'चांदी से बने होंगे इन किताबों के पन्ने...', बच्चे की महंगी बुक्स पर फूटा शख्स का गुस्सा, जमकर निकाली भड़ास
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'चांदी से बने होंगे इन किताबों के पन्ने...', बच्चे की महंगी बुक्स पर फूटा शख्स का गुस्सा, जमकर निकाली भड़ास

Viral Video: सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक शख्स प्राइवेट स्कूलों के प्रति तंजिया अंदाज में ताने कस रहा है. वो महंगी किताबों को लेकर अपना गुस्सा जाहिर कर रहा है. जिसके बाद कुछ और लोगों ने भी जमकर कमेंट्स किए हैं.

'चांदी से बने होंगे इन किताबों के पन्ने...', बच्चे की महंगी बुक्स पर फूटा शख्स का गुस्सा, जमकर निकाली भड़ास

Viral Video: स्कूलों की बढ़ती फीस और कई तरह की मनमानियों के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें एक शख्स किताबों की बढ़ती कीमतों को लेकर नाराजगी साफ दिखाई दे रही है. वायरल हो रहे वीडियो में प्राइवेट स्कूलों पर शिक्षा से ज्यादा मुनाफा कमाने का आरोप लगाया गया है. वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे स्कूल किताबों के नाम पर माता-पिता की जेबों पर भारी बोझ डाल रहे हैं.

वायरल वीडियो में क्या है?

आप भी वीडियो में देख सकते हैं कि एक आदमी कक्षा 5 के बच्चों की किताबें दिखाते हुए कहता है,'आज मैं क्लास 5 की किताबें लाया हूं. इनके कवर शायद चांदी के बने हैं, या फिर अंदर की तस्वीरों में चांदी की मोहर लगी होगी, तभी तो इतनी महंगी हैं. शायद जैसे ही बच्चा इन किताबों को हाथ में लेगा, उसे सब याद हो जाएगा. अगर ऐसा नहीं है तो फिर ये किताबें 5000 से 6000 रुपये की क्यों हैं?'

लोगों ने दी तीखी प्रतिक्रिया

वह नई शिक्षा नीति (NEP) का हवाला देते हुए सवाल करता है कि जब नीति कहती है,'एक देश, एक पाठ्यक्रम, एक किताब' तो फिर प्राइवेट स्कूल इतनी महंगी किताबें क्यों बेच रहे हैं? ये ना सिर्फ बच्चों के बैग का वजन बढ़ा रहे हैं, बल्कि माता-पिता पर आर्थिक बोझ भी डाल रहे हैं. इस वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. एक यूजर ने लिखा,'हमें एक ऐसा कानून चाहिए जिसमें स्कूल सिर्फ शिक्षा बेचें, किताबें और बाकी चीजें नहीं. ये स्कूल महंगी चीजें बेचकर भारी कमीशन कमा रहे हैं.'

'शॉपिंग मॉल बन गए हैं स्कूल'

एक और व्यक्ति ने लिखा,'ये सच में बहुत तकलीफ देता है. स्कूल अब शॉपिंग मॉल बन गए हैं. सब कुछ यहीं से खरीदो लेकिन असली शिक्षा कहीं और से लो. शायद अब माता-पिता को एक यूनियन बनानी चाहिए जो स्कूल फीस और पढ़ाई के स्तर पर बात कर सके.'

'7वीं कक्षा की किताबें 9 हजार में'

एक तीसरे यूजर ने नाराजगी जताई,'सब कुछ धंधा बन गया है लेकिन पढ़ाई नहीं हो रही. मैंने 7वीं क्लास की किताबों और कॉपियों के लिए 9000 रुपये दिए हैं! ये तो हद हो गई'. राजनीतिक पहलू जोड़ते हुए एक यूज़र ने लिखा,'ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों में नेताओं का पैसा लगा होता है, इसलिए वे शिक्षा व्यवस्था में कोई सुधार नहीं करते और न ही करने देते हैं.'

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