Waqf Board Bill: विपक्ष को वक्फ बिल के सहारे आगे की राजनीति में उम्मीद की नई किरण नजर आ रही है. राज्यसभा में कपिल सिब्बल सहित तमाम नेताओं ने तो बिहार में एनडीए के हारने की भविष्यवाणी भी कर दी.
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Waqf Board Bill Affected Bihar Chunav 2025: वक्फ बोर्ड संशोधन बिल राज्यसभा से पास हो गया है. अब इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही यह कानून में बदल जाएगा. इस बिल पर संसद की लड़ाई में विपक्ष भले ही हार हो गया हो, लेकिन उसे आगे उम्मीद की नई किरण नजर आ रही है. विपक्ष के तमाम नेताओं ने अब सड़क पर उतरने का फैसला लिया है. उन्होंने साफ कहा कि वह इस बिल का विरोध करते रहे हैं. विपक्ष इस मुद्दे को बिहार चुनाव में भुनाने की पूरी कोशिश में जुट गया है. राज्यसभा में कपिल सिब्बल सहित तमाम नेताओं ने तो बिहार में एनडीए के हारने की भविष्यवाणी भी कर दी. कपिल सिब्बल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार के पास लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत था, लेकिन यह बिल देश में विभाजन को दर्शाता है.
उन्होंने कहा कि वोटिंग में 128 पक्ष में और 94 खिलाफ वोट पड़े, जिससे साफ है कि बड़ी संख्या में लोगों ने इसका विरोध किया. सिब्बल ने कहा कि इसका असर बिहार जैसे राज्यों में होने वाले चुनावों पर पड़ेगा, जहां विपक्ष को फायदा हो सकता है. उन्होंने इसे समाज को बांटने वाली राजनीति का हिस्सा बताया और कहा कि यह बिल गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे असली मुद्दों को हल नहीं करेगा. उनके मुताबिक, यह एक राजनीतिक चाल है, जिससे विवाद बढ़ेगा और सरकार को लगता है कि इससे उसे फायदा होगा. सिब्बल ने चेतावनी दी कि यह देश के भविष्य के लिए ठीक नहीं है.
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कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे विपक्ष की नैतिक जीत करार दिया. उन्होंने दावा किया कि लोकसभा में बिल के खिलाफ 35 वोटों का अंतर था और राज्यसभा में अंतर कम था. सिंघवी ने इसे जनादेश के खिलाफ बताया और कहा कि सरकार ने अपने बहुमत का दुरुपयोग करके इसे जबरदस्ती थोपा है. उन्होंने दावा किया कि अगर बिल को कोर्ट में चुनौती दी गई, तो इसके असंवैधानिक होने की पूरी संभावना है, खासकर संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत. सिंघवी ने यह भी कहा कि यह बिल मुस्लिम समुदाय की स्वायत्तता को नष्ट करता है और समाज में अविश्वास पैदा करेगा. उनके मुताबिक, यह जनता के मूड के खिलाफ है और इसमें व्यापक समर्थन की कमी है.
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वहीं राजद नेता मनोज झा ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि इसी संसद में पहले किसान कानून भी पास हुए थे, जिन्हें बाद में वापस लेना पड़ा. झा ने सरकार पर बहुमत के अहंकार का आरोप लगाया और कहा कि संख्या बल होने का मतलब यह नहीं कि हर ज्ञान सरकार के पास ही है. उन्होंने इसे गैर-जरूरी और विभाजनकारी बताया. झा ने कहा कि राज्यसभा में सरकार का बहुमत बहुत मजबूत नहीं था, फिर भी उसने इसे पास करवाया. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जनता की नाराजगी को दूर नहीं किया गया, तो इस बिल का हश्र भी किसान कानूनों की तरह हो सकता है. झा ने सरकार से आत्ममंथन करने और संजीदगी दिखाने की अपील की.
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