Bagaha News: बिहार के बगहा में मगरमच्छ का आतंक बढ़ता जा रहा है. बताया जा रहा है कि एक बार फिर मगरमच्छ ने किसान पर हमला किया है. इस हमले में किसान गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. जिनका अभी अस्पताल में इलाज चल रहा है.
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Bagaha News: बिहार के बगहा में गंडक नदी से निकली कई सहायक नदियों औऱ नहर नालों में डेरा जमाये मगरमच्छों का आतंक जारी है. आलम यह है कि मगरमच्छ गंडक नदी से भटककर रिहायशी इलाकों में प्रवेश कर रहें हैं. ये किसानों के लिए आफत और मुसीबत बन गए हैं. ताजा मामला बगहा के सेमरा का है. जहां मगरमच्छ के हमले से एक किसान गंभीर रूप से घायल हो गया है. घटना सेमरा रेता की बताई जा रही है. जबकि कुछ दिन पहले चौतरवा के चंद्रपुर भिड़ारी में भी एक किसान पर मगरमच्छ नें हमला कर उसे बुरी तरह जख्मी कर दिया था.
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बता दें कि हरेंद्र यादव नामक पीड़ित किसान अभी इलाजरत है. इसी बीच आज जवाहर सहनी नामक किसान पर भी मगरमच्छ ने हमला कर उसे बुरी तरह जख्मी कर दिया है. बताया जा रहा है कि नाव के सहारे सेमरा रेता में खेती करने के लिए कई किसान जा रहें थे. जैसे ही गंडक नदी पार किये. तभी अचानक मगरमच्छ ने हमला कर दिया और किसान का बाया हाथ अपने जबड़े में जकड़ लिया. जिससे वह जोर-जोर से चिल्लाने और चीखने लगा. वहां आस-पास चारवाहा मौजूद थे. जो लाठी डंडा लेकर पहुंचे और मगरमच्छ को मार क़र नदी में भगाया.
बताया जाता है कि अगर वहां लाठी डंडे के सहारे से ग्रामीण बचाव नहीं किए होते तो किसान की जान भी जा सकती थी. चारवाहों ने इस घटना की सूचना परिजनों को दी. तब परिजन मौके पर पहुंचकर मगरमच्छ के हमले में घायल व्यक्ति को इलाज के लिए अनुमंडल अस्पताल में भर्ती कराया. अस्पताल में मौजूद चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर पुष्पराज के द्वारा जख़्मी किसान का उपचार किया जा रहा है. घायल किसान की पहचान पटखौली थाना क्षेत्र के कैलाशनगर निवासी जवाहिर सहनी के रूप में की गई है.
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बता दें कि महज पांच दिनों के भीतर विशालकाय मगरमच्छ ने ये दूसरा हमला किया है. ऐसे में ग्रामीणों और किसानों नें इस अति जल संरक्षित प्राणी मगरमच्छ के रिहायशी इलाकों में प्रवेश की घटना पर रोक लगाने की मांग की है, क्योंकि अक्सर मगरमच्छ लोगों पर हमला कर उनके हाथ और पैर चबा जा रहे हैं. ये दीगर बात है कि वन विभाग द्वारा किसानों को मुआवजा भी दिया जाता है, लेकिन अगर इस तरह मगरमच्छ की बढ़ती तादाद गंडक नदी का अधिवास छोड़ सहायक नहरों समेत डोभ और नालों के अलावा तालाब व रिहायशी इलाकों में पहुंचेंगे तो किसी बड़े जान माल के नुकसान से इंकार नहीं किया जा सकता है.
इनपुट- इमरान अजीज
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