आज की तेज-रफ्तार जिंदगी में बच्चे भी अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं. डिजिटल युग में जहां बच्चे मोबाइल, टैबलेट और वीडियो गेम्स में व्यस्त हैं, वहीं दोस्ती और सामाजिक संबंधों में कमी देखी जा रही है.
Trending Photos
आज की तेज-रफ्तार जिंदगी में बच्चे भी अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं. डिजिटल युग में जहां बच्चे मोबाइल, टैबलेट और वीडियो गेम्स में व्यस्त हैं, वहीं दोस्ती और सामाजिक संबंधों में कमी देखी जा रही है. हालांकि, हाल ही में हुए एक शोध में दावा किया गया है कि क्रिएटिव एक्टिविटीज बच्चों को अकेलेपन से बाहर निकालने और उनके दोस्ती के दायरे को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, जब बच्चे आर्ट, संगीत, नाटक या अन्य क्रिएटिव एक्टिविटी में भाग लेते हैं, तो वे अपने इमोशन को बेहतर तरीके से व्यक्त कर पाते हैं. ये एक्टिविटी न केवल उनके मेंटल हेल्थ में सुधार करती हैं, बल्कि उन्हें अपने साथियों के साथ घुलने-मिलने का मौका भी देती हैं.
मनोवैज्ञानिक डॉ. आरती शर्मा कहती हैं कि क्रिएटिव एक्टिविटीज बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाती हैं. जब बच्चे अपनी इमेजिनेशन को व्यक्त करते हैं, तो वे समान क्रिएटिव वाले बच्चों के साथ आसानी से जुड़ पाते हैं. इससे उनका अकेलापन दूर होता है और उनके सोशल स्किल में वृद्धि होती है.
शोध में हुआ खुलासा
हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय शोध में पाया गया कि जो बच्चे आर्ट एंड क्राफ्ट, स्टोरी राइटिंग, डांस या गाने जैसी एक्टिविटी में शामिल होते हैं, वे दूसरों के साथ बेहतर बातचीत कर पाते हैं. यह अध्ययन 8 से 14 वर्ष की उम्र के 1,200 बच्चों पर किया गया. शोध में यह भी पता चला कि क्रिएटिविटी से जुड़े बच्चों ने अपने मित्रों की संख्या में 40% तक वृद्धि की, जबकि ऐसे बच्चे जो केवल डिजिटल उपकरणों तक सीमित थे, वे अधिक अकेलापन महसूस करते हैं.
माता-पिता क्या कर सकते हैं?
मनोवैज्ञानिकों का सुझाव है कि माता-पिता को बच्चों को क्रिएटिव एक्टिविटीज में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.
* बच्चों की रुचि के अनुसार आर्ट, डांस, म्यूजिक या थिएटर क्लास में शामिल करें.
* खेलकूद, ग्रुप प्रोजेक्ट्स या सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रेरित करें.
* बच्चों के साथ मिलकर क्राफ्ट प्रोजेक्ट्स बनाएं या कहानियां लिखने की आदत डालें.