Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में कुपोषण को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने सभी जिलों के कलेक्टरों को 4 हफ्ते में कुपोषण पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.
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Jabalpur News: मध्य प्रदेश में कुपोषण की गंभीर स्थिति को लेकर जबलपुर के एक व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने सभी जिलों के कलेक्टरों को अपने-अपने जिलों में कुपोषण की वर्तमान स्थिति पर 4 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार और मुख्य सचिव से भी जवाब मांगा है. याचिकाकर्ता का आरोप है कि सरकार और प्रशासन कुपोषण का सच छिपा रहे हैं और सरकारी पोषण योजनाओं में लापरवाही और भ्रष्टाचार है.
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कुपोषण पर हाईकोर्ट सख्त!
दरअसल, यह याचिका जबलपुर के दीपांकर सिंह ने दायर की थी. यह याचिका कोर्ट में तब दायर की गई जब रीवा जिले में पैरों से रौंदकर पोषण आहार तैयार करने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. जिस पर मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने सुनवाई की. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में कुपोषण की वास्तविक स्थिति की रिपोर्ट चार सप्ताह के भीतर कोर्ट को दें.
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याचिका में क्या कहा गया?
याचिका में कहा गया है कि सरकार और प्रशासन कुपोषण के मुद्दे पर सिर्फ़ आंकड़ों की बाजीगरी कर रहे हैं, जबकि ज़मीनी हालात बेहद चिंताजनक हैं. बच्चों की हालत दिन-ब-दिन कमज़ोर होती जा रही है, लेकिन सरकारी रिपोर्टों में स्थिति को बेहतर दिखाने की कोशिश की जा रही है. याचिका में यह भी कहा गया है कि पोषण योजनाओं में प्रोटीन और विटामिन की भारी कमी है, जिससे बच्चे न सिर्फ़ कमज़ोर हो रहे हैं, बल्कि बौने भी हो रहे हैं. न्यूट्रिशन ट्रैकर 2.0 और हालिया स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, साल 2025 में कुपोषण की दर 3% बढ़ गई है. साथ ही, बच्चों और महिलाओं के लिए भेजे गए पोषण आहार के वितरण और परिवहन में भी गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं. कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि साल 2025 में पोषण आहार के नाम पर 858 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. (सोर्स- दैनिक भास्कर)
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