दुनिया के 3 देशों के पास यूरेनियम का भंडार, फिर भी क्यों नहीं बना पा रहे Atom Bomb?
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दुनिया के 3 देशों के पास यूरेनियम का भंडार, फिर भी क्यों नहीं बना पा रहे Atom Bomb?

Uranium countries: कजाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के पास विशाल यूरेनियम भंडार होने के बावजूद वे परमाणु हथियार नहीं बना सके. चलिए, जानते हैं कि इसके पीछे क्या वजह रही हैं?

दुनिया के 3 देशों के पास यूरेनियम का भंडार, फिर भी क्यों नहीं बना पा रहे Atom Bomb?

Uranium countries: दुनिया में परमाणु हथियारों की ताकत को किसी भी देश की सैन्य शक्ति का अहम हिस्सा माना जाता है. वर्तमान में केवल 9 देशों के पास परमाणु हथियार मौजूद हैं. इनमें अमेरिका, रूस, भारत, चीन, पाकिस्तान, फ्रांस, इंग्लैंड, उत्तर कोरिया और इजराइल शामिल हैं. इन देशों में रूस सबसे आगे है, जिसके पास 5500 से ज्यादा परमाणु हथियार हैं. वहीं, अमेरिका के पास भी लगभग 5000 परमाणु बम हैं.

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सबसे अहम तत्व यूरेनियम
परमाणु हथियार बनाने के लिए सबसे अहम तत्व यूरेनियम होता है. यूरेनियम का अधिकांश भंडार कजाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, नामीबिया, कनाडा और रूस में पाया जाता है. इन पांच देशों में पूरी दुनिया का लगभग दो-तिहाई यूरेनियम मौजूद है. इसके बावजूद इनमें से तीन देश- कजाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा अब तक परमाणु हथियार नहीं बना सके हैं.

परमाणु ऊर्जा को कैसे बनाया जाता है ?
परमाणु ऊर्जा के उत्पादन में यूरेनियम संवर्धन (Enrichment) की प्रक्रिया सबसे अहम होती है. इसमें यूरेनियम को पहले गैस में बदला जाता है और फिर सेंट्रीफ्यूज के जरिए उच्च स्तर तक संवर्धित किया जाता है. इस प्रक्रिया में यूरेनियम के दो प्रमुख आइसोटोप—U-238 और U-235—को अलग किया जाता है.

संवर्धित यूरेनियम के प्रकार
संवर्धित यूरेनियम दो प्रकार का होता है. पहला है HEU (Highly Enriched Uranium), जिसमें 20% या उससे अधिक U-235 होता है. यह सैन्य उद्देश्यों जैसे परमाणु हथियार और परमाणु पनडुब्बियों में उपयोग किया जाता है. दूसरी श्रेणी है LEU (Low Enriched Uranium), जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में किया जाता है.

इन तीन देशों के पास यूरेनियम होने के बावजूद परमाणु बम क्यों नहीं?
कजाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के पास बड़े पैमाने पर यूरेनियम भंडार होने के बावजूद वे परमाणु हथियार विकसित नहीं कर सके. इसके पीछे तीन प्रमुख कारण हैं...
1. अंतरराष्ट्रीय संधियां और प्रतिबंध: ये तीनों देश परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के सदस्य हैं, जो उन्हें परमाणु हथियार विकसित करने से रोकती है.

2. राजनीतिक नीतियां: इन देशों की सरकारें सैन्य उद्देश्यों के बजाय परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग पर जोर देती हैं.

3. सुरक्षा और कूटनीतिक रिश्ते: ऑस्ट्रेलिया और कनाडा पश्चिमी देशों के सहयोगी हैं और वे अमेरिका व नाटो की परमाणु सुरक्षा नीति के तहत आते हैं, जिससे उन्हें खुद परमाणु हथियार बनाने की जरूरत नहीं पड़ती.

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