DNA: 24 घंटे के अंदर ट्रंप का सरेंडर: भारत की जिद के आगे POTUS ने क्यों डाल दिए हथियार?
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DNA: 24 घंटे के अंदर ट्रंप का सरेंडर: भारत की जिद के आगे POTUS ने क्यों डाल दिए हथियार?

Donald Trump: ट्रंप ने अचानक कहना शुरू कर दिया है कि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया. हालांकि वो यह नहीं बता पाए कि उन्होंने यह बात कहां और किससे सुन ली. क्योंकि हकीकत तो कुछ और ही है.

DNA: 24 घंटे के अंदर ट्रंप का सरेंडर: भारत की जिद के आगे POTUS ने क्यों डाल दिए हथियार?

रूस के मशहूर लेखक लियो टॉल्स्टॉय ने कहा था, सबसे कठिन लेकिन जरूरी बात ये है कि आप अपने कृत्यों यानी अपने किये गए काम के परिणाम से कैसे निपटते हैं. आजकल अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को रूस में अपना सबसे बड़ा दुश्मन नजर आ रहा है लेकिन ट्रंप को आज रूस के प्रख्यात लेखक की बात पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. क्योंकि वो आजकल ऐसे कई काम कर रहे हैं, जिनसे निपटना उनके लिए मुश्किल हो सकता है और ट्रंप के फैसले उनके साथ-साथ अमेरिका को भी भारी पड़ सकते हैं.

अब शायद ट्रंप को ये बात समझ में भी आने लगी है. इसीलिए भारत पर 25 परसेंट टैरिफ लगाने वाले ट्रंप ने यूटर्न लेने की कोशिश शुरू कर दी है. आप कह सकते हैं, ट्रंप अब भारत के सामने सरेंडर करते नजर आ रहे हैं. 24 घंटे के अंदर 3 ऐसी बड़ी बातें हुईं, जिन्हें ट्रंप के सरेंडर के तौर पर देखा जा रहा है. आज आपको भी अमेरिका से आ रहे संकेतों को समझना चाहिए. आज आपको ये भी जानना चाहिए  कि किस तरह भारत ने सुपर पावर अमेरिका को झुकने के लिए मजबूर कर दिया. सबसे पहले आज उन तीन बातों के बारे में जानिए, जिनके जरिए ट्रंप भारत पर टैरिफ के बाद यूटर्न का मौका हासिल करना चाहते हैं.

ट्रंप ने अचानक कहना शुरू कर दिया है कि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया. इस ऐलान की सच्चाई क्या है, आज हम आपको ये भी बताएंगे. ट्रंप ने पेट्रो पदा​र्थों और आईफोन पर टैरिफ मुक्त रखा है. इसके अलावा ट्रंप ट्रेड डील के लिए भारत से आगे भी बात जारी रखने की बात बार बार दोहरा रहे हैं और इस महीने के आखिर में इस डील पर दोबारा बात शुरू होगी.

ट्रंप ने खुद डाले हथियार

आज आपको भी ट्रंप के इन बयानों का मतलब समझना चाहिए. आज आपको ये भी जानना चाहिए किस तरह भारत ने ट्रंप के सामने सरेंडर से इनकार किया तो ट्रंप को खुद ही हथियार डालने पड़ गए. आज आपको अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान को भी सुनना चाहिए. जिसमें वो भारत को जबरदस्ती खुद को पसंद आने वाले एक ऐसे काम का श्रेय दे रहे हैं, जो भारत ने किया ही नहीं और निकट भविष्य में ऐसा करने वाला है. इसके भी आसार नजर नहीं आ रहे हैं.

ट्रंप ने किससे सुन ली बात?

तो ट्रंप कह रहे हैं कि उन्होंने सुना है भारत रूस से अब तेल नहीं खरीदेगा और ये काफी अच्छा कदम है लेकिन ट्रंप ने ये नहीं बताया ये बात उन्होंने किससे सुनी है. जिस तरह वो ये नहीं बता पाते उन्होंने भारत पाकिस्तान का युद्ध रुकवाने के लिए किससे बात की थी. ठीक उसी तरह वो ये नहीं बता पा रहे हैं कि उन्हें कैसे पता चला कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा. वैसे, ट्रंप ने भारत और रूस के बीच तेल के कारोबार पर जो बात सुनी है, वो गलत है. विदेश मंत्रालय ने खुद रूस से तेल खरीद पर जवाब दे दिया है. यानि जो बात भारत सरकार ने कही नहीं, वो बात भी डोनाल्ड ट्रंप ने सुन ली. अब आपको पूरी सच्चाई भी जाननी चाहिए.

  • अमेरिका के टैरिफ को नजर अंदाज करते हुए भारत ने रूस से तेल खरीद जारी रखी है.

  • भारत की तेल रिफाइनरियों को रूसी कंपनियों से तेल मिल रहा है.

