Vice President Chunav: रामनाथ ठाकुर की राह में रोड़ा बन रहा यह JDU सांसद, PM मोदी-CM नीतीश भी असहज हो रहे!
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Vice President Chunav: रामनाथ ठाकुर की राह में रोड़ा बन रहा यह JDU सांसद, PM मोदी-CM नीतीश भी असहज हो रहे!

Vice President Chunav: कर्पूरी ठाकुर के बेटे और केंद्रीय मंत्री रामनाथ ठाकुर को उपराष्ट्रपति नियुक्त करने से एनडीए को बिहार विधानसभा चुनाव में फायदा मिल सकता है. हालांकि, रामनाथ ठाकुर की राह में सबसे रोड़ा उनके ही पार्टी के नेता हरिवंश नारायण सिंह हैं. दोनों जेडीयू से राज्यसभा सांसद हैं. हरिवंश नारायण इस वक्त राज्यसभा के उपसभापति भी हैं.

रामनाथ ठाकुर-हरिवंश नारायण सिंह
रामनाथ ठाकुर-हरिवंश नारायण सिंह

Vice President Chunav: उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद से अटकलों का बाजार गरम है. धनखड़ के उत्तराधिकारी की तलाश जारी है. देशभर के तमाम नेता देश के अगले उपराष्ट्रपति की रेस में शामिल हैं. इनमें बिहार के भी कुछ नेताओं का नाम शामिल है. उपराष्ट्रपति चुनाव के सहारे एनडीए सरकार बिहार इलेक्शन में भी फतह हासिल करने का प्लान बना सकती है. सूत्रों की माने तो सरकार को ऐसे चेहरे की तलाश है जो ना सिर्फ जातीय समीकरण में फिट बैठता हो, बल्कि उसमें राज्यसभा सभापति के रूप में सदन चलाने में भी सक्षम हो. सूत्रों के अनुसार, बीजेपी थिंकटैंक की नजरों में जेडीयू से राज्यसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री रामनाथ ठाकुर अगले उपराज्यपाल बनने की पहली पसंद हैं. वह जननायक कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं.

रामनाथ ठाकुर के उपराष्ट्रपति की रेस में शामिल होने का असर बिहार विधानसभा चुनाव पर काफी पड़ेगा. कर्पूरी ठाकुर जन नायक के रूप में जाने जाते हैं और पिछड़ी जाति के लोग आज भी उनका काफी सम्मान करते हैं. अपने पिता की तरह रामनाथ ठाकुर भी बिहार की अति पिछड़ी जातियों में अपनी पैठ बनाए हुए हैं. उनके सहारे लालू प्रसाद यादव के पिछड़े वोट बैंक में सेंधमारी की जा सकती है. हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनके आवास पर जाकर मुलाकात की थी. नड्डा का उनके घर जाकर मिलना बड़े संकेत देता है. इस मुलाकात के बाद से दिल्ली से लेकर पटना तक अटकलबाजी जारी है. 

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इसमें कोई संदेह नहीं है कि रामनाथ ठाकुर इस वक्त उपराष्ट्रपति पद के लिए सबसे योग्य दावेदार हैं. दिल्ली की राजनीति में आने से पहले वे बिहार में सक्रिय रहे और कई अहम जिम्मेदारियों का निर्वाहन किया. उन्होंने लालू यादव और नीतीश कुमार दोनों की सरकार में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली है. मौजूदा समय वह सीएम नीतीश कुमार के विश्वासपात्र नेताओं में से एक हैं और पीएम मोदी के भी काफी करीबी हैं. इसके बावजूद उनका उपराष्ट्रपति बन पाना बड़ा मुश्किल लग रहा है. जेडीयू के ही राज्यसभा सांसद हरिवंश नारायण सिंह उनकी राहों में सबसे बड़ा रोड़ा बन गए हैं. 

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दरअसल, हरिवंश बाबू अभी राज्यसभा के उपसभापति हैं. सभापति भी जेडीयू से संभव नहीं होगा. हां, हरिवंश बाबू का प्रमोशन जरूर हो सकता है. उपसभापति के रूप में हरिवंश बाबू के पास लंबा संसदीय अनुभव है. वह अगस्त 2014 से इस पद पर बने हुए हैं. धनखड़ के इस्तीफे के बाद से वह कार्यवाहक सभापति की जिम्मेदारी भी उठा रहे हैं. इसके अलावा नीतीश कुमार को दोबारा से एनडीए में लाने में उनका बड़ा अहम योगदान रहा. नीतीश जब महागठबंधन के साथ चले गए थे तब हरिवंश बाबू ने ही बीजेपी और जेडीयू के बीच पुल बनकर वापस दोस्ती कराई थी. उपराष्ट्रपति पद के रूप में उन्हें इसका इनाम मिल सकता है. 

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