Bhopal School News: बच्चों की जान के साथ खिलवाड़? शहर में कभी भी हो सकता है राजस्थान जैसा हादसा
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Bhopal School News: बच्चों की जान के साथ खिलवाड़? शहर में कभी भी हो सकता है राजस्थान जैसा हादसा

School Collapse Bhopal: राजधानी भोपाल में बारिश ने बच्चों की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है. प्रदेश के अधिकतर स्कूल बैठने की हालत में नहीं हैं. जर्जर स्कूलों की हालत देख, लग रहा है कि बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ने जाते हैं. बता दें कि शहर में लगभग 836 स्कूलों में से 50 फीसदी स्कूलों की हालत बहुत खराब है.

 बारिश ने खोली बच्चों की शिक्षा व्यवस्था की पोल
बारिश ने खोली बच्चों की शिक्षा व्यवस्था की पोल

Bhopal Schools Collapse: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में से बदहाल शिक्षा व्यवस्था को लेकर फिर एक बार शिक्षा विभाग सुर्खियों में है, हाल ही में हुए झालावाड़ कांड के बाद बच्चों के परिवारों में स्कूल की व्यवस्था को लेकर डक का माहौल है. कुछ इस तरह का माहौल भोपाल के क्षेत्रों में भी देखा गया है. 100 साल पुराने स्कूलो में अभी कक्षाऐं चलती है, जिसमें रोजाना हजारों बच्चे इन स्कूलों में पढ़ने आते हैं. जबकि यहां पुराने स्कूलों की हालत बद से बदतर हो गई है. वहीं बारिश में इनकी छतें भी टपक रही हैं, ऐसे में बच्चों का इस तरह के जर्जर हालत में पढ़ना सरकार और शिक्षा विभाग पर सवाल खड़े हो रहे हैं. 

मिली जानकारी के मुताबिक, शहर में लगभग 836 स्कूल हैं, लेकिन इनमें से कुल 450 स्कूलों की हालत बहुत ही गंभीर है, जिन्हें मरम्मत की आवशयकता है. इन्हीं स्कूलों में से कुछ 100 साल पुरानी स्कूल इमारतें भी हैं, जिनमें से 50 ऐसी दीवारें हैं, जिनमें में दरारें हैं. जिनकी तुरंत मरम्मत की जानी है. कई कमरों में तो सीलन भी देखी गई है. इस पर आशंका जताई जा रही है कि यहां पर किसी दिन इन बिल्डिंग्स में राजस्थान के झालावाड़ की तरह बड़ा हादसा हो सकता है. 

चूने-गारे से बनी हैं स्कूल दीवारें
बता दें कि राजधानी भोपाल में कई ऐसे पुराने स्कूल हैं, जिनकी दीवारें चूने और गारे से बनी हैं, जिनकी मियाद भी अब खत्म हो चुकी है. इसके बावजूद भी यहां करीब एक लाख बच्चे पढ़ रहे हैं, हैरानी की बात यह है कि राजधानी के स्कूलों की ऐसी जर्जर हालत ने यहां की सरकार को और शिक्ष के कटघरे में खड़ा कर दिया है, स्कूल शिक्षा विभाग बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने का दावा करते हैं, लेकिन इन सभी दावों की बारिश ने पोल खोल कर रख दी.

मरम्मत के लिए प्रस्ताव पेंडिंग 
सदर मंजिल के पास हमीदिया स्कूल का भवन भी सबसे पुराना है. इनमें पिछले साल एक दीवर ढह गई थी, कुछ रूम में अब क्लासेस बंद है. आपको बता दें कि यहां पर चार जर्जर कमरों में कक्षाएं लग रही हैं. पूछताछ करने पर स्कूल की प्राचार्य विमला शाह ने बताया कि मरम्मत के लिए प्रस्ताव पेंडिंग पड़ा है. जिसके बाद से लोगों का मानना है कि सरकारी स्कूलों के रखरखाव के प्रति बिल्कुल भी गंभीर नहीं है, इसे सांदीपनी स्कूलों के बजट रखा जाता है और शहर के आठ नए सांदीपनी स्कूलों के लिए 300 करोड़ बजट दिया गया है. वहीं दूसरी ओर पिपलियां के मिडिल स्कूल का प्लास्टर गिर रहा है, फिर भी वहां बच्चे जोखिम लेकर कक्षाएं कर रहें है.

स्कूलों में मरम्मत की जरूरत
यह मामला सामने आने के बाद जिला परियोजना अधिकारी आर के यादव का कहना है कि राजधानी भोपाल के 450 स्कूलों में मरम्मत की जरूरत है, जिनमें से 50 ऐसे हैं, जिनमें तत्काल सुधार की जरुरत है. नहीं तो यह कभी भी ढ़ह सकती है, इसके के साथ उन्होंने शिक्षा विभाग को आदेश देते हुए हर स्कूल की जांच कराने की मांग की है, जिसको सुधार के लिए प्रस्ताव भेजा चुका है. जिस पर बजट व मंजूरी मिलते ही काम शुरू कर दिया जाएगा.

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