What is Constitutional Club: जैसा कि हर युद्ध में होता है. एक की जीत तो दूसरी की हार होती है. वही हुआ. इस चुनाव में रूडी ने 100 से ज्यादा वोट से जीत हासिल की. लेकिन इस वोट-युद्ध के परिणाम के बाद राजनीति के बदलते दिख रहे समीकरण की चर्चा खूब हो रही है.
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Rajiv Rratap Rudy and Congress: एक बहुत पुरानी कहावत है कि राजनीति में ना कोई किसी का स्थायी दोस्त होता है, ना ही कोई, किसी का दुश्मन. समय, व्यक्ति और परिस्थिति के हिसाब से दोस्ती और दुश्मनी दोनों तय होती है. दिल्ली में हुए कॉन्स्टीट्यूशन क्लब के चुनाव के परिणाम आने के बाद इसकी चर्चा खूब हो रही है. क्योंकि इस वोट-युद्ध में बीजेपी के ही दो पूर्व केंद्रीय मंत्री एक-दूसरे के सामने खड़े थे. एक तरफ राजीव प्रताप रुडी थे तो दूसरी ओर संजीव बाल्यान.
कॉन्स्टीट्यूशन क्लब के चुनाव में जबरदस्त लॉबिंग
दोनों ने चुनाव जीतने के लिए पूरा जोर लगाया था. जबरदस्त लॉबिंग हुई थी. लेकिन जैसा कि हर युद्ध में होता है. एक की जीत तो दूसरी की हार होती है. वही हुआ. इस चुनाव में रूडी ने 100 से ज्यादा वोट से जीत हासिल की. लेकिन इस वोट-युद्ध के परिणाम के बाद राजनीति के बदलते दिख रहे समीकरण की चर्चा खूब हो रही है. इस समीकरण के विश्लेषण से पहले एक दृश्य देखिए, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
ये सियासी दृश्य संसद के बाहर का है, जिसमें राहुल गांधी राजीव प्रताप रुडी से हाथ मिलाते हुए दिख रहे हैं. हाथ मिलाकर राहुल आगे बढ़ते हैं, फिर रुककर पलटते हुए रूडी से कुछ पूछते हैं. रूडी सिर हिलाते हुए जवाब देते हैं. संकेतों से पता चलता है कि दोनों के बीच उसी कंस्टीट्यूशन क्लब के चुनाव को लेकर बात हुई. क्योंकि राहुल से बात करते हुए बीजेपी के सांसद बेहद खुश नजर आ रहे हैं. अब जब चुनाव के नतीजे आए हैं तो अचानक हुई इस मुलाकात के भी मतलब निकाले जा रहे हैं.
ढाई दशक से राजनीति में रूडी
राजीव प्रताप रूडी ढाई दशक से चुनावी राजनीति में हैं. बीजेपी के सांसद हैं. वो बिहार के सारण से चुने जाते रहे हैं. वो 1990 में बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए थे. 1996 में पहली बार सांसद बने. तब से 5 बार सांसद चुने गए हैं. राज्यसभा के भी सदस्य रहे हैं. अटल जी की सरकार में मंत्री बने थे. 2014 में नरेंद्र मोदी ने भी रूडी को मंत्री बनाया था. 2017 में मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया था. तब से सरकार में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है. 2023 में उन्होंने स्वयं कहा था कि वो अब बिहार में राज्य स्तर की राजनीति करेंगे. मगर 2024 में फिर से टिकट मिला. वो सांसद बने.
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कंस्टीट्यूशन क्लब के चुनाव में जोरदार मुकाबला, राजीव प्रताप रूडी ने संजीव बाल्यान को हराया#DNA #BJP #Congress #Politics #ConstitutionClub @RahulSinhaTV pic.twitter.com/16r96lJ9pW
— Zee News (@ZeeNews) August 13, 2025
चुनाव की वजह से चर्चा में आए रूडी
लेकिन लंबे समय से रूडी कैमरों के फोकस से दूर थे. अब कंस्टीट्यूशन क्लब के चुनाव ने रूडी को चर्चा के केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया है.
राजीव प्रताप रूडी के पैनल में निर्दलीयों के अलावा कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और टीएमसी के सदस्य भी चुनाव लड़ रहे थे. यही वजह है कि रूडी को विपक्षी सांसदों का साथ मिला. संजीव बाल्यान से जब हार के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों से रूडी की दोस्ती हो सकती है और मुझसे दुश्मनी, लेकिन मुझे पर विपक्ष का समर्थन मिला.
सोनिया-खड़गे भी वोट डालने पहुंचे
संजीव बाल्यान के साथ निशिकांत दूबे जैसे बीजेपी सांसद खुलकर खड़े थे. तो रूडी ने डोर टू डोर कैंपेन किया था. विपक्षी सांसदों को भी साधा. राहुल ने भी रूडी की पैरवी की. इसके बाद विपक्षी लामबंद हुए. सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे भी वोट डालने गए. बीजेपी के सांसद असमंजस में रहे. रूडी को विपक्ष का एकमुश्त वोट पड़ा. इसलिए कहा जा रहा है कि रूडी की जीत, विपक्ष की जीत है. वैसे समाजवादी पार्टी के नेता कह रहे हैं कि धनखड़ प्रकरण को खत्म करने के लिए बाल्यान को मैदान में उतारा गया था. जातीय सियासत में विशेषज्ञता रखने वाली समाजवादी पार्टी इस चुनाव में भी जाति खोज रही है. लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता को पता होना चाहिए कि रूडी पिछले 25 सालों से कंस्टीट्यूशन क्लब के सचिव हैं.
कोविंद को हरा चुके हैं रूडी
2009 के चुनाव में रूडी ने बीजेपी के ही नेता रहे रामनाथ कोविंद को हराया था, जो बाद में देश के राष्ट्रपति बने. पिछले चुनाव में वो निरविरोध जीते थे। इस बार संजीव बाल्यान के मैदान में उतरने के बाद इसे कांटे का टक्कर बताया जा रहा था. अब कंस्टीट्यूशन क्लब के बारे में भी जान लीजिए.
क्या है कंस्टीट्यूशन क्लब?
कंस्टीट्यूशन क्लब में सांसद बैठते हैं. आपस में मिलते हैं. सांसदों के निजी कार्यक्रम आयोजित होते हैं. क्लब में कॉन्फ्रेंस रूम, कॉफी क्लब,आउटडोर कैफे, बिलियर्ड्स रूम, जिम, यूनिसेक्स सैलून, स्विमिंग पूल और बैडमिंटन कोर्ट जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं.
इस कंस्टीट्यूशन क्लब को चलाने के लिए एक गर्वनिंग काउंसिल होती है, जिसका चुनाव हर पांच साल पर होता है. इस बार जिस तरह बीजेपी बनाम बीजेपी हुआ. सोनिया गांधी जैसी नेता वोट डालने गईं और विपक्षी सांसदों ने पिक्चर बदल दी. यही वजह है कि कंस्टीट्यूशन क्लब के चुनाव की चर्चा ट्रेंड कर रही है.