Supreme Court on PFI Leader Bail: केंद्रीय जांच एजेंसियों ने हालिया दिनों PFI नेता ए. एस. इस्माइल को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था. तिहाड़ जेल में बंद ए. एस. इस्माइल ने अंतरिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसे पर आज कोर्ट ने सुनवाई की और अहम फैसला दिया.
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Delhi News Today: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के नेता ए.एस. इस्माइल की मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (27 जून) को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया. ए. एस. इस्माइल गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत राजधानी दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं.
ए.एस. इस्माइल की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली सरकार की ओर से कोर्ट को आश्वासन दिया गया कि तिहाड़ में उन्हें जरूरी फिजियोथेरेपी की मेडिकल सुविधाएं मिलेंगी और डॉक्टर की सलाह के मुताबिक ही दी जाएंगी. इससे पहले पीठ ने इस्माइल की अंतरिम जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया था और राज्य सरकार से पूछा था कि क्या जेल के अंदर पर्याप्त चिकित्सा व्यवस्था मुहैया की जा सकती है.
दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ वकील अर्चना पाठक दवे ने जस्टिस के.वी. विश्वनाथन और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच को बताया कि "ए. एस. इस्माइल के जरिये मांगी गई फिजियोथेरेपी तिहाड़ जेल नंबर एक में उपलब्ध है और अगर याचिकाकर्ता को इसकी जरुरत हुई तो इसे तिहाड़ जेल नंबर तीन में भी उपलब्ध कराया जा सकता है. इस फैसेलिटि को एक्सपर्ट डॉक्टर की मेडिकल सलाह के मुताबिक दी जाएगी."
दिल्ली सरकार से मिले इस आश्वासन के बाद PFI नेता ए.एस. इस्माइल की अंतरिम जमानत याचिका को सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने खारिज कर दिया. पिछली सुनवाई में भी सुप्रीम कोर्ट ने इस्माइल को मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था और तिहाड़ जेल के अधिकारियों से पूछा था कि क्या उसे जेल के अंदर फिजियोथेरेपी मिल सकती है.
बता दें, PFI नेता ए. एस. इस्माइल ने मेडिकल ग्राउंड पर सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम जमानत की गुहार लगाई थी. उसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने UAPA के तहत गिरफ्तार किया है. इस्माइल पर आरोप है कि वह मुस्लिम युवाओं को कथित तौर पर कट्टरपंथी बना रहा था. इतना ही नहीं वह मुस्लिम युवकों को भारत सरकार और अन्य संगठनों के खिलाफ भड़का रहा था, जो भारत में इस्लामी शासन की स्थापना का समर्थन नहीं करते.
जांच एजेंसियों ने दावा किया है कि इस्माइल इससे पहले प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़ा था, फिर PFI का तमिलनाडु अध्यक्ष बना और बाद में उसकी राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद का सदस्य भी रहा. आज शुक्रवार की सुनवाई में अंतरिम जमानत के विरोध में राज्य सरकार की ओर से पेश दलीलों से कोर्ट ने सतुंष्ट होने के बाद मामला बंद कर दिया.