प्रथम विश्व युद्ध वह समय था, जब पहली बार युद्ध की जानकारी रेडियो के जरिए लोगों तक पहुंचाई गई. यह तकनीकी क्रांति थी, जिसने युद्ध की खबरों को घर-घर तक पहुंचाया. इसी से आधुनिक युद्ध रिपोर्टिंग और रेडियो पत्रकारिता की नींव रखी गई, जो बाद में और विकसित होती गई.
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आज हम जिस रेडियो और लाइव रिपोर्टिंग को आम बात मानते हैं. लेकिन उसकी शुरुआत एक ऐसे दौर में हुई थी, जब दुनिया युद्ध की आग में जल रही थी. ये वो समय था, जब तकनीक नई-नई थी और पहली बार इंसानों ने युद्ध की खबरें रेडियो के जरिए सुनीं. आइए जानते हैं, कब और कैसे पहली बार किसी युद्ध को रेडियो पर कवर किया गया था.
रेडियो की शुरुआत और उसकी भूमिका
रेडियो की शुरुआत 20वीं सदी के शुरू में हुई थी. शुरुआत में यह केवल सेना और सरकार के बीच संपर्क का माध्यम था. आम लोगों के लिए यह तकनीक उपलब्ध नहीं थी. लेकिन जब 1914 में प्रथम विश्व युद्ध शुरू हुआ, तो पहली बार रेडियो का उपयोग युद्ध की जानकारी भेजने और पाने के लिए किया गया.
युद्ध के मैदान से पहली रिपोर्टिंग
1916 के आसपास ब्रिटेन और अमेरिका ने युद्ध क्षेत्र से रेडियो सिग्नल के जरिए संदेश भेजने शुरू किए. ये संदेश पहले सेना के लिए होते थे, लेकिन धीरे-धीरे इन्हें जनता तक पहुंचाने की कोशिश भी शुरू हुई. 1917 में अमेरिका ने Committee on Public Information नाम की एक टीम बनाई. इस टीम का मकसद युद्ध की खबरों को लोगों तक पहुंचाना था. युद्ध क्षेत्र में मौजूद सैनिक और रिपोर्टर्स वहां से संदेश भेजते, जिन्हें बाद में न्यूज बुलेटिन के रूप में रेडियो पर सुनाया जाता था.
पहली बार घर बैठे सुनी गईं युद्ध की बातें
यह इतिहास में पहली बार था, जब लोग अपने घरों में बैठकर युद्ध की जानकारी रेडियो पर सुन पा रहे थे. कौन सा देश आगे बढ़ रहा है, कितने सैनिक घायल या शहीद हुए हैं, ये सब बातें अब जनता को पता चल रही थीं. इससे सैनिकों का हौसला भी बढ़ता था और लोगों को भी अपने देश की स्थिति की सही जानकारी मिलती थी.
एक नई शुरुआत का संकेत
हालांकि, उस दौर की रिपोर्टिंग आज जैसी लाइव नहीं थी, लेकिन ये एक बहुत बड़ी शुरुआत थी. इसी आधार पर दूसरे विश्व युद्ध में बड़े पैमाने पर रेडियो रिपोर्टिंग की गई. रेडियो अब सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि लोगों और युद्ध के बीच की कड़ी बन चुका था.