ISS से कब लौटेंगे भारत के शुभांशु शुक्ला? धरती पर आने के बाद एस्ट्रोनॉट्स के साथ क्या होता है
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ISS से कब लौटेंगे भारत के शुभांशु शुक्ला? धरती पर आने के बाद एस्ट्रोनॉट्स के साथ क्या होता है

Indian astronaut Shubhnshu Shukla: शुभांशु शुक्ला के स्पेस मिशन से लौटने के बाद उनका स्वागत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और इंडियन एयरफोर्स द्वारा किया जाएगा. हालांकि, जमीन पर आते ही उन्हें कुछ हफ्तों के लिए मेडिकल परीक्षण और रिकवरी प्रक्रिया से गुजरना होगा. 

ISS से कब लौटेंगे भारत के शुभांशु शुक्ला? धरती पर आने के बाद एस्ट्रोनॉट्स के साथ क्या होता है

भारत के लिए एक और काबिले फख्र लम्हा आया है. भारतीय वायुसेना के पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इतिहास रच दिया है. वे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर कदम रखने वाले पहले भारतीय बन गए हैं. ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसशिप से 28 घंटे की पृथ्वी के चारों ओर यात्रा करने के बाद ISS पर पहुंचे. ISS से जुड़ने से पहले, जब ड्रैगन यान पृथ्वी की कक्षा में चक्कर काट रहा था, तब शुक्ला ने अपने शुरुआती अनुभव साझा किए. उन्होंने कहा कि वह सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (microgravity) में रहना एक बच्चे की तरह सीख रहे हैं और स्पेस में तैरने का अनुभव 'अद्भुत' है.

ISS पहुंचने पर शुक्ला और अन्य तीन अंतरिक्ष यात्रियों का गर्मजोशी से गले मिलकर और हाथ मिलाकर स्वागत किया गया. आईएसएस में औपचारिक स्वागत समारोह में उन्होंने कहा, 'आपके प्यार और आशीर्वाद से मैं अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंच गया हूं. यहां खड़ा होना आसान लग रहा है, लेकिन मेरा सिर थोड़ा भारी है, थोड़ी परेशानी हो रही है; लेकिन ये छोटी-मोटी बातें हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'मैं अंतरिक्ष यात्री 634 हूं. यहां होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है.'

शुभांशु शुक्ला कब वापस आएंगे? 
राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय शुक्ला गुरुवार को तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ एक्सिओम-4 मिशन के तहत ISS पहुंचे. वे 14 दिनों तक वहां रहेंगे, इस दौरान सभी विज्ञान प्रयोगों की एक सीरीज में हिस्सा लेंगे. शुक्ला ISS पहुंचने के ठीक 14 दिन बाद 10 जुलाई को धरती पर वापस आएंगे.

अंतरिक्ष यात्री संख्या 634 का ISS पर पहला मैसेज
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर अपने पहले मैसेज में शुक्ला ने मिशन कमांडर को धन्यवाद दिया और कहा कि वह यहां आकर 'गौरवशाली' महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'पैगी (व्हिटसन, मिशन कमांडर) आपका धन्यवाद. मैं अंतरिक्ष यात्री संख्या 634 हूं, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है. लेकिन, सच कहूं तो उन कुछ लोगों में शामिल होना भी मेरे लिए सौभाग्य की बात है जिन्हें पृथ्वी को उस सुविधाजनक स्थान से देखने का मौका मिला है जिसे मैं अब देख पाया हूं.

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने आगे कहा, 'यह एक शानदार यात्रा रही है. मैं अंतरिक्ष में आने के लिए उत्सुक था. यह कुछ ऐसा है जिसका बेसब्री से इंतजार किया जा सकता है. लेकिन जैसे ही मैंने ISS में प्रवेश किया. इस चालक दल (ISS पर पहले से मौजूद एक्सपेडिशन-73 चालक दल की ओर इशारा करते हुए) ने मुझे बहुत स्वागत का एहसास कराया. आपने सचमुच हमारे लिए अपने घर के दरवाजे खोल दिए. यह शानदार था. मैं और भी बेहतर महसूस कर रहा हूं' शुक्ला ने कहा कि आईएसएस पहुंचने पर उनका सिर भारी हो गया था, लेकिन कंधे पर तिरंगा उन्हें याद दिला रहा था कि भारतीय उनके साथ हैं.

शुभांशु शुक्ला के स्पेस से वापस लौटने के बाद क्या होगा?
शुभांशु शुक्ला के स्पेस मिशन से लौटने के बाद उनका स्वागत भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और इंडियन एयरफोर्स द्वारा किया जाएगा. हालांकि, जमीन पर आते ही उन्हें कुछ हफ्तों के लिए मेडिकल परीक्षण और रिकवरी प्रक्रिया से गुजरना होगा. इस दौरान वे मेडिकल एक्सपर्ट की देखरेख में रहेंगे.  जब उनका शरीर पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण के मुताबिक फिर से सामान्य हो जाएगा तो वे वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष विशेषज्ञों के साथ मिलकर अपने अंतरिक्ष अनुभव, रिसर्च और तकनीकी जानकारियां साझा करेंगे. इसके अलावा, वे युवाओं को प्रेरित करने के लिए शैक्षणिक और सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा ले सकते हैं.

पीएम मोदी की शुभांशु शुक्ला से बातचीत
आईएसएस से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत में शुक्ला ने कहा कि उन्हें माइक्रोग्रैविटी स्थितियों में माइक्रोएल्गी के विकास पर एक प्रयोग करना था, जो काफी पौष्टिक होते हैं. अंतरिक्ष यात्री ने यह भी कहा कि वह इस बात का स्टडी कर रहे थे कि क्या विशिष्ट सप्लीमेंट माइक्रोग्रैविटी स्थितियों में मांसपेशियों के नुकसान को कम कर सकते हैं, जिससे बुजुर्ग लोगों में मांसपेशियों के क्षय के लिए दवा विकसित करने में मदद मिल सकती है.

इस दौरान  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘भारत को मिशन गगनयान के साथ आगे बढ़ना चाहिए, अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाना चाहिए और चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री को उतारने का लक्ष्य हासिल करना चाहिए.’ वहीं, युवाओं के लिए अपने मैसेज में शुक्ला ने कहा, "आसमान कभी सीमा नहीं रहा, न मेरे लिए, न आपके लिए और न ही भारत के लिए.' उन्होंने युवाओं से इस विश्वास को बनाए रखने का आग्रह किया. शुक्ला का मिशन अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की बढ़ती भूमिका में एक बड़ा कदम है और वैश्विक मंच पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक नए युग का संकेत है.

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