Explainer: वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर को मिलेगी विदेशी फंडिंग, सरकार ने कौन सा लाइसेंस दिया?
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Explainer: वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर को मिलेगी विदेशी फंडिंग, सरकार ने कौन सा लाइसेंस दिया?

Banke Bihari Mandir: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अदालत की मंजूरी के बाद वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर को एफसीआरए के तहत विदेशी धन प्राप्त करने का लाइसेंस दिया है. 

Explainer: वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर को मिलेगी विदेशी फंडिंग, सरकार ने कौन सा लाइसेंस दिया?

What Is FCRA Licence: केंद्र सरकार ने वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर को विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम यानी एफसीआरए के तहत लाइसेंस इश्यू किया है. गृह मंत्रालय ने उचित आवेदन और अदालत की मंजूरी के बाद एफसीआरए के तहत विदेशी धन प्राप्त करने का लाइसेंस दिया है. सूत्रों के मुताबिक, मंदिर को यह लाइसेंस FCRA, 2010 के तहत दिया गया है.

आइए जानते हैं कि FCRA लाइसेंस क्या है? और इसके लिए क्या-क्या करना पड़ता है और इसे कौन-कौन हासिल कर सकता है.

FCRA का मतलब क्या है?

FCRA (Foreign Contribution Regulation Act) भारत में विदेशी चंदे के इस्तेमाल और मैनेजमेंट को कंट्रोल करने वाला एक कानून है. इसे पहली बार 1976 में इमरजेंसी के दौरान लागू किया गया था. उस समय यह आशंका थी कि विदेशी ताकतें स्वतंत्र संगठनों के माध्यम से भारत के मामलों में हस्तक्षेप कर रही हैं.

इस कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि विदेशी चंदे का उपयोग भारत की संप्रभुता और लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुसार हो. इसके तहत यह सुनिश्चित किया गया कि विदेशी फंड्स का दुरुपयोग न हो और उनका उपयोग केवल सही उद्देश्यों के लिए हो.

FCRA में समय-समय पर संशोधन 

साल 2010 में UPA सरकार ने इस कानून को और अधिक स्पष्ट और सख्त बनाने के लिए इसमें संशोधन किया. इसका उद्देश्य था विदेशी फंड्स का उपयोग उन गतिविधियों में होने से रोकना जो राष्ट्रीय हित के खिलाफ हो सकती हैं. 2020 में मौजूदा सरकार ने इसमें फिर से संशोधन किया. इसके तहत विदेशी चंदे को प्राप्त करने और उसके उपयोग पर और सख्ती की गई. 

FCRA लाइसेंस के नियम

FCRA के तहत जो व्यक्ति या संगठन विदेशी चंदा प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य है. इसके लिए संस्था को FCRA के तहत रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है. विदेशी चंदे के लिए एक बैंक खाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, दिल्ली में खोलना होगा. विदेशों से प्राप्त फंड का इस्तेमाल केवल उसी उद्देश्य के लिए किया जा सकता है, जिसके लिए इसे प्राप्त किया गया है.

इसके अलावा संस्था या व्यक्ति को सालाना रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य है. यह धनराशि किसी अन्य NGO को ट्रांसफर नहीं की जा सकती है. कानून के तहत कुछ व्यक्तियों और संस्थानों को विदेशी चंदा प्राप्त करने की अनुमति नहीं है. इनमें चुनावी उम्मीदवार, पत्रकार, मीडिया कंपनियां, न्यायाधीश, सरकारी अधिकारी, सांसद, राजनीतिक पार्टियां और राजनीतिक संगठन शामिल हैं.

क्या होगा फायदा ?

गृह मंत्रालय से FCRA लाइसेंस के मिलने के बाद बांके बिहारी मंदिर को विदेशी फंड मिल सकेगा. मंदिर का प्रबंधन फिलहाल एक अदालत कर रही है, जिसने एक प्रबंधन समिति गठित की है. 

गृह मंत्रालय ने उचित आवेदन और अदालत की मंजूरी के बाद एफसीआरए के तहत विदेशी धन प्राप्त करने का लाइसेंस दिया है. सूत्रों ने बताया कि आवेदन के अनुसार, मंदिर को अपने खजाने में काफी विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई और वह विदेश से दान स्वीकार करने का इच्छुक है. कानून के अनुसार, विदेशी दान प्राप्त करने वाले सभी गैर सरकारी संगठनों को एफसीआरए के तहत पंजीकरण कराना होता है.

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