पाकिस्तान का गली-मोहल्ला भी यहां से दिखेगा, ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना को मिलने जा रही 'आसमानी पावर'
Advertisement
trendingNow12821287

पाकिस्तान का गली-मोहल्ला भी यहां से दिखेगा, ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना को मिलने जा रही 'आसमानी पावर'

India Pakistan News: क्या आप जानते हैं मई के पहले हफ्ते में जब पाकिस्तान से तनाव चरम पर था, ड्रोन अटैक और मिसाइल हमले शुरू हुए थे तब भारतीय सेना ने दुश्मन की हर पहल को नाकाम कैसे किया था. वो आसमानी आंख थी, जिसे अब 'टॉर्च' का रूप देने की तैयारी है. भारतीय सेना को दुश्मन पर नजर रखने के लिए एक बड़ा मिशन शुरू हो गया है. 

पाकिस्तान का गली-मोहल्ला भी यहां से दिखेगा, ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना को मिलने जा रही 'आसमानी पावर'

Space Surveillance Indian Army: जैसे हम तेज रोशनी वाली टॉर्च जलाकर दूर अंधेरे में भी सब कुछ बड़े आराम से देख लेते हैं, कुछ वैसा ही काम करने के लिए भारतीय सेना को 'आसमानी टॉर्च' मिलने जा रही है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद दुश्मन के इलाके की निगरानी के लिए इसकी जरूरत भी महसूस की जा रही है. वैसे, इस बार भी हमने आसमान से निगरानी की थी लेकिन भारत की तैयारी अब इससे भी बड़ी है. भारत अपने सशस्त्र बलों की रक्षा तैयारियों को ध्यान में रखते हुए 52 डेडिकेटेड सैटेलाइट्स लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है. यह एक व्यापक सैन्य स्पेस डॉक्ट्रीन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया का हिस्सा है.

52 सैटलाइट का क्या होगा?

अंतरिक्ष आधारित निगरानी यानी SBS कार्यक्रम के तीसरे चरण को पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने मंजूरी दी थी. इस पर 26,968 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसके तहत इसरो 21 उपग्रह और तीन निजी कंपनियों की मदद से 31 उपग्रहों को बनाने के साथ लॉन्च किया जाना है. इनमें पहला उपग्रह अगले साल अप्रैल तक लॉन्च किया जाना है. बाकी सभी 51 उपग्रहों को 2029 तक आसमान में तैनात कर दिया जाएगा. 

निशाने पर चीन और पाकिस्तान

यह परियोजना रक्षा मंत्रालय के एकीकृत रक्षा स्टाफ (आईडीएस) के तहत रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा संचालित की जा रही है. TOI की रिपोर्ट के मुताबिक एक सूत्र ने बताया कि इन सैटेलाइट्स को लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) और जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में तेजी से लॉन्च करने के लिए समय सीमा को कम करने पर भी काम चल रहा है. जिन तीन निजी कंपनियों को काम सौंपा गया है, उन्हें सैटेलाइट बनाने में तेजी लाने को कहा गया है. SBS-3 का उद्देश्य चीन और पाकिस्तान के साथ-साथ हिंद महासागर क्षेत्र के बहुत बड़े क्षेत्रों पर लगातार नजर रखना है. अभी इसमें थोड़ा समय लगता है, एक ही स्थान की दो लगातार निगरानी यात्राओं के बीच का अंतराल कम करना बेहद जरूरी है. साथ ही तस्वीर बेहतर रिजॉल्यूशन की होगी. सब कुछ सही रहा तो भारतीय सैटलाइट की मदद से हम दुश्मन का गली-मोहल्ला भी आसानी से देख सकेंगे. 

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के अंतरिक्ष सिद्धांत को बेहतर किया जा रहा है. इसके साथ-साथ भारतीय वायुसेना तीन काफी ऊंचाई वाले प्लेटफॉर्म सिस्टम (HAPS) एयरक्राफ्ट पर भी तेजी से काम कर रही है. यह मानव रहित विमान या कहिए कि 'छद्म उपग्रह' होगा. यह खुफिया, निगरानी और टोही मिशनों पर लंबे समय तक जमीन से 10 से 50 किमी की ऊंचाई में (stratosphere) तैनात रहेगा. 

ऑपरेशन सिंदूर में क्या हुआ था?

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान 7 से 10 मई तक पाकिस्तान की तरफ से काफी हलचल देखी गई थी. भारत ने पाकिस्तान के सैन्य मूवमेंट पर नजर रखने के लिए अपने कार्टोसैट जैसे घरेलू उपग्रहों के साथ-साथ विदेशी कॉमर्शियल सैटलाइट का भी इस्तेमाल किया था. एक्सपर्ट मान रहे हैं कि भारत जितनी जल्दी 52 उपग्रहों वाला समूह अंतरिक्ष में स्थापित कर लेगा, उतना ही बेहतर होगा. भारत को एक तरह से अपना उपग्रह कवच तैयार करने की जरूरत है क्योंकि चीन जैसे देश स्पेस में हमारे प्रभाव को देखते हुए अलग तरह के हथियार विकसित करने में लगे हुए हैं. 

चीन का सैन्य अंतरिक्ष कार्यक्रम 2010 में सिर्फ 36 उपग्रहों का था जो 2024 तक 1,000 से भी ज्यादा हो गया. इसमें 360 निगरानी, खुफिया और टोही मिशनों के लिए समर्पित है.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news

;