Viral income certificate: कितना कमाते हो, जीरो! इस अजीबोगरीब इनकम सर्टिफिकेट ने इंटरनेट पर मचाया तहलका
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Viral income certificate: कितना कमाते हो, जीरो! इस अजीबोगरीब इनकम सर्टिफिकेट ने इंटरनेट पर मचाया तहलका

Viral Income Certificate: तीन रुपए इनकम सर्टिफिकेट के बाद 'शून्य' आय प्रमाणपत्र सुर्खियों में बना हुआ है. इंटरनेट पर वायरल हो रहे इस इनकम सर्टिफिकेट को देखकर लोग कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं. कुछ दिन पहले भी सतना से मिलता जुलता मामला सामने आया था जिसने अब मध्य प्रदेश प्रशासन को सवालों के कठघरे में घेर रखा है.

 

satna zero income certificate
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Viral Zero Income Certificate Satna: मध्य प्रदेश के सतना से अजीबो गरीब मामला सामने आया है. इन दिनों सोशल मीडिया पर 'जीरो इनमक सर्टिफिकेट'यानी शून्य आय प्रमाणपत्र तेजी से वायरल हो रहा है. जो कोई भी इस सर्टिफिकेट को गौर से देख रहा अपना सिर पकड़ कर बैठ जा रहा है. बीते कुछ दिन पहले भी '3 रूपए इनमक सर्टिफिकेट' की फोटो ने चर्चाओं का बाजार गर्म किया था वहीं अब शून्य आय सर्टिफिकेट को देखकर लोग कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं. 

क्या है पूरा मामला
सतना से '3 रूपए इनमक सर्टिफिकेट'के वायरल होने के बाद अब 'जीरो इनमक सर्टिफिकेट' ने तूल पकड़ ली है. दरअसल, ये प्रमाणपत्र उचेहरा तहसील के अमदरी निवासी संदीप कुमार नामदेव का बताया जा रहा है. सर्टिफिकेट के हिसाब से  संदीप  को पूरे साल  काम करने पर मध्य प्रदेश प्रशासन की ओर से 'शून्य' रूपए दिए जाते हैं. संदीप कुमार नामदेव का आय प्रमाणपत्र, जिसे 7 अप्रैल 2025 को जारी किया गया था उसपर साफ तौर पर तहसीलदार रविकांत शर्मा के हस्ताक्षर भी देखे जा सकते हैं.

लोगों ने उठाए सवाल
इंटरनेट पर हंगामा मचा रहे इस सर्टिफिकेट के खिलाफ लोगों की कई प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है. लोगों ने सवाल उठाए हैं कि आखिर कैसे कोई शून्य की आय पर जीवनयापन कर सकता है. संदीप कुमार के गांव में भी चर्चा है कि,  संदीप को काम के बदले प्रशासन की ओर से फूटी कौड़ी भी नहीं दी जाती है. वहीं कुछ लोग इस प्रमाणपत्र को 22 जुलाई 2025 को जारी हुए तीन रुपए वाले आय प्रमाणपत्र से जोड़कर देख रहे हैं. 

प्रशासनिक गलती या कुछ और
संदीप की आय कुछ भी न होने से लोगों ने तरह-तरह के अटकले लगानी शुरू कर दी है. कोई प्रशासन की गलती बता रहा तो कोई इन तथ्यो को मजाकिया बता रहा है. वहीं हैरानी की बात यह है कि बिना किसी वैरिफिकेशन के तहसील कार्यालय ने दोबारा इतना अविश्वसनीय दस्तावेज कैसे जारी कर दिया? ये घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि आय प्रमाणन की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाती है.

रिपोर्ट: संजय लोहानी, सतना

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