Ahmedabad plane crash Mayday meaning: अहमदाबाद में हुई दुर्भाग्यपूर्ण प्लेन दुर्घटना से ठीक पहले पायलट द्वारा एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को भेजा गया 'मेडे' (Mayday) कोड एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. यह कोड न केवल एक तकनीकी सूचना है, बल्कि हवा में संकट से जूझ रहे पायलट और उनके यात्रियों के लिए जीवन-रेखा का अंतिम सहारा भी होता है.
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Ahmedabad plane crash: गुजरात के अहमदाबाद में उस वक्त दिल दहला देने वाला विमान हादसा हुआ. जब बृहस्पतिवार दोपहर 1:40 बजे एयर इंडिया का विमान टेक ऑफ से ठीक 2 मिनट बाद मेघानीनगर के पास क्रैश हो गया. इस दौरान विमान में 230 यात्रियों सहित कुल 242 लोग सवार थे. जिनमें अब तक 100 से ज्यादा लोगो के मौत होने की सूचना है. वहीं, हादसे से पहले पायलट ने एटीसी को एक बेहद जरूरी कोड वर्ड 'MAYDAY' भेजा था. जिसका सीधा मतलब किसी बड़े खतरे की आशंका से पहले एयर ट्रैफिक कंट्रोल को सूचना देना था, आइए जानते हैं MAYDAY का मतलब क्या होता है? और यह कितना गंभीर कोड वर्ड है.
'MAYDAY' क्या है और इसका क्या मतलब है?
रिपोर्ट के मुताबिक, 'मेडे' एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त संकट संकेत है, जिसका उपयोग रेडियो संचार में तब किया जाता है जब कोई विमान, जहाज या व्यक्ति अत्यधिक खतरे में होता है और तत्काल सहायता की आवश्यकता होती है. यह संकेत तीन बार दोहराया जाता है. ‘मेडे, मेडे, मेडे’ ताकि इसे किसी भी अन्य संचार से अलग पहचाना जा सके और इसकी गंभीरता सुनिश्चित हो सके.
आसान भाषा में कहें तो इसका मतलब होता है, ‘मेरी जान खतरे में है, और मुझे तुरंत मदद चाहिए.’ यह किसी भी गंभीर आपात स्थिति, जैसे इंजन फेल होना, आग लगना, नियंत्रण खो देना, या कोई अन्य मशीनी फेलियर की स्थिति में भेजा जाता है, जो विमान की सुरक्षा को सीधे तौर पर खतरे में डालता है.
साउथ कोरिया में 31 दिसंबर 2024 को हुए विमान हादसे से पहले भी पायलट ने MAYDAY कोड भेजा था, जिसके बाद हादसे की वजह मालूम करने में आसानी हुई थी. Mayday को हादसे से पहले आखिरी वॉर्निंग भी माना जाता है.
आखिर पायलट 'मेडे' कोड क्यों भेजता है?
अहमदाबाद प्लेन हादसे से पहले, विमान के कैप्टन सुमीत सब्बरवाल थे, और वहीं उनके साथ फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर थे. जिन्होंने एटीसी को MAYDAY कोड भेजा था, जिसका सीधा मतलब यह हो सकता है.
तत्काल मदद की सूचना- यह ATC को सूचित करने का सबसे तेज और स्पष्ट तरीका है कि विमान गंभीर संकट में है और उसे तत्काल प्राथमिकता और सहायता की आवश्यकता है. 'मेडे' कॉल सुनते ही, ATC सभी अन्य हवाई यातायात को रोक देता है या मोड़ देता है और संकटग्रस्त विमान को प्राथमिकता देता है. इसका मतलब है कि विमान को किसी भी आवश्यक निर्देश, मार्ग परिवर्तन, या लैंडिंग के लिए तुरंत मंजूरी मिल जाती है.
स्थिति की जानकारी- 'मेडे' कॉल के बाद, पायलट आमतौर पर अपनी स्थिति, समस्या का प्रकार, विमान में सवार लोगों की संख्या और ईंधन की स्थिति जैसी महत्वपूर्ण जानकारी देता है. यह जानकारी बचाव दल को तुरंत सक्रिय होने और स्थिति के अनुसार तैयारी करने में मदद करती है.
रिकॉर्डिंग और जांच- यह संकटग्रस्त स्थिति का एक आधिकारिक रिकॉर्ड बनाता है, जो बाद में दुर्घटना की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. जांचकर्ता यह निर्धारित करने के लिए 'मेडे' कॉल और उसके बाद के संचार का विश्लेषण करते हैं कि दुर्घटना का कारण क्या था और भविष्य में ऐसी घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है.
बचाव कार्यों की तैयारी- एटीसी 'मेडे' कॉल मिलते ही आपातकालीन सेवाओं, जैसे अग्निशमन दल, चिकित्सा सहायता और बचाव दल को अलर्ट कर देता है, ताकि वे लैंडिंग या दुर्घटना स्थल पर तुरंत पहुंच सकें.
बता दें, साल 1920 में इस Mayday शब्द की शुरुआत हुई थी. उस दौरान लंदन के क्रॉडॉन एयरपोर्ट पर रेडियो ऑफिसर फ्रेडरिक स्टैनली मॉकफोर्ड ने सबसे पहले इसका इस्तेमाल किया था. यह फ्रेंच शब्द 'm'aider से निकला हुआ कोड वर्ड है, जिसे Mayday कहा जाता है.
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