखापट्टनम में बजट के बाद आयोजित कार्यक्रम में कहा कि भारत अपने निर्यात को बचाने के लिये अमेरिका के साथ बातचीत कर रहा है. उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ चल रही बातचीत के नतीजे के बाद ही भारत की तरफ से किसी तरह का फैसला लिया जाएगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति से पहले से ही बातचीत चल रही
सीतारमण ने कहा, 'टैरिफ को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति से पहले से ही बातचीत चल रही है. कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल इस मामले पर अमेरिका जाकर वहां के अधिकारियों, खासकर यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (USTR) से चर्चा कर रहे हैं.' उन्होंने आगे कहा कि भारत को यह देखना होगा कि कॉर्मस मिनिस्ट्री किस तरह इस बातचीत को आगे बढ़ाती है और यह सुनिश्चित करती है कि भारत के हितों की रक्षा किस तरह हो.
क्या है रिसिप्रोकल टैरिफ?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने पिछले दिनों एक बार फिर से दोहराया कि अमेरिका उन देशों पर रिसिप्रोकल टैरिफ (जैसे को तैसा टैक्स) लगाएगा, जो अमेरिकी प्रोडक्ट पर ज्यादा टैक्स लगाते हैं. उन्होंने इस पॉलिसी को 2 अप्रैल से लागू करने की बात कही है. लेकिन भारतीय अधिकारियों की तरफ से ऐसे सॉल्यूशन की उम्मीद जताई जा रही है जिससे भारत को टैरिफ से बचने में मदद मिल सकती है. दोनों देशों के बीच जल्द ट्रेड एग्रीमेंट हो सकता है.
क्या है ट्रंप का मकसद?
ट्रंप ने कहा कि इस पॉलिसी का मकसद अनुचित व्यापार प्रथा को रोकना है. इसमें गैर-आर्थिक बाधाएं, सब्सिडी और वैट सिस्टम जैसी चीजें शामिल हैं. उनका मानना है इस तरह के टैरिफ से दूसरे देश अमेरिका के प्रोडक्ट पर लगने वाले शुल्क को या तो कम करेंगे या हटा देंगे या अमेरिकी बाजार में प्रोडक्शन सेंटर स्थापित करेंगे. इससे आने वाले समय में अमेरिका की इकोनॉमी को फायदा होगा.
टैरिफ से अमेरिका की इकोनॉमी पर असर
कनाडा और मैक्सिको पर लगाए गए टैरिफ का असर अमेरिकी मार्केट पर पड़ा. शेयर बाजार गिरा, जिससे निवेशकों का आत्मविश्वास कम हुआ. कई व्यापारियों को बाजार को लेकर अनिश्चितता महसूस हो रही है, जिससे वे नए निवेश और भर्तियों में देरी कर सकते हैं. इसके अलावा अमेरिकी आयात-निर्यात प्रभावित हुआ, जिससे कुछ सेक्टरों में परेशानी आई. हालांकि, अमेरिकी सरकार ने कुछ टैरिफ को अस्थायी रूप से रोक दिया, जिससे ऑटोमोबाइल कंपनियों को थोड़ी राहत मिली है. यह रोक 2 अप्रैल तक लागू रहेगी.
अमेरिकी व्यापार घाटा बढ़ा
जनवरी में अमेरिका का व्यापार घाटा 34% बढ़कर 131.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया. जानकारों का कहना है कि इसमें गोल्ड इम्पोर्ट का बड़ा योगदान हो सकता है. कुछ व्यापारियों ने टैरिफ लागू होने से पहले ही ज्यादा आयात कर लिया था, जिससे घाटा बढ़ गया.
भारत की स्थिति क्या होगी?
अमेरिका की यह टैरिफ पॉलिसी भारत को प्रभावित कर सकती है. लेकिन सरकार इससे निपटने के लिए पहले से तैयारी कर रही है. भारत और अमेरिका के बीच बातचीत जारी है. सरकार का टारगेट भारतीय निर्यात को इन टैरिफ से बचाना है. भारत आगे की रणनीति तय करने के लिए बातचीत के नतीजों का इंतजार करेगा. अगर बातचीत सफल रहती है तो भारत इन टैरिफ से छूट पाने में सफल हो सकता है और भविष्य में व्यापार समझौता भी संभव है.