अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग की मुलाकात को लेकर कई तरह की खबरें सामने आ रही हैं. दोनों की ये मुलाकात कब होने जा रही है ये तो फिलहाल कहना मुश्किल है, लेकिन माना जा रहा है कि इस बार दोनों नेताओं को ये मुलाकात मंगोलिया में करनी चाहिए.
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नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप जहां एक ओर फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति बन चुके हैं, दूसरी ओर उत्तरी कोरिया का परमाणु कार्यक्रम किम जोंग-उन के नेतृत्व में बिना रुके बढ़ रहा है. यह तो तय है कि दोनों नेताओं के बीच एक और समिट हो सकती है, ऐसे में अब सवाल यह नहीं रह गया है कि 'क्या ये समिट हो पाएगी?', बल्कि अब सवाल ये उठ रहा है कि 'समिट कब होगी'? वहीं, कहा जा रहा है कि इस बार दोनों नेताओं की ये मुलाकात मंगोलिया में होनी चाहिए. इस तरह की इच्छा क्यों जताई जा रही है चलिए इसे जानने की कोशिश करते हैं.
पहले हो चुकी हैं कई मुलाकातें
ट्रंप और किम की पहले हुईं समिट्स को खूब शोहरत तो मिली, लेकिन इस दौरान नतीजे बेहद कमजोर दिखे. पहली मुलाकात 2018 में सिंगापुर में हुई, जहां काफी चमक-दमक दिखी. हालांकि, यहां दोनों नेताओं के बीच छोटे-मोटे वादे ही हो पाए. इसके बाद 2019 में ट्रंप-किम की बातचीत हुई, लेकिन पूरी तरह से टूट गई. फिर तीसरी मुलाकात कोरियाई सीमा DMZ में हुई, कहते हैं कि ये मुलाकात सिर्फ कैमरों के लिए की गई थी.
बातचीत के रास्ते हो गए थे बंद
इसके बाद कोरोना वायरस और अमेरिका की घरेलू राजनीति की वजह से ट्रंप और किम की बातचीत के सारे रास्ते ही बंद हो गए. हालांकि, अब ये रास्ते फिर से खुलते नजर आ रहे हैं. उत्तर कोरिया अब ताकत पहले की तुलना में काफी बढ़ा चुका है. उसने रूस के साथ अपने रिश्तों को मजबूत कर लिया है. इसके अलावा छोटे परमाणु हथियारों और बैलिस्टिक मिसाइलों का भी टेस्ट किया है.
दोबारा बात करने की जरूरत
अमेरिका और उत्तर कोरिया को एक बार फिर अब बातचीत करने की जरूरत है, साथ ही इन्हें एक ऐसी जगह चाहिए जो इन्हें इनकी पहले की मुश्किलों को दूर कर सके और प्रतीकात्मक तौर पर भी ठीक हो. ऐसे में मंगोलिया है कई ऐसे फायदे ऑफर करता है जिन्हें नजरअंदाज कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है.
मंगोलिया ही क्यों?
अब सवाल ये उठता है कि मंगोलिया ही क्यों? दरअसल, यह उत्तर कोरिया की आत्मनिर्भता को दिखाएगा. क्योंकि सिंगापुर जाने के लिए किम को चीन से विमान उधार मांगना पड़ा था, जो उत्तर कोरिया के लिए बड़ी शर्मिंदगी की बात मानी जा सकती थी. वहीं, अगर मंगोलिया में मुलाकात होती है तो किम ट्रेन से भी सफर कर सकते हैं.
कोई राजनीतिक मंशा नहीं
मंगोलिया के अमेरिका और उत्तर कोरिया दोनों ही देशों के साथ अच्छे रिश्ते हैं. यह पश्चिमी देशों से जुड़ा हुआ है. वहीं, यह उत्तर कोरिया को भी पूरा सम्मान देता है. इसके व्यवहारिक और लोकतंत्र का संतुलन उत्तर कोरिया और अमेरिका दोनों के लिए ही फायदेमंद साबित हो सकता है. माना जा रहा है कि मंगोलिया में हुई मुलाकात से जाहिर हो जाएगा कि यह कैसे पिछली सभी मुलाकातों से अलग और खास है. यहां की जाने वाली मुलाकात नई शुरुआत और पहले की कोशिशों को जारी रखने का एक संकेत होगी.
जानें क्या कहते हैं आलोचक
मंगोलिया में मुलाकात को लेकर आलोचकों का कहना है कि उत्तर कोरिया ने पहले ही बातचीत में विश्वास नहीं दिखाया. वहीं, ट्रंप का फिर से सत्ता आना एक अच्छा मौका है, लेकिन पुरानी गलतियों को लेकर थोड़ा सजग रहने की जरूरत है. मंगोलिया में उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार की सीमाएं तो तय की जा सकती हैं, लेकिन परमाणु हथियार को खत्म करने की मुश्किल लक्ष्य नहीं रखा जा सकता.
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