UPSC Success Story: IIT से IPS तक का सफर, टेनिस के जुनून से लेकर साइबर क्राइम रिसर्च तक!
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UPSC Success Story: IIT से IPS तक का सफर, टेनिस के जुनून से लेकर साइबर क्राइम रिसर्च तक!

IPS Sudheer Choudhary Education: पुलिस सेवा में शामिल होने के बाद भी टेनिस के प्रति उनका जुनून बना रहा, जिसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने इंडियन पुलिस एकेडमी के लिए टेनिस सिंगल्स में गोल्ड मेडल जीता.

UPSC Success Story: IIT से IPS तक का सफर, टेनिस के जुनून से लेकर साइबर क्राइम रिसर्च तक!

IPS Sudheer Choudhary Success Story: यूपीएससी पास करना कोई आसान काम नहीं है - इसके लिए समर्पण, जुनून और अथक कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है. मोटिवेशनल स्टोरीज की कोई कमी नहीं है जो हमारे दिमाग पर एक छाप छोड़ती हैं - वंचित, बहादुर कैंडिडेट्स की कहानियां जिन्होंने कभी हार मानना नहीं सीखा. आज हम आपको एक ऐसे ही आईपीएस अफसर की कहानी बताने जा रहे हैं.

आईपीएस सुधीर चौधरी का जन्म सीकर जिले की श्रीमाधोपुर तहसील के बागरिया बास गांव में हुआ था. उनके पिता, लक्ष्मण राम, कृषि विभाग में जॉइंट डायरेक्टर के पद पर हैं. सुधीर ने अपनी शुरुआती पढ़ाई श्रीमाधोपुर में की और बाद में बूंदी, जयपुर और कोटा में अपनी पढ़ाई जारी रखी. उन्होंने IIT रुड़की से बी.टेक की डिग्री हासिल की.

कॉर्पोरेट सेक्टर से पुलिस सेवा तक

ग्रेजुएशन के बाद, उन्होंने एक साल तक कॉर्पोरेट सेक्टर में काम किया, लेकिन उनका असली सपना पुलिस सेवा में शामिल होना था. 2012 में, उनका चयन मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस में हुआ, और अगले साल, उनका चयन भारतीय वन सेवा में हो गया. आखिरकार, 2014 में, उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा में हुआ और वह 2015 बैच के हिस्से के रूप में राजस्थान कैडर में शामिल हो गए.

टेनिस का जुनून और फिटनेस का मंत्र

IIT रुड़की में पढ़ाई के दौरान, सुधीर टेनिस टीम के कप्तान थे. पुलिस सेवा में शामिल होने के बाद भी टेनिस के प्रति उनका जुनून बना रहा, जिसका परिणाम यह हुआ कि उन्होंने इंडियन पुलिस एकेडमी के लिए टेनिस सिंगल्स में गोल्ड मेडल जीता. बिजी शेड्यूल के बावजूद, वह कभी भी अपनी फिटनेस से समझौता नहीं करते - अगर सुबह एक्सारसाइज नहीं कर पाते, तो वह दिन में बाद में अपना वर्कआउट पूरा करना सुनिश्चित करते हैं.

एकेडमिक रिसर्च और समाज में योगदान

सुधीर चौधरी ने एकेडमिक रिसर्च में भी अहम योगदान दिया है. उन्होंने अलग अलग कॉन्फ्रेंस में पेपर प्रेजेंट किए हैं, विशेष रूप से साइबर क्राइम और टेक्नकिल प्रोग्रेस पर फोकस करते हुए. अपने एकेडमिक ईयर के दौरान, उन्होंने साथी स्टूडेंट्स विदित गौर के साथ पहियों में डिस्क ब्रेक तकनीक से संबंधित एक रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम किया. उनका एक और प्रोजेक्ट, जिसका टाइटल 'कंफर्ट मैकेनिकल वाइब्रेशन' था, को कई प्रतिष्ठित संस्थानों से मान्यता मिली.

2023 में, उन्होंने क्राउड कंट्रोल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के एप्लिकेशन पर एक रिसर्च पेपर लिखा और इसे उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को प्रस्तुत किया. उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी और सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) पर भी पेपर लिखे हैं.

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अपनी एकेदमिक और प्रोफेशनल उपलब्धियों के अलावा, सुधीर ने समाज में भी अहम योगदान दिया है. राजसमंद में तैनात रहते हुए, उन्होंने उदयपुर के हाई-प्रोफाइल कन्हैया लाल हत्याकांड में आरोपियों की त्वरित गिरफ्तारी में अहम भूमिका निभाई - उन्होंने पांच घंटे के भीतर अपराधियों को पकड़ लिया. इसके अलावा, कुछ ही दिनों के भीतर, उन्होंने ठोस सबूतों के माध्यम से आरोपियों के पाकिस्तान लिंक स्थापित करने में मदद की. उनके असाधारण काम की मान्यता में, उन्हें पुलिस मुख्यालय द्वारा डीजीपी डिस्क से सम्मानित किया गया.

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