Vegetable Price Hike-छत्तीसगढ़ में लगातार हो रही बारिश ने लोगों की परेशानी को और बढ़ा दिया है. बारिश के चलते सब्जियों की कीमतें बढ़ना शुरू हो गई हैं. अब मंडियों में सब्जियां खरीदना जेब पर भारी पड़ रहा है और खरीदारी बजट से बाहर होते जा रही है. घाटा सहन करने के बाद भी व्यापारी सब्जियां मंगा रहे हैं. बारिश की मार और बाहरी राज्यों पर निर्भरता ने सब्जियों को महंगा कर दिया है.
फिलहाल राजधानी रायपुर सहित प्रदेश की सभी मंडियों में सब्जियां आसपास के जिलों से आ रही हैं, जबकि 75 प्रतिशत कर्नाटक, महाराष्ट्रा, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश और राजस्थान से आ रही हैं. छत्तीसगढ़ की तरह ही इन राज्यों में हुई बारिश के चलते फसलें प्रभावित हुईं हैं, जिससे दामों में इजाफा हुआ है.
प्रदेश में टमाटर कर्नाटक से आ रहा है, एक कैरेट की कीमत 800 रुपए तक पहुंच गई हैं. कर्नाटक से कैरेट के हिसाब से कम माल ही बाहर भेजा जा रहा है. वहीं महाराष्ट्र से आने वाली फूलगोभी और पत्तागोभी भी मंहगी हो गई हैं.
वहीं दूसरी तरफ राजस्थान से आ रही शिमला मिर्च की आवक भी सीमित है, जिससे इसके भी दाम बढ़ गए हैं. पश्चिम बंगाल से परवल और आलू आ रहे हैं. लेकिन परिवहन का खर्च और लगातार हो रही बारिश ने इसकी कीमत को भी बढ़ा दिया है. इसके अलावा सभी सब्जियों के दाम औसतन 20-30 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं.
प्रदेश के जिलों में आसपास के क्षेत्रों से आने वाली लौकी, करेला, भिंडी, भांटा, खीरा, पालक, लाल भाजी, गिलकी जैसी सब्जियां भी बारिश के चलते खराब हो चुकी हैं. फसलें खराब होने से आपूर्ति बहुत घट गई है, यहीं वजह है कि इनकी कीमतों में इजाफा हो गया है.
सेमी अभी तक सबसे महंगी सब्जी हैं, यह 120 रुपए से 140 रुपए प्रति किलो तक पहुंच चुका है. इसके अलावा गरियाबंद से आने वाला मशरूम तो आम लोगों की पहुंच से दूर जा चुका है. थोक में इसका भाव 1300 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया है, जबकि रिटेल में 500 रुपए पाव बिक रहा है.
व्यापारियों का कहना है कि बारिश के चलते माल समय पर नहीं आ पा रहा और जो आ रहा है उसकी क्वालिटी भी प्रभावित है. ऊपर से दाम बढ़ने के कारण खरीद कम हो गई है. वहीं लोग यानी ग्राहकों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. एक ओर क्वालिटी खराब है, दूसरी ओर कीमतें आसमान छू रही हैं. लगातार बढ़ती कीमतों ने लोगों की परेशानी को बढ़ा दिया है.
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