बिहार-ओडिशा सीमा पर स्थित बिमलगढ़ रेलखंड में नक्सली हमले में एक ट्रैकमैन की मौत हो गई और दूसरा गंभीर रूप से घायल है. ये दोनों कर्मचारी पटरी की पेट्रोलिंग कर रहे थे जब विस्फोट हुआ. हादसे के बाद रेलवे की लापरवाही और सुरक्षा में चूक को लेकर कर्मचारियों में गहरा रोष है.
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चक्रधरपुर रेल मंडल के अंतर्गत आने वाले बिमलगढ़ रेलखंड से इस वक्त एक दर्दनाक खबर सामने आई है. झारखंड-ओडिशा बॉर्डर पर स्थित इस क्षेत्र में नक्सलियों ने एक बार फिर रेलवे को निशाना बनाया है. शनिवार सुबह करीब साढ़े दस बजे नक्सलियों द्वारा लगाए गए बम में ज़ोरदार विस्फोट हुआ, जिसमें दो रेलकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए. इनमें से एक की इलाज के दौरान मौत हो गई.
जानकारी के अनुसार, मृतक रेलकर्मी का नाम एतवा ओराम था और घायल हुए दूसरे रेलकर्मी का नाम बुधराम मुंडा है. दोनों ट्रैकमैन के पद पर कार्यरत थे और रेल पटरी की नियमित पेट्रोलिंग कर रहे थे. इसी दौरान बम ब्लास्ट हो गया. बताया गया कि विस्फोट इतना तेज था कि एतवा ओराम के दोनों पैर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए और वे मौके पर ही गंभीर रूप से घायल हो गए.
घटना के बाद दोनों घायल रेलकर्मियों को तात्कालिक रूप से बंडामुंडा रेलवे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने एतवा ओराम को मृत घोषित कर दिया. वहीं, बुधराम मुंडा को बेहतर इलाज के लिए राउरकेला के एक निजी अस्पताल में रेफर कर दिया गया है. उनकी स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है.
रेलवे सूत्रों के अनुसार, नक्सली बंद के एलान के बाद शुक्रवार रात से ही इस क्षेत्र में लाल बैनर लगे हुए थे. सुबह करीब साढ़े छह बजे नक्सलियों ने पहला विस्फोट कर रेल पटरी को उड़ा दिया था. इसके बावजूद भी रेलवे प्रशासन की तरफ से कोई एहतियाती कार्रवाई नहीं की गई और ट्रैकमैन को बिना सुरक्षा भेज दिया गया.
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) द्वारा पटरियों की जांच किए बिना ही ट्रैकमैन जैसे छोटे कर्मचारियों को भेज देना प्रशासन की गंभीर लापरवाही मानी जा रही है. 58 साल के एतवा ओराम की मौत को लेकर रेलवे प्रशासन पर सीधा आरोप लगाया जा रहा है कि उसने नक्सली बंद को गंभीरता से नहीं लिया. बिना किसी सुरक्षा उपायों के कर्मचारियों को भेजना जान से खिलवाड़ साबित हुआ.
घटना के बाद मंडल में कार्यरत रेलवे कर्मचारी संगठनों में भारी गुस्सा है. दक्षिण पूर्व रेलवे मेंस कांग्रेस के मंडल संयोजक शशि मिश्रा ने इस घटना को प्रशासन की चूक करार दिया. उन्होंने कहा कि रेलकर्मियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी, लेकिन अफसोस की बात है कि एक साथी की जान चली गई और दूसरा अस्पताल में जिंदगी से जूझ रहा है.
इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल है. स्थानीय लोगों के साथ-साथ रेलवे स्टाफ भी डरे हुए हैं. नक्सली बंद के कारण पहले से ही तनाव था, अब इस घटना ने और अधिक भय पैदा कर दिया है. रेल सेवा पर भी असर पड़ा है और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नए सिरे से समीक्षा की जा रही है.
इनपुट- आनंद प्रियदर्शी
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