28 साल पुराने हत्याकांड मामले में 14 दोषियों को हुआ उम्रकैद, मधुबनी कोर्ट ने सुनाया फैसला, जानें मामला
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28 साल पुराने हत्याकांड मामले में 14 दोषियों को हुआ उम्रकैद, मधुबनी कोर्ट ने सुनाया फैसला, जानें मामला

मधुबनी जिले के झौआ गांव में 1997 में हुए हत्याकांड में जिला जज की अदालत ने 14 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई. योगेंद्र यादव की हत्या के इस मामले में 11 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया.

Madhubani court pronounced 28 year old murder case verdict know case
Madhubani court pronounced 28 year old murder case verdict know case

मधुबनी: बिहार के मधुबनी जिले के भैरबस्थान थाना क्षेत्र के झौआ गांव में 28 साल पुराने एक हत्याकांड में जिला जज की अदालत ने 14 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. यह मामला 5 अगस्त 1997 का है, जब जमीनी विवाद में हुई झड़प के दौरान योगेंद्र यादव की हत्या कर दी गई थी.

28 साल बाद आया अदालत का फैसला
इस मामले में मधुबनी जिला जज अनामिका टी की अदालत ने 14 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. वहीं, 11 आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया. इस फैसले को न्याय की जीत माना जा रहा है, भले ही इसमें 28 साल का लंबा समय लग गया.

क्या था पूरा मामला?
5 अगस्त 1997 को भैरवस्थान थाना के झौआ गांव में जमीन विवाद को लेकर दो पक्षों में झगड़ा हुआ. इस दौरान योगेंद्र यादव की मौके पर ही मौत हो गई और नागेश्वर यादव गंभीर रूप से घायल हो गए. पुलिस ने 6 अगस्त 1997 को नागेश्वर यादव के बयान पर मामला दर्ज किया था.

किन आरोपियों को मिली सजा?
कोर्ट ने कमल यादव को आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा दी. वहीं, चंदर यादव, जमुना यादव, महेश यादव, सुरेश यादव, रघुनी यादव, बिंदेश्वर यादव, ललित यादव, उत्तिम यादव, प्रमोद यादव, सूरत यादव, बौअन यादव, कारी यादव और कशे यादव को STN 429/98 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई गई.

11 आरोपी हुए बरी
इस मामले में अदालत ने 11 आरोपियों को रिहा कर दिया. इनमें सुंनर यादव, शत्रुघ्न यादव, इनर यादव, जयनारायण यादव, फिरु यादव, नेपाल यादव, जादू यादव, चुम्मन यादव, शैलेंद्र यादव, योगेंद्र यादव उर्फ पोता और देवेंद्र यादव का नाम शामिल है.

पीड़ितों को मिला इंसाफ
पीपी (लोक अभियोजक) मनोज कुमार तिवारी ने इस फैसले को इतिहास का एक बड़ा फैसला बताया. उन्होंने कहा, "हालांकि न्याय मिलने में 28 साल लग गए, लेकिन अंततः पीड़ित परिवार को इंसाफ मिला."

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