Sursand Vidhan Sabha Seat: कभी कांग्रेस का गढ़ थी सुरसंड सीट, अब RJD-JDU में होती है उठापटक, BJP सीन से ही बाहर!
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Sursand Vidhan Sabha Seat: कभी कांग्रेस का गढ़ थी सुरसंड सीट, अब RJD-JDU में होती है उठापटक, BJP सीन से ही बाहर!

Sursand Vidhan Sabha Chunav: सुरसंड विधानसभा सीट हमेशा जातिगत गणित और सामाजिक मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमती रही है और भविष्य में भी यही इसके चुनावी स्वरूप को तय करेगी. शुरुआती दौर में यहां कांग्रेस का दबदबा देखने को मिलता था, जबकि मौजूदा दौर में यह सीट जेडीयू और राजद के बीच खींचतान का केंद्र बन चुकी है.

सुरसंड विधानसभा सीट
सुरसंड विधानसभा सीट

Sursand Assembly Seat Profile: बिहार के सीतामढ़ी जिले में स्थित सुरसंड विधानसभा सीट के राजनीतिक समीकरण हमेशा जातिगत आधार पर काफी प्रभावित होते रहे हैं. 1952 से लेकर 1990 तक इस सीट पर कांग्रेस का लगभग एकछत्र राज रहा, लेकिन 1995 के बाद से यह सीट विभिन्न दलों के बीच खिसकती रही. अब यहां पर कांग्रेस का प्रभाव पूरी तरह खत्म हो चुका है, जबकि बीजेपी अभी तक एक बार भी यहां जीत दर्ज नहीं कर सकी है. बीते कुछ दशकों में दलों की अदला-बदली का गवाह रही है. मुस्लिम-यादव के गठजोड़ के चलते यह सीट जेडीयू और राजद के बीच खींचतान का केंद्र बन चुकी है. जनता ने कई बार दलगत राजनीति से ऊपर उठकर चेहरों पर भी वोट किया है.

सियासी इतिहास

सुरसंड सीट 1952 से 1990 तक कांग्रेस के कब्जे में रही, जहां लगातार सात बार कांग्रेस के विधायक बने. लेकिन 1995 में जनता दल के नगेंद्र प्रसाद यादव ने कांग्रेस के रविंद्र प्रसाद साही को हराकर कांग्रेस की पकड़ ढीली कर दी. इसके बाद राजद और जदयू के बीच इस सीट पर मुकाबले होते रहे. वर्तमान में इस सीट से जदयू के दिलीप कुमार राय विधायक हैं. उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रत्याशी सैयद अबू दौजाना को हराया था. इससे पहले 2015 में अबू दौजाना ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी, जबकि 2010 में जदयू के शाहीद अली खान यहां से विधायक बने थे.

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जातीय समीकरण

सुरसंड विधानसभा में मुस्लिम और यादव मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. मुस्लिम वोटर लगभग 22.4% हैं, जबकि यादव मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं. इसके अलावा ब्राह्मण और राजपूत समुदाय के वोटर भी संतुलन बनाने में महत्वपूर्ण हैं. अनुसूचित जाति (SC) के मतदाता लगभग 9.66% (31,109) हैं, जबकि अनुसूचित जनजाति (ST) की भागीदारी बेहद कम, मात्र 0.11% (354) है.

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