'मुझे मिला चौकीदार वाला कमरा और सिमी ग्रेवाल को दिया बंगला', शर्मिला टैगोर क्यों हुईं इतनी मजबूर
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'मुझे मिला चौकीदार वाला कमरा और सिमी ग्रेवाल को दिया बंगला', शर्मिला टैगोर क्यों हुईं इतनी मजबूर

शर्मिला टैगोर और सिमी ग्रेवाल को इन दिनों कान्स फिल्म फेस्टिवल में देखा जा रहा है. इस दौरान उन्होंने अपनी एक फिल्म की शूटिंग से जुड़ा एक ऐसा किस्सा सुनाया है कि हर कोई हैरान रह गया है.

Sharmila Tagore and Simi Garewal
Sharmila Tagore and Simi Garewal

नई दिल्ली: भारतीय सिनेमा में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाने वाली एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर (Sharmila Tagore) ने अपने दौर में खूब धमाल मचाया. उसी जमाने की एक और एक्ट्रेस रहीं सिमी ग्रेवाल की खूबसूरती और दमदार अदाकारी आज भी लोगों के जहन में ताजा है. 70-80 के दशक में इन दोनों ही अभिनेत्रियों ने देशभर के लोगों को अपना दीवाना बनाया हुआ था. फिलहाल इन दिनों शर्मिला टैगोर और सिमी ग्रेवाल 78वें कान्स फिल्म फेस्टिवल (Cannes Film Festival) में जलवे बिखेर रही हैं. आज भी इन्हें देख लोगों की सांसें थम जाती हैं. हालांकि, इस बार कान्स में दोनों दिग्गज अदाकाराएं एक खास मकसद से आई हैं.

फिल्म की स्क्रीनिंग के लिए कान्स पहुंची शर्मिला-सिमी
दरअसल, शर्मिला और सिमी की 1970 में रिलीज हुई फिल्म ‘अरण्येर दिन रात्रि’ (डेज एंड नाइट्स इन द फॉरेस्ट) को कान्स फिल्म फेस्टिवल के दौरान कान्स क्लासिक सेक्शन में प्रदर्शित किया गया है. फिल्म में इन दो कलाकारों के अलावा सौमित्र चटर्जी, समीत भंजा, कबेरी बोस, शुभेंदु चटर्जी, रबी घोष और अपर्णा सेन जैसे सितारों को भी अहम किरदारों में देखा गया. सत्यजीत रे के निर्देशन में बनी इसी फिल्म के कारण अब दोनों अदाकाराएं कान्स में नजर आ रही हैं.

फिल्म ने ताजा की यादें
'अरण्येर दिन रात्रि' की स्क्रीनिंग ने गुजरे जमाने की यादों को एक बार फिर से ताजा कर दिया. ऐसे में शर्मिला टैगोर ने फिल्म से जुड़ा एक मजेदार और हैरान करने वाले किस्सा भी सुनाया. शर्मिला ने उन दिनों की बातें याद करते हुए बताया कि तब वह राजेश खन्ना के साथ फिल्म 'आराधना' की शूटिंग कर रही थीं. इसी बीच एक दिन उन्हें सत्यजीत रे का फोन आया.

शर्मिला ने सुनाया किस्सा
हॉलीवुड रिपोर्टर इंडिया संग बातचीत में शर्मिला ने बताया, 'उन्होंने मुझसे पूछा, 'क्या आप मेरी फिल्म में काम करोगी? मुझे आपका सिर्फ एक महीने का वक्त चाहिए, मई में.' मैंने बिना कुछ सोचे तुरंत उन्हें हां कह दिया, लेकिन जब फोन रखा तो मुझे याद आया कि हे भगवान मैंने तो पहले ही शक्ति सामंता को कमिटमेंट किया हुआ है. वह 'मेरे सपनों की रानी' फिल्म उसी मई के महीने में बना रहे थे.'

राजेश खन्ना संग करनी थी शूटिंग
शर्मिला ने आगे कहा, 'राजेश खन्ना उस वक्त बहुत व्यस्त चल रहे थे. उन्होंने एक टैलेंट कॉन्टेस्ट जीता था और 12 फिल्ममेकर्स के साथ वह कमिटमेंट कर चुके थे. इसलिए उन्हें सभी को अपनी डेट्स थी और वह सभी फिल्मों पर साथ काम कर रहे थे. ऐसे में उनकी हर डेट बहुत कीमती थी. इसके बाद मैंने शक्ति जी से बात की और उनसे कहा कि मुझे यह फिल्म करनी ही है. फिर मैं सत्यजीत रे के पास आ गई.'

सत्यजीत रे की फिल्म से शुरू हुआ था करियर
बता दें कि शर्मिला टैगोर ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत सत्यजीत रे की ही फिल्म 'अपुर संसार (द वर्ल्ड ऑफ अपू)' से की थी. ऐसे में किसी भी हाल में उनकी फिल्म के लिए उन्हें मना नहीं कर पाईं. शर्मिला कहती हैं कि उन्होंने हमेशा उन्हें उसी सम्मान के साथ देखा है, जैसे आप अपने पिता के प्रति होते हैं.

मुझे रहने के लिए चौकीदार वाला कमरा मिला
शर्मिला ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा, 'फिल्म की शूटिंग के दौरान हम सभी अलग-अलग जगहों पर रुके हुए थे, क्योंकि जगह की काफी कमी थी. सिमी ग्रेवाल और कावेरी बोस पड़ोस के ही गांव में बने एक बंगले में रह रही थीं, जबकि सत्यजीत रे और सौमित्र चटर्जी किसी दूसरी जगह पर रुके हुए थे. वहीं मैं, रबी घोष, सुभेंदू चटर्जी और समित भांजा एक अलग जगह पर रुके हुए थे. मुझे रहने के लिए चौकीदार वाला कमरा मिला था. बेहद गर्मी थी और वहां सिर्फ एक वॉटर कूलर रखा था.'

बहुत मुश्किल था वो वक्त
शर्मिला ने कहा, 'वो बहुत मुश्किल जगह थी. हम सुबह 5:30 से 9 बजे और शाम को 3 से 6 बजे तक ही शूट करते थे. इसके बीच में बाकी वक्त तक हम सिर्फ एक दूसरे के साथ बॉन्डिंग बनाते थे. हम अच्छे दोस्त बन चुके थे.' इसके अलावा शर्मिला ने इस बात का भी खुलासा किया कि आखिर निर्माताओं ने शूटिंग के लिए मई का महीना ही क्यों चुना. इस पर एक्ट्रेस ने बताया, 'क्योंकि मेकर्स को एक खास तरह का लुक चाहिए था, जो मई के महीने में ही संभव हो सकता था. इसके बाद बारिशें आ जाती और सब कुछ फिर से हरा-भरा दिखने लगता.'

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डायरेक्टर ने इसलिए चुने गर्मी के दिन
गौरतलब है कि 'अरण्येर दिन रात्रि' सुनील गंगोपाध्याय के उपन्यास पर आधारित है. यह बंगाली भाषा में बनी एक एडवेंचर ड्रामा फिल्म है. इस फिल्म की शूटिंग के लिए झारखंड का पलामू क्षेत्र चुना गया था. गर्मियों के दिनों में यहां का तापमान 44 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा हो जाता है औ इसी वजह से यहां काम करना बेहद मुश्किल होता है.

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