Tilbhandeshwar Mahadev Mandir: सावन का महीना शुरू होने जा रहा है. बाबा के भक्त इस महीने का बेसब्री से इंतजार करते हैं. आज हम आपको शिवजी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां मान्यता है कि शिवलिंग रोज तिल के बराबर बढ़ता है.
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UP Anokha Shivling: कहते हैं काशी के कण-कण में शिवजी विराजते हैं. यहां आपको जगह-जगह शिवालय देखने को मिल जाएंगे. जिनका अपना अलग महत्व और इतिहास है. ऐसे में हम आपको आज एक ऐसे अनोखे शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे. जी हां, इस शिवलिंग को लेकर यह दावा किया जाता है कि यह प्रतिदिन तिल के बराबर बढ़ता है.
तिलभांडेश्वर मंदिर से जुड़ी मान्यता
वाराणसी के के सोनारपुरा थाना क्षेत्र में तिलभांडेश्वर नाम का प्राचीन शिव मंदिर है. यहां भगवान शिवजी की विशाल शिवलिंग है. जिससे जुड़ी हुई कहानियां इसको और चमत्कारिक बनाती हैं. मंदिर के इस शिवलिंग को लेकर मान्यता है कि यह हर दिन एक तिल के बराबर बढ़ता है. यह जगह दक्षिण भारत के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है. कहा जाता है कि यह शिवलिंग स्वयंभू है.
क्यों खास है ये मंदिर
तिलभांडेश्वर मंदिर अन्य शिव मंदिरों से अलग और विशेष महत्व रखता है. शिव महापुराण में भी इसको लेकर कई बातों का उल्लेख किया गया है. मंदिर के महंत के मुताबिक काशी में सबसे बड़ी तीन शिवलिंगों में से एक यह भी है. जो हर साल तिल के समान बढ़ती है. बताया जाता है कि द्वापर युग में मंदिर का इतिहास जुड़ा है. कहा जाता है कि जहां तिल की खेती होती थी, वहीं पर यह मंदिर बना है.
तिलभांडेश्वर नाम की वजह?
तिलभांडेश्वर मंदिर के पीछे इसका नाता द्वापर युग से जुड़ा होना बताया जाता है. कहा जाता है कि द्वापर युग में इस जगह पर तिल की खेती होती थी, जब इस शिवलिंग को यहां देखा गया था तो लोगों ने पूजा पाठ शुरू कर दिया. इसी के बाद से इसका नाम तिलभांडेश्वर पड़ गया. सावन के महीने में बड़ी संख्या में बाबा के भक्त इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं.