द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर का सबसे विनाशकारी 'हथियार' कैसे बना टेलीफोन, 2 करोड़ रुपये से भी ज्यादा में हुई थी नीलमी
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द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर का सबसे विनाशकारी 'हथियार' कैसे बना टेलीफोन, 2 करोड़ रुपये से भी ज्यादा में हुई थी नीलमी

एडोल्फ हिटलर की क्रूरता के किस्से सुनकर आज भी लोगों की रुह कांप उठती है. वहीं, आज हम आपको हिटलर के टेलीफोन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान खतरनाक हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया था.

द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर का सबसे विनाशकारी 'हथियार' कैसे बना टेलीफोन, 2 करोड़ रुपये से भी ज्यादा में हुई थी नीलमी

नई दिल्ली: इतिहास के कई पन्ने मासूमों की चीखों, खून के छीटों और दिल दहला देने वाली कहानियों से भरे हुए हैं. गुजरे जमाने की आज भी कई ऐसी चीजें हैं जो अतीत के उन निशानों को अपने साथ-साथ लेकर चल रही है. इन्हीं में से एक चीज है एडोल्फ हिटलर का खौफनाक टेलीफोन. इसे 'खौफनाक' क्यों कहा, ये खुलासा भी हम आपके सामने करने वाले हैं. दरअसल, इस टेलीफोन को द्वितीय विश्व युद्ध के काले पन्नों का एक मूक गवाह माना जा सकता है, जिसकी 2017 में निलामी हुई है. हैरानी की बात यह है कि इस टेलीफोन की कीमत 2 करोड़ रुपये से भी ज्यादा लगाई गई.

  1. क्या है एडोल्फ हिटलर के फोन का इतिहास
  2. 2 करोड़ रुपये से ज्यादा में हुई थी नीलामी

ये फोन बना था निर्दयता का प्रतीक 

नाजी जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर ने अपने इस रेड टेलीफोन खतरनाक फैसले सुनाने और अधिकारियों से बातचीत करने में किया था. उन दिनों हिटलर का ये फोन योजनाओं का केंद्र बन चुका था. कहते हैं कि इसी फोन से हिटलर ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान युद्ध की रणनीतियां और नरसंहार के फैसले सुनाए थे. इस फोन को खासतौर पर हिटलर के लिए बनाया गया था. इस पर हिटलर का नाम और नाजी चिह्न स्वास्तिक भी उकेरा गया था, जो हिटलर की निर्दयता को दर्शाता था.

हिटलर ने दिए क्रूर फैसले

द्वितीय विश्व युद्ध के समय हिटलर ने लाखों पोलिश लोगों, यहूदियों और अल्पसंख्यकों को क्रूरता से मौत के घाट उतारा था. इतिहासकारों की मानें तो हिटलर के आदेश पर ही करीब 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी गई थी, जिसे 'होलोकॉस्ट' नरसंहार के नाम से जाना जाता है. इसी फोन के जरिए हिटलर ने न सिर्फ सेनाओं को रणनीतियों के आदेश सुनाए, बल्कि कई मासूमों की हत्या करने के भी निर्देश दिए थे. इस फोन को नाजी शासन का क्रूरता का प्रतीक कहना गलत नहीं होगा.

क्यों इतना महंगा बेचा गया फोन

1945 में सोवियत संघ ने बर्लिन पर कब्जा जमा लिया. उस समय ये फोन हिटलर के बंकर से मिला था. सोवियत सैनिकों ने इसे अपने कब्जे में ले लिया और बाद में एक ब्रिटिश अधिकारी को सौंप दिया. इसके बाद 2017 में अमेरिका के मैरीलैंड में इस फोन को 2,43,000 डॉलर (करीब 2 करोड़ रुपये) में नीलाम कर दिया गया. ऐसे में सवाल ये उठे कि आखिर 'मौत के फोन' को इतनी ऊंची कीमत पर क्यों बेचा गया. इसका जवाब है यही एक फोन है जो नाजी शासन और द्वितीय विश्व युद्ध का अहम हिस्सा रहा. ऐसी चीजों में ऐतिहासिक वस्तुओं के कलेक्टर्स का काफी दिलचस्पी रहती है. दुनिया में कम ही ऐसी चीजें मिलती हैं जो सीधे हिटलर से जुड़ी होती हैं, इी कारण इस फोन की कीमत इतनी ऊंची लगाई गई.

विवादों में रही थी नीलामी

अपनी क्रूरता की वजह से आज भी हिटलर जितना चर्चा में रहता है, इस फोन की नीलामी ने भी उतनी ही सुर्खियां बटोरी थीं. होलोकॉस्ट पीड़ितों के परिवारों ने इसकी नीलामी पर आपत्ति भी जताई थी. उन लोगों का कहना था कि ये फोन लाखों मासूमों की मौत का प्रतीक बना है, ऐसी किसी भी चीज को बेचकर पैसा कमाना अनैतिकता है. ये फोन मानवता के सबसे घिनौने वक्त की याद दिलाता है.

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