ये कैसी गुस्ताखी! लाल सागर में पगलाया 'ड्रैगन', इस देश के विमान पर दागा लेजर? दुनिया में मची हलचल
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ये कैसी गुस्ताखी! लाल सागर में पगलाया 'ड्रैगन', इस देश के विमान पर दागा लेजर? दुनिया में मची हलचल

Red Sea: चीन ने लाल सागर में एक बड़ी गुस्ताखी करते हुए जर्मनी के एक विमान पर लेजर से निशाना साधा है. चीन की इस हरकत की वजह से जर्मनी को अपना मिशन बीच में रोकना पड़ गया.

ये कैसी गुस्ताखी! लाल सागर में पगलाया 'ड्रैगन', इस देश के विमान पर दागा लेजर? दुनिया में मची हलचल

Red Sea: जर्मनी ने मंगलवार को ड्रैगन पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि चीन ने लाल सागर में हमारे एक विमान को लेजर से निशाना बनाया है. बताया जा रहा है कि यह विमान यूरोपीय संघ (EU) के ASPIDES मिशन का हिस्सा था. इस घटना के बाद दोनों देशों के रिश्तों थोड़ी खटास पैदा हो गई है और बर्लिन में चीनी राजदूत को तलब कर लिया गया है.

जर्मनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह बिल्कुल अस्वीकार्य है. क्योंकि चीन के जरिए की गई इस हरकत से जर्मनी के विमान में सवार कर्मियों और मिशन की सुरक्षा को खतरा पैदो हो सकता था. लेज़र हमले के बाद एहतियात के तौर पर विमान ने तुरंत मिशन बीच में रोककर जिबूती में मौजूद बेस पर सुरक्षित लैंडिंग की. सौभाग्य से विमान में सवार कोई भी व्यक्ति घायल नहीं हुआ.

क्या है ASPIDES मिशन

यह घटना ऐसे समय में हुई जब इस महीने की शुरुआत में हुई जर्मन विमान ने उस इलाके में पहले भी एक चीनी युद्धपोत का सामना किया था. यूरोपीय संघ का ASPIDES मिशन सिर्फ व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा पर केंद्रित है और किसी प्रकार की आक्रामक सैन्य कार्रवाई में शामिल नहीं है. रेड सी यानी लाल सागर और आस-पास के इलाके को मौजूदा समय में ज्यादा जोखिम वाला इलाके घोषित किया गया है, जहां हूती विद्रोहियों के हमले लगातार बढ़ रहे हैं.

खामोश बैठा है चीन

इतना सबकुछ होने के बावजूद इस संबंध में चीन की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. घटना के बाद अब तक चीन की सरकार या बर्लिन में मौजूद चीनी दूतावास की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

बता दें कि पहले से ही रेड सी में दुनिय कई कई बड़ी ताकतें सैन्य मौजूदगी बनाए हुए हैं. इस तरह की हरकतें अंतरराष्ट्रीय जलसीमा में संचालित शांति मिशनों के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि यूरोपीय संघ को अब सुरक्षा नियमों और आपसी सहयोग की रणनीति की दोबारा समीक्षा करनी पड़ सकती है.

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ताहिर कामरान

पत्रकारिता की रहगुज़र पर क़दम रखते हुए 2015 में एक उर्दू अख़बार से अपने सफ़र का आग़ाज़ किया. उर्दू में दिलचस्पी और अल्फ़ाज़ की मोहब्बत धीरे-धीरे पेशे में ढल गई. उर्दू के बाद हिंदी-पंजाबी अख़बारों म...और पढ़ें

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