Agra News: बलरामपुर के छांगुर बाबा की तर्ज पर धर्मांतरण का गिरोह चलाने वाले आगरा के अब्दुल रहमान उर्फ चचा को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया है. अब्दुल रहमान के दो बेटों की भी गिरफ्तारी हुई है.
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शकील अहमद/आगरा: आगरा में धर्मांतरण रैकेट की जांच कर रही पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट इलाके दयालपुर से आगरा पुलिस ने मुख्य साजिशकर्ता अब्दुल रहमान उर्फ 'चचा' को गिरफ्तार किया है.रहमान के अलावा उसके दो बेटे भी गिरफ्तार किये गये हैं. रहमान कभी महेंद्र पाल था, जिसने 1990 में इस्लाम कबूल किया और अब खुद धर्मांतरण कराने वाले गैंग का मास्टरमाइंड बन गया.
गिरफ्तारी से शाहीन बाग कनेक्शन सामने आया
अब्दुल रहमान की गिरफ्तारी के साथ ही धर्मांतरण रैकेट का शाहीन बाग कनेक्शन भी सामने आया है. वह पहले से गिरफ्तार मौलाना कलीम सिद्दीकी का सहयोगी रहा है, जिसने 2021 में गिरफ्तारी के बाद धर्मांतरण सिंडिकेट की कमान अब्दुल को सौंप दी थी.
रोहतक की लापता लड़की दिल्ली में बरामद
अब्दुल रहमान के ठिकाने से हरियाणा की रोहतक की रहने वाली एक युवती को भी पुलिस ने रेस्क्यू किया, जिसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट नवंबर में दर्ज हुई थी. रहमान उसे भी इस्लाम कबूल करवाने की तैयारी में था. बताया गया है कि यह गैंग पहले लड़कियों की ब्रेनवॉशिंग करता, फिर धर्मांतरण कर उन्हें 'जिहादी एजेंडे' में शामिल करने का प्रयास करता था.
गोवा से गिरफ्तार आयशा ने किया बड़ा खुलासा
इस मामले में पहले गोवा से गिरफ्तार युवती आयशा ने भी पूछताछ के दौरान रहमान चचा का नाम लिया था. आयशा खुद भी इस रैकेट में शामिल थी और लड़कियों को फंसाने और उन्हें ‘तैयार’ करने में मदद करती थी.
रहमान के घर से मिलीं धर्मांतरण की किताबें
छापेमारी में पुलिस को रहमान के घर से धर्मांतरण से जुड़ी कई किताबें मिली हैं, जिनमें शामिल हैं:
"आपकी अमानत आपकी सेवा में"
"धर्म परिवर्तन"
"ईश्वर और सृष्टि – श्रेष्ठ कौन?"
"Returning Your Trust"
"इस्लाम और आतंकवाद"
ये किताबें ग्लोबल पीस सेंटर, शाहीन बाग, ओखला से प्रकाशित बताई जा रही हैं. इनका इस्तेमाल हिंदू युवाओं को बहला-फुसलाकर इस्लाम धर्म अपनाने को प्रेरित करने के लिए किया जाता था.
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बेटियों के पिता का बयान: “हम रोकते थे, वो नमाज पढ़ती थी”
धर्मांतरण रैकेट का खुलासा उस वक्त हुआ जब आगरा की दो सगी बहनें अचानक लापता हो गईं. बाद में पता चला कि दोनों का धर्म परिवर्तन कराया जा चुका था. उनकी काउंसलिंग अब भी जारी है. बेटियों के पिता ने बताया कि, “जब वह घर पर नमाज पढ़ती थी तो हम मना करते थे, लेकिन वो नहीं मानती थी. अब भी कभी-कभी कहती हैं कि आरोपियों से उन्हें कोई शिकायत नहीं.”
अंतरराष्ट्रीय फंडिंग का शक
जांच में सामने आया है कि इस रैकेट को कनाडा, अमेरिका और मिडिल ईस्ट से आर्थिक मदद मिलती थी. गैंग के अलग-अलग सदस्य अलग-अलग काम देखते थे—कोई लड़कियों को फँसाता, कोई कागज तैयार करता, तो कोई धार्मिक पुस्तकों से ब्रेनवॉश करता.