Jharkhand Politics: जामताड़ा में शिबू सोरेन की प्रतिमा लगाएगी झारखंड सरकार, नाम होगा ‘स्टैचू ऑफ स्ट्रगल’
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2874620

Jharkhand Politics: जामताड़ा में शिबू सोरेन की प्रतिमा लगाएगी झारखंड सरकार, नाम होगा ‘स्टैचू ऑफ स्ट्रगल’

Statue Of Struggle: झारखंड सरकार के मंत्री इरफान अंसारी ने बताया कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने चिरुडीह से महाजनों के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंका था. इस कारण यहीं पर उनकी प्रतिमा लगवाई जाएगी. इससे लोगों को अन्याय के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा मिलेगी.

शिबू सोरेन (फाइल फोटो)
शिबू सोरेन (फाइल फोटो)

Shibu Soren Statue: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और जेएमएम के संस्थापक शिबू सोरेन का हाल ही में देहांत हुआ है. अब झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार दिशोम गुरु यानी शिबू सोरेन की प्रतिमा लगवाएगी. दिशोम गुरु की आदमकद प्रतिमा जामताड़ा के चिरुडीह में लगवाई जाएगी और इसका नाम ‘स्टैचू ऑफ स्ट्रगल’ होगा. इसकी जानकारी झारखंड सरकार के मंत्री इरफान अंसारी ने दी है. मंत्री अंसारी ने बताया कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने यहीं से महाजनों के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंका था. इसी दौरान 1975 में चिरुडीह कांड हुआ, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई थी. यह मामला न्यायालय में चला, जिसमें गुरुजी को जेल भी जाना पड़ा, लेकिन बाद में उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया गया. इसी घटना के बाद वे ‘गुरुजी’ नाम से प्रसिद्ध हुए.

मंत्री इरफान अंसारी ने कहा इस ऐतिहासिक स्थल पर गुरुजी की विशाल प्रतिमा स्थापित होने से लोगों को अन्याय के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा मिलेगी. बता दें कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन का इसी महीने 04 अगस्त को निधन हो गया था. वे सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि झारखंड आंदोलन के प्रतीक थे. उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा आदिवासियों के हक और अधिकार की लड़ाई से शुरू की थी. शिबू सोरेन ने साल 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया था और 1977 में पहली बार चुनाव लड़ा था. 1980 से उनकी जीत का सिलसिला शुरू हुआ और 2019 तक जारी रहा. अलग राज्य बनने के बाद वह तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.

ये भी पढ़ें- नेमार गांव में CM हेमंत सोरेन को याद आया बचपन, भावुक होकर किया ये काम

सियासत में कदम रखने से पहले वे बागी नेता बनकर उभरे थे, जिसने सूदखोरों के चंगुल से आदिवासियों को बचाया. कहा जाता है कि शिबू सोरेन के पिता सोबरन सोरेन भी सामाजिक कार्यकर्ता थे और आदिवासियों के हित के लिए काम करते थे. इससे कुछ सूदखोर उनसे नाराज हो गए और उनकी बड़ी निर्ममता से हत्या करवा दी. इस घटना के वक्त शिबू सोरेन सिर्फ 13 साल के थे. पिता की हत्या के बाद शिबू सोरेन ने महजनों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और महजनों के खेतों से धान की फसल काटकर ले आते थे. महाजनी प्रथा के विरोध में उनके इस कदम को धनकटनी आंदोलन का नाम मिला.

बिहार-झारखंड की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Bihar-Jharkhand News In Hindi और पाएं Bihar-Jharkhand Latest News In Hindi हर पल की जानकारी. बिहार-झारखंड की हर खबर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!

TAGS

Trending news

;