Gwalior News: रजिस्ट्री घोटाले में बड़ा खुलासा,नाम बदलकर लाखों रुपए की हेराफेरी!
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Gwalior News: रजिस्ट्री घोटाले में बड़ा खुलासा,नाम बदलकर लाखों रुपए की हेराफेरी!

Gwalior News: ग्वालियर के डबरा में रजिस्ट्री घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें स्थान बदलकर 5.11 लाख रुपये से अधिक की स्टाम्प ड्यूटी चोरी कर ली गई. शिकायत के आधार पर एसडीएम द्वारा दो साल बाद की गई जांच में यह फर्जीवाड़ा सामने आया.

Gwalior News: रजिस्ट्री घोटाले में बड़ा खुलासा,नाम बदलकर लाखों रुपए की हेराफेरी!

Registry scam in Gwalior: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. डबरा के उप पंजीयक  ऑफिस में एक बड़े रजिस्ट्री घोटाले का खुलासा हुआ है, जहां स्टांप ड्यूटी से बचने के लिए प्रॉपर्टी की लोकेशन बदलकर रजिस्ट्री की जा रही थी. इस फर्जीवाड़े में सर्विस प्रोवाइडर और सब रजिस्ट्रार की मिलीभगत उजागर हुई है. दो साल बाद एक शिकायत के आधार पर एसडीएम की जांच में इसका खुलासा हुआ. जांच रिपोर्ट में यह भी पता चला कि मकानों की रजिस्ट्री प्लॉट में की जा रही थी और सड़क पर मौजूद प्रॉपर्टी को अंदर दिखाया जा रहा था, जिससे बड़े पैमाने पर स्टांप ड्यूटी की चोरी की जा रही थी. प्रशासन ने अब इस मामले में सख्ती बरतनी शुरू कर दी है.

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ग्वालियर के डबरा में रजिस्ट्री घोटाला
दरअसल, ग्वालियर के डबरा में पंजीयन विभाग में स्टाम्प ड्यूटी चोरी का गंभीर मामला सामने आया है. ग्रामीण क्षेत्र सहराई में अर्जुन नगर की संपत्तियों को दर्शाकर कम स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान किया गया. सेवा प्रदाता व उप पंजीयक की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा हुआ. शिकायत पर दो साल बाद जांच हुई जिसमें उप पंजीयक की लापरवाही सामने आई. रिपोर्ट संयुक्त कलेक्टर को सौंपी गई. 

लोकेशन बदलकर स्टाम्प ड्यूटी चोरी का खेल
बता दें कि डबरा के  उप पंजीयक कार्यालय में स्टाम्प ड्यूटी चोरी के मामले सामने आए हैं. एक मामले में अर्जुन नगर स्थित एक प्रॉपर्टी को सहराई गांव में बताकर रजिस्ट्री में दर्शाया गया. इससे सरकार को 5 लाख 11 हजार रुपए का नुकसान हुआ. शिकायत के बाद मामले की जांच की गई, जिसमें उप पंजीयक महेंद्र कौरव को उनके पद से संबंधित लापरवाही के लिए दोषी माना गया.

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दो साल बाद उजागर हुआ फर्जीवाड़ा
यह फर्जीवाड़ा संपत्ति की रजिस्ट्री होने के दो साल बाद तब सामने आया, जब स्टांप ड्यूटी चोरी की शिकायत कलेक्टर के पास पहुंची. इसके बाद एसडीएम ने जांच कर संयुक्त कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपी. जांच में पता चला कि दस्तावेज में संपत्ति का स्थान अर्जुन नगर दिखाया गया था, जबकि गणना सहराई गांव के रेट के हिसाब से की गई थी. इस अनियमितता के कारण सरकार को आर्थिक नुकसान हुआ. हालांकि, बाद में पंजीयन विभाग ने चोरी की गई स्टांप ड्यूटी की राशि जमा करा दी. (सोर्स- पत्रिका)

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