Bagaha News: बिहार के इकलौते VTR में बाघ और उनके शावकों की संख्या 70 के करीब पहुंच गईं है. यहां के कुशल प्रबंधन को पीएम मोदी भी सम्मानित कर चुके हैं.
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Bagaha News: आज वर्ल्ड टाइगर डे है, लिहाजा हमारे शान और धरोहर को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए वन विभाग की ओर से कई आयोजन किए जा रहे हैं, ताकि वनवर्ती इलाके के लोगों को बाघों के प्रति जागरूक किया जा सकें. बिहार के इकलौते VTR में बाघ और उनके शावकों की संख्या 70 के करीब पहुंच गईं है. लिहाजा वन एवं पर्यावरण विभाग के अधिकारी बेहद आहलादित हैं, क्योंकि यहां बेहतर हैबिटेट और ग्रास लैंड के बढ़ते दायरे के कारण शाकाहारी जीव जंतुओं की संख्या में इजाफा हुआ है. यही वजह है कि बाघों का कुनबा भी लगातार बढ़ रहा है, जो निश्चित तौर पर एक शुभ संकेत है.
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दरअसल, बाघों को बचाने की शुरुआत सेंट पिट्सबर्ग टाइगर समिट के दौरान 2010 में की गई थी. 2006 में स्थापित बिहार के इकलौते वाल्मीकि टाइगर रिजर्व ने बाघों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर देश के 6 राज्यों को पीछे छोड़ कीर्तिमान स्थापित किया है. टाइगर सेंसस के बाद वर्ष 2022 में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व को देशभर के टाइगर रिजर्व में शीर्ष 5वां स्थान होने गौरव प्राप्त हुआ और पीएम मोदी ने VTR प्रबंधन व प्रशासन को पुरस्कृत व सम्मानित भी किया. हालांकि, उस वक्त एनटीसीए के मुताबिक, यहां बाघों की संख्या 54 थी, लेकिन आज यहां बाघों की तादाद में निरंतर बढ़ोतरी के बाद अब यह आंकड़ा 70 के करीब जा पहुंचा है.
खास बात यह है कि इसके लिए VTR प्रशासन न केवल लोगों को जागरूक कर रहा है, बल्कि उन्हें पुरस्कार और प्रोत्साहन राशि देकर आगे आने की अपील कर रहा है. तभी तो गांव-गांव वाल्मीकिनगर से लेकर मंगूरहा रेंज तक साईकिल रैली, प्रभात फेरी, पौधरोपण, सेमिनार और प्रशिक्षण जैसे कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम में पुरुषों के कदमताल महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है. वैसे तो हमारे देश में बाघों के संरक्षण के लिए वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत हुईं. उस समय देश में मात्र 8 अभयारण्य थे. लेकिन वर्तमान में इनकी संख्या 53 हो चुकी है.
इन्हीं अभयारण्य में शुमार यूपी और नेपाल सीमा पर स्थित बिहार का इकलौता वाल्मीकि टाइगर रिजर्व भी है. जहां रॉयल बंगाल टाइगर पाए जाते हैं. पड़ोसी देश नेपाल के चितवन नेशनल पार्क से सटे नारायणी गण्डक नदी तट पर करीब 900 वर्ग किलोमीटर में फैले VTR का इलाका इंडो नेपाल सीमा के वाल्मीकिनगर से बेतिया तक फ़ैला हुआ है. इसे दो डिवीजन और 8 वन क्षेत्रों में बांटा गया है. यहां वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा कुशल प्रबंधन कर बाघों के संरक्षण को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. स्कूली छात्रों के साथ-साथ किसानों, नौजवानों में भी जनसहभागिता की कवायद तेज है.
खासतौर पर गन्ना किसानों से सहयोग को लेकर इको विकास समिति का गठन किया गया है और तो और यहां आने वाले सैलानियों से भी बाघों को बचाने की अपील की जा रही है. तभी तो स्लोगन दिया गया है 'मुझे फंदे से बचाओ ... जियो और जीने दो...क्योंकि बाघ हैं तो आप औक हम हैं'. ऐसे में 2027 के सेंस्स के बाद एनटीसीए की रिपोर्ट सार्वजनिक होंगी. तब आसार हैं कि VTR में टाइगर 70 के आंकड़े को पार कर जाएंगे और वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व एक बार फ़िर इतिहास रचेगा. जिसकी कवायद में विशेष रूप से तैयारियां चल रही हैं, क्योंकि कैमरा ट्रैप के जरिये तीसरी आंख से पहरेदारी जारी है.
वहीं CF डॉक्टर नेशामणी के जल्द हीं सशस्त्र टाइगर फ़ोर्स का गठन करने में युद्धस्तर पर जुटे हैं जिससे बाघों के संरक्षण में काफी मदद मिलेगा. बता दें कि बाघ हमारे देश में राष्ट्रीय पशु के तौर पर विख्यात हैं, क्योंकि बाघ देश की शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि और धीरज के भी प्रतिक माने जाते हैं. वहीं महज 30 सेकंड के भीतर पलक झपकते इन्हें अपने शिकार करने में महारत हासिल है. लिहाजा सरकारी स्तर पर लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम कर जनभागीदारी के संदेश दिये जा रहें हैं.
इनपुट- इमरान अज़ीज़
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