Iran Israel War: अमेरिका ने रविवार को तड़के ईरान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की. अमेरिकी सेना ने तेहरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों, फोर्दो, नतांज और इस्फहान को निशाना बनाया. लेकिन यूएस ने बुशहर संयंत्र को निशाना नहीं बनाया.
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Iran Israel War, Operation Midnight Hammer: रविवार को ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के दौरान अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों को निशाना बनाकर हमला किया. लेकिन अमेरिका ने इस कार्रवाई में बुशहर संयंत्र को टारगेट नहीं किया. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अमेरिकी सेना ने बुशहर संयंत्र निशाना क्यों नहीं बनाया? इसका सबसे पहला जवाब यह होगा कि यह हमला करने लायक जगह नहीं थी. लेकिन इससे भी गहरा यह है कि इस साइट पर हमला करने से चेरनोबिल जैसी परमाणु आपदा हो सकती थी, क्योंकि यह जगह ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम से जुड़ा हुआ है. जबकि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह हो सकती है कि इस जगह पर रूसियों की मौजूदगी है और वे इसके लिए काम कर रही है. इसलिए अमेरिका ने इस जगह को निशाना नहीं बनाया. तो चलिए जानते हैं बुशहर परमाणु ऊर्जा संयंत्र और इसके रूसी कनेक्शन के बारे में.
चेरनोबिल जैसी आपदा की चेतावनी
ग्लोबल एक्सपर्ट्स और रूसी अफसरों दोनों ने चेतावनी दी थी कि अगर 1970 के दशक में रूसी सहायता से निर्मित बुशहर पर अमेरिका या इज़राइल द्वारा हमला किया गया तो संभावित रूप से विनाशकारी रेडियोलॉजिकल घटना हो सकती है. उन्होंने बुशहर पर संभावित हमले के बाद की स्थिति की तुलना अप्रैल 1986 की चेरनोबिल आपदा से की, जहां परमाणु सुविधा से ईंधन लीक हो तत्कालीन सोवियत संघ के शहर को पूरी तरह से बंद करना पड़ा था. इस घटना भारी कई लोगों की मौतें हुईं थी. इतना ही नहीं, इस भयानक आपदा का असर आज तक है. माना जात है कि अगर अमेरिका बुशहर पर हमला करता तो इससे भी गंभीर पर्यावरणीय और भू-राजनीतिक परिणाम होते.
बुशहर प्लांट में रूस का हाथ
बुशहर पावर प्लांट एक असैन्य परमाणु सुविधा है, जो ईरान के खाड़ी तट पर मौजूद है. पिछले कई सालों से रूस ईरान को बुशहर के निर्माण और संचालन में मदद कर रहा है. इसे लेकर रूसी परमाणु ऊर्जा एजेंसी रोसाटॉम के प्रमुख एलेक्सी लिखाचेव ने बताया कि रूसी सहायता से अतिरिक्त रिएक्टरों का निर्माण काम चल रहा है.
ईरान में रूस के 300 कर्मचारी
रूस ने हाल के दिनों में कहा है कि अगर ईरानी परमाणु सुविधाओं पर हमला होता है तो वह रूसी कर्मियों को निकालने के लिए तैयार है. बुशहर में कम से कम 300 कर्मचारी मौजूद हैं. ईरानी परमाणु स्थलों पर चल रहे हमलों के बीच दोनों देशों ने रूस को आश्वासन दिया कि उनके कर्मचारियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. अगर ऐसा होता है तो नुकसान एक कूटनीतिक तबाही होगी, जिससे रूस को मौजूदा युद्ध में कार्रवाई करने और हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
बुशहर परमाणु संयंत्र को रूसियों ने नहीं, बल्कि जर्मनों ने शुरू किया था
वास्तव में ईरान के इस परमाणु संयंत्र को रूस नहीं, बल्कि जर्मनी ने शुरू की थी. मुख्य रूप से जर्मन कंपनी सीमेंस, जिसने ईरान के पहलवी शाह वंश के दौर में 1975 में बुशहर परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण शुरू किया था. लेकिन 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद जर्मनों ने इस परियोजना से हाथ खींच लिए थे. इसके बाद रूस ने इस परियोजना में एंट्री किया और संयंत्र का निर्माण और संचालन शुरू किया.
रोसाटॉम ने 2011 में बुशहर का निर्माण पूरा किया, जिसमें 1,000 मेगावाट का रिएक्टर शामिल था. फिलहाल रूस को ईरान के लिए आठ अतिरिक्त रिएक्टर बनाने का ठेका मिला है, जिनमें से चार बुशहर में ही मोजूद हैं. रूस ईरान को परमाणु ईंधन भी देता है. एक बार इस्तेमाल हो जाने के बाद ईरान द्वारा प्रसार को रोकने के लिए खर्च किया गया ईंधन रूस को वापस कर दिया जाता है.