  • तेल कारोबार के नियम कच्चे तेल की गुणवत्ता, भंडार और कीमत पर निर्भर होते हैं.

  • इस लिहाज से रूस से तेल खरीदना भारत के हित मे है, इसीलिए भारत ने तेल खरीदना जारी रखा हुआ है.

तो फिर डॉनल्ड ट्रंप ऐसे बयान क्यों दे रहे हैं. अपने देश में ऐसा माहौल क्यों बना रहे हैं कि भारत ने आखिरकार ट्रंप की बात मान ही ली. इसका जवाब हम आपको देंगे लेकिन आप पहले ट्रंप के कुछ और कदमों के बारे में जानिए, जिन्हें उनका सरेंडर माना जा रहा है. अमेरिका ने भारत पर भले ही 25 परसेंट टैरिफ लगाया है लेकिन बहुत सी वस्तुओं को टैरिफ से बाहर रखा है. आज आपको इन वस्तुओं और उस पर टैरिफ ना लगाने की वजहों के बारे में भी जानना चाहिए.

  • ट्रंप ने भारत से अमेरिका निर्यात किए जाने वाले तैयार दवा उत्पादों यानि टैबलेट, इंजेक्शन, सिरप पर टैरिफ नहीं लगाया, क्योंकि अगर इन दवाओं पर शुल्क लगाया जाता, तो अमेरिका को अपने मेडिकल खर्चों में वृद्धि होती, क्योंकि भारत से आने वाली दवाएं सस्ती होती हैं और इन पर  टैरिफ  लगाने से कीमतें बढ़ सकती थीं.

  • ट्रंप ने भारत से मंगवाया जाने वाले दवा निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जाने वाले कच्चे माल पर टैरिफ नहीं लगाया, क्योंकि इस पर टैरिफ लगने से अमेरिका के फार्मास्यूटिकल उद्योग में महंगाई बढ़ जाती, जिससे दवाओं की कीमतें बढ़ती और लोगों को इलाज पर अधिक खर्च करना पड़ता.

  • पेट्रोलियम उत्पादों यानि कच्चा तेल, एलएनजी, परिष्कृत ईंधन, बिजली और कोयला को टैरिफ से दूर रखा गया है, क्योंकि कच्चे तेल पर टैरिफ लगाने से अमेरिकी ऊर्जा की कीमतें बढ़ सकती थीं. भारत ने 2024-25 में अमेरिका को करीब 48.6 लाख टन पेट्रोलियम उत्पाद निर्यात किए, जिनकी कीमत 4 अरब डॉलर से ज्यादा थी.

  • इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स और आईसीटी यानि इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी से जुड़े सामान जैसे सेमीकंडक्टर, स्मार्टफोन, एसएसडी और कंप्यूटर पर भी टैरिफ नहीं लगा. ट्रंप ऐसा करते तो अमेरिका के लिए स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स की कीमतें बढ़ सकती थीं, जिससे लोगों को अधिक पैसे खर्च करने पड़ते.

अमेरिका में बिक रहे भारत में बने iPhones

आज आपको समझना चाहिए कि किस तरह भारत पर टैरिफ बढ़ाने का अमेरिका में सीधे महंगाई बढ़ने से संबंध है. इसे आप अमेरिकियों के बीच सबसे ज्यादा पॉपुलर प्रोडक्ट में शामिल आईफोन के उदाहरण से समझना चाहिए. एप्पल के सीईओ टिम कुक ने बताया है कि अब अमेरिका में ज्यादातर जो iPhones बिक रहे हैं, वे भारत में बने हुए हैं. यानि अब भारत सिर्फ एक बाजार नहीं बल्कि Apple के लिए मैन्युफैक्चरिंग हब बनता जा रहा है. इसके अलावा टिम कुक ने बताया कि भारत में iPhone की बिक्री तेजी से बढ़ रही है और यहां Apple की कमाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. Apple ने भारत में अपने रिटेल स्टोर भी खोलने शुरू कर दिए हैं. यानि साफ है कि ये अमेरिकी कंपनी यहां लंबे समय तक काम करना चाहती है.

अपना फैलाया रायता समेट रहे ट्रंप

आपको याद होगा कि कुछ दिनों पहले हमने डीएनए बताया था कि किस तरह इंडिया में आईफोन बनाने को लेकर डोनाल्ड ट्रंप ने टिम कुक को धमकाया था लेकिन टिम कुक ने ट्रंप की धमकी को नजरअंदाज करते हुए एप्पल के प्रोडक्शन को भारत में बढ़ाया और अब सरेंडर करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में बन रहे आईफोन पर भी टैरिफ नहीं लगाया है. यानि आप आम बोलचाल की भाषा में कह सकते हैं कि ट्रंप अब अपने फैलाए रायते को समेटना चाहते हैं.

युद्ध रुकवाने का क्रेडिट

ट्रंप के बारे में कहा जाता है कि पहले वो अटैक करते हैं, किसी भी मुल्क को दबाने की कोशिश करते हैं लेकिन जब सामने वाला देश सरेंडर नहीं करता तो फायदे नुकसान का अनुमान लगाकर हथियार डाल देते हैं और भारत किसी भी कीमत पर किसी भी विषय पर अमेरिका के सामने सरेंडर करने को तैयार नहीं है. फिर चाहे ये भारत पाकिस्तान का युद्ध रुकवाने का श्रेय लेकर ट्रंप की नोबेल शांति पुरस्कार पाने की हसरत ही क्यों ना हो. हमने आपको कल बताया था कि तरह ट्रंप 6 युद्धों को रुकवाने का श्रेय लेकर नोबल पुरस्कार हासिल करना चाहते हैं.

पाकिस्तान-कंबोडिया नहीं है भारत

अब एक और देश कंबोडिया ने भी युद्ध रुकवाने और दुनिया में शांति के लिए डॉनल्ड ट्रंप को शांति पुरस्कार देने की मांग कर दी है. भारत के विदेश मंत्रालय से भी व्हाइट हाउस के ट्रंप को नोबेल देने की मांग को लेकर सवाल हुआ. आज आपको इसका जवाब भी ध्यान से सुनना चाहिए. मतलब पाकिस्तान या कंबोडिया की तरह भारत ट्रंप को नोबेल पुरस्कार देने की मांग करके उन्हें खुश करने की तैयारी में नहीं है. ये संदेश अमेरिका को दे दिया गया है.

पीएम मोदी ने दिया सीधे संदेश

आज भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी में एक सभा को संबोधित किया और इस दौरान प्रधानमंत्री ने जो कुछ कहा उसके बारे में आपको भी जानना चाहिए. क्योंकि इन बातों में भी अमेरिका के लिए संदेश छिपा है. जिसे अमेरिकी कूटनीतिज्ञ जरूर समझ जाएंगे. अमेरिका के राष्ट्रपति ने भारत की इकोनॉमी को डेड इकोनॉमी कहा था लेकिन प्रधानमंत्री ने कहा भारत दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है. अब भारत को भी अपने आर्थिक हितों को लेकर सजग रहना होगा. किसान, हमारे लघु उद्योग और रोजगार हमारे लिए सर्वोपरि हैं. मतलब अमेरिका को बता दिया गया कि भारत ट्रेड डील पर दबाव में नहीं आएगा और भारत की इकोनॉमी मजबूत है.

पीएम ने एक तीर से भेदे दो निशाने

ट्रंप भारत को पांचवी पीढ़ी का F-35 बेचना चाहते हैं लेकिन आज प्रधानमंत्री मोदी ने कहा हम उन चीजों को खरीदेंगे जिसे बनाने में भारत का पसीना बहा है. यानि भारत स्वदेशी एम्का या भारत में बने किसी पांचवी पीढ़ी के फाइटर जेट को ही महत्व देगा. जिस वक्त ट्रंप पाकिस्तान से तेल की डील कर रहे हैं, उस वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान को भी उसकी हैसियत बताई है. संदेश साफ है कि भारत को अमेरिका और पाकिस्तान की साझेदारी से कोई फर्क नहीं पड़ता.

बांग्लादेश पाकिस्तान हो रहे खुश

वैसे एक तरफ भारत को अमेरिका पाकिस्तान के गठबंधन से कोई फर्क नहीं पड़ रहा लेकिन पाकिस्तान और बांग्लादेश में आजकल इस बात की खुशियां मनाई जा रही हैं कि भारत पर उनके देशों से ज्यादा अमेरिकी टैरिफ लगा है. अब बांग्लादेश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस ने कहा है  कि अमेरिका के साथ ट्रेड डील करने में भारत फेल हुआ है. समझौता न होने की वजह से भारत को अब 25% टैरिफ देना पड़ेगा, जो बांग्लादेश के मुकाबले ज्यादा है. जबकि अमेरिका ने बांग्लादेश पर 20% टैरिफ लगाया है. इससे पहले अप्रैल में अमेरिका ने बांग्लादेश पर 37% टैरिफ लगाया था. यानी कि बांग्लादेश 4 महीने में अमेरिका से 17% टैरिफ कम कराने में कामयाब रहा. 

अमेरिका के पास नहीं कोई ऑप्शन

यूनुस ने कहा है कि इससे बांग्लादेश की कपड़ा इंडस्ट्री को मजबूती मिलेगी, लेकिन सच्चाई ये है बांग्लादेश और पाकिस्तान के लिए ये सिर्फ चार दिन की चांदनी है, क्योंकि अमेरिका के पास भारत से समझौता करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. 

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