Bangladesh News: बांग्लादेश में छात्र विद्रोह और सेना दबाव के बीच पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया. सेना ने हसीना को सिर्फ 15 मीनट का वक्त दिया था.
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Bangladesh News: पिछले साल हिंसक छात्र विद्रोह के बाद जब बांग्लादेशी सेना ने पूर्व PM शेख हसीना को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया, तो वह अधिकारियों पर भड़क उठीं. उन्होंने मांग की कि उन्हें गोली मार दी जाए और उनके आधिकारिक आवास में दफना दिया जाए. हसीना ने कहा, "फिर आप मुझे गोली मार दीजिए और यहीं भवन में दफना दीजिए."
बांग्लादेश के प्रमुख दैनिक 'प्रोथोम अलो' की रिपोर्ट के मुताबिक, हसीना के मामले पर मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) की सुनवाई के दौरान यह खुलासा किया. इस्लाम ने जुलाई में हुए जन-विद्रोह के दौरान चंखरपुल क्षेत्र में किए गए मानवता के विरुद्ध अपराधों पर केंद्रित एक औपचारिक आरोप प्रस्तुत किया. लगातार हो रहे हिंसक प्रदर्शनों में 500 से अधिक लोग मारे गए थे.
क्यों हुए थे हिंसक प्रदर्शन
सरकारी नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली के खिलाफ पिछले दो महीनों से बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन चल रहे थे. मुख्य अभियोजक ने आगे जिक्र किया कि तत्कालीन संसद अध्यक्ष शिरीन शर्मिन चौधरी ने विद्रोह के दौरान हसीना को पद छोड़ने की सलाह दी थी. इस विचार को महासचिव ओबैदुल कादर सहित अवामी लीग के वरिष्ठ नेताओं ने अस्वीकार कर दिया था. उन्होंने 4-5 अगस्त की घटनाओं के बारे में बताया, जो बांग्लादेश में शेख हसीना के अंतिम घंटों को बताती हैं.
किसने दिया था शेख हसीना को इस्तीफा देने का सुझाव
ताजुल इस्लाम ने न्यायाधिकरण को बताया कि गण भवन में एक बहुत ही "तनावपूर्ण और अस्थिर" बैठक हुई थी. इस बैठक में प्रभावशाली मंत्री, सत्तारूढ़ पार्टी के शीर्ष नेता और सैन्य तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रमुख शामिल हुए थे, जिसमें तीखी नोकझोंक और असहमति हुई थी. ताजुल इस्लाम के मुताबिक, 5 अगस्त को मध्यरात्रि में सशस्त्र बलों के प्रमुखों के साथ बैठक के दौरान, तत्कालीन रक्षा सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) तारिक अहमद सिद्दीकी ने हसीना को इस्तीफा देने का सुझाव दिया था.
'मुझे मार दो गोली'
ताजुल इस्लाम ने आगे बताया कि 5 अगस्त की सुबह एक अन्य बैठक में, तत्कालीन आईजीपी चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून ने हसीना को बताया कि स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि पुलिस अपनी जमीन पर डटी नहीं रह सकती. उन्होंने कहा, "हमारे पास हथियार और गोला-बारूद खत्म हो गया है और सेना लगभग थक चुकी है." इसके बाद, सेना ने हसीना पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ा दिया. हसीना ने तत्कालीन सेना प्रमुख पर पलटवार करते हुए कहा, "तो मुझे गोली मार दो और यहीं गण भवन में दफना दो."
सेना ने हसीना को दिया था सिर्फ 45 मिनट का वक्त
कथित तौर पर जाने से पहले हसीना टेलीविजन पर प्रसारित करने के लिए विदाई भाषण रिकॉर्ड करना चाहती थीं, लेकिन सैन्य अधिकारियों ने मना कर दिया. सेना ने उन्हें जाने के लिए केवल 45 मिनट का समय दिया, क्योंकि हजारों छात्र और जनता गण भवन की ओर मार्च कर रहे थे.