DNA on Artificial Rain in Delhi: सर्दियों में दिल्ली को दमघोंटू प्रदूषण से बचाने के लिए रेखा गुप्ता सरकार आर्टिफिशियल बारिश करवाने का प्लान बना रही है. क्या यह योजना वाकई प्रदूषण से निजात दिलाने में कामयाब हो पाएगी.
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Plan for Artificial Rain in Delhi: क्या आप CLOUD SEEDING और ARITIFICIAL RAIN के बारे में जानते हैं. यानी ऐसी बारिश जो प्राकृतिक नहीं बल्कि मानव निर्मित होती है. ऐसी बारिश..जो कुदरत नहीं इंसान के इशारे पर होती है. अब देश की राजधानी दिल्ली में ARTIFICAL RAIN कराने का प्लान बनाया जा रहा है. दिल्ली में कृत्रिम बरसात क्यों कराई जा रही है. ये समझने के लिए आपको दिल्ली की रेखा सरकार का पूरा प्लान बेहद गौर से देखना और समझना चाहिए.
इस प्लान के तहत दिल्ली में पहली बार कृत्रिम बरसात की जाएगी. दिल्ली में इस प्रोजेक्ट की अगुवाई IIT कानपुर के इंजीनियर और एक्सपर्ट करेंगे. दिल्ली सरकार की योजना है कि अगले महीने 4 से 11 तारीख के बीच ARTIFICIAL RAIN कराई जाएगी. इसके लिए एक खास विमान भी तैयार कर लिया गया है. इस प्रयोग के लिए IIT कानपुर ने अपना फ्लाइट प्लान भी मौसम विभाग को सौंप दिया है.
कैसे करवाई जाती है कृत्रिम बारिश?
कृत्रिम बरसात से दिल्ली का प्रदूषण किस तरह कम किया जा सकता है. इसकी पूरी जानकारी भी हम आगे देंगे लेकिन पहले ये जानना जरूरी है कि कृत्रिम बारिश किस तरह कराई जाती है. ये समझने के लिए आपको हमारे ग्राफिक्स गौर से देखने चाहिए. कृत्रिम बरसात कराने के लिए सबसे पहले ऐसे बादल चुने जाते हैं. जिनके अंदर पानी की बूंदें बड़ी मात्रा में मौजूद होती हैं. फिर दो किस्म के रासायनिक पदार्थों में से एक का चुनाव किया जाता है.
पहला होता है SILVER IODIDE, जो बादलों में मौजूद पानी के संपर्क में आकर छोटे छोटे ICE CRYSTAL बना देता है. दूसरा पदार्थ होता है ठोस CARBON DIOXIDE. इसके संपर्क में आने से भी बादल तेजी से ठंडे होने लगते हैं. आखिर में विमान के जरिए ये पदार्थ बादलों के ऊपर छोड़े जाते हैं और ठंडा होते ही बादलों से पानी बरसने लगता है.
दिल्ली में प्रदूषण से निपटने का प्लान
अब तक बड़े पैमाने पर इस तकनीक का इस्तेमाल अमेरिका, रूस, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, मेक्सिको, थाईलैंड और चीन जैसे देश ही करते हैं. इन सभी देशों में सिर्फ चीन ही एक ऐसा देश है, जो प्रदूषण को काबू करने के लिए कृत्रिम बरसात कराता है. कुछ ऐसा ही करने का प्लान दिल्ली में भी तैयार किया गया है. किस तरह कृत्रिम बरसात दिल्ली की हवा को बेहतर करेगी, ये भी आपको समझना चाहिए.
सर्दियों के मौसम में हवा में मौजूद प्रदूषण फैलाने वाले तत्व, नमी के साथ मिलकर निचले वातावरण में ही रहते हैं. जिसकी वजह से स्मॉग जैसी स्थितियां उत्पन्न होती हैं लेकिन अगर बरसात हो जाती है तो PM 2.5 जैसे प्रदूषक तत्व वातारवण से धुल जाते हैं. आमतौर पर उत्तर भारत और खासकर दिल्ली में ज्यादा बरसात नहीं होती. इसी वजह से कृत्रिम बरसात से जुड़ा प्रयोग किया जा रहा है ताकि सर्दियों में स्मॉग जैसी समस्या से दिल्लीवालों को मुक्ति मिल सके.
सर्दियों के लिए अभी से तैयारी शुरू
अब तक दिल्ली में स्मॉग से निपटने के लिए मोबाइल वॉटर स्प्रेयर और स्मॉग गन जैसे तरीकों का इस्तेमाल किया जाता था. जिनके प्रभाव का दायरा सीमित या यूं कहें कि बहुत छोटा होता था लेकिन अगर IIT कानपुर का ये प्रयोग सफल हुआ तो शायद सर्दियों में दिल्ली को स्मॉग का सामना ना करना पड़े. हालांकि सोशल मीडिया पर एक सवाल जरूर पूछा जा रहा है कि दिल्ली में मॉनसून का सीजन चल रहा है. पहले से ही बरसात हो रही है. ऐसे में दिल्ली सरकार कैसे तय कर पाएगी...कि प्रदूषण रोकने में कृत्रिम बरसात कितनी प्रभावी साबित हुई